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बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं|  इसको लेकर तेजस्वी यादव 10 सितंबर से कार्यकर्ता संवाद यात्रा शुरू करने वाले हैं, लेकिन इससे पहले आरजेडी ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के यात्रा के दौरान हरा गमछा पहनने पर बैन लगा दिया है|  अब इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है.

सवाल उठने लगा है कि क्या तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर की राह पर चल पड़े हैं ?

दरअसल, बात तकरीबन 3 साल पुरानी है जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा था कि जिस तरीके से समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहचान लाल रंग का गमछा और टोपी है,  उसी तरीके से बिहार में आरजेडी की पहचान हरे रंग का गमछा और टोपी होनी चाहिए| लालू ने कहा था कि हरे रंग का गमछा और टोपी आरजेडी का लाइसेंस है.

लालू ने यह फरमान सितंबर 2021 में दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरजेडी के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए सुनाया था |  लेकिन ऐसा लगता है कि 3 साल बाद लालू प्रसाद का वह फरमान उनके बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल का सबब बन चुका है और इसीलिए तेजस्वी यादव ने एक नया फरमान निकाल दिया है,  जिसमें उन्होंने अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से हरे रंग के गमछे के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है.

तेजस्वी यादव ने एक दिशा निर्देश जारी किया है कि जब वह 10 सितंबर से कार्यकर्ता संवाद यात्रा पर निकलेंगे तो इस दौरान उनके कार्यक्रमों या सभाओं में कोई भी आरजेडी का नेता या कार्यकर्ता हरे रंग का गमछा नहीं पहने |  तेजस्वी ने कहा है कि हरे रंग का गमछे के बदले आरजेडी के नेता और कार्यकर्ता हरे रंग की टोपी पहने और बैज लगाएं और उनके कार्यक्रम में पहुंचें|

सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव को इस बात का फीडबैक मिला है कि जब वह खुद अपनी यात्रा के दौरान कई बार हरे रंग का गमछा पहनते हैं या फिर उस गमछे को हवा में लहराते हैं और फिर गमछे से मुरेठा (पगड़ी) बांधकर पहन लेते हैं तो इसका जनता के बीच नकारात्मक संदेश जाता है जो कहीं ना कहीं लफुआ गिरी का प्रतीक बन जाता है. जानकारों की मानें तो इसी कारण से तेजस्वी यादव ने आगामी अपनी कार्यकर्ता संवाद यात्रा में हरे रंग का गमछा पहनने पर पूरी तरीके से बैन लगा दिया है.

क्या कोई और भी वजह है ?

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या केवल यही वजह है जिसको लेकर तेजस्वी यादव ने गमछा पहनने पर बैन लगा दिया है या फिर इसके पीछे कोई और वजह भी है. दरअसल,  इसके पीछे एक और कारण जो नजर आता है. वह है प्रशांत किशोर फैक्टर |

प्रशांत किशोर पिछले 2 साल से जन सुराज अभियान के अंतर्गत बिहार की यात्रा पर है और इस दौरान वह तेजस्वी यादव पर अत्यधिक हमलावर रहते है |

प्रशांत किशोर हमेशा तेजस्वी यादव के शिक्षा पर,  नौवीं फेल होने पर तंज करते रहते हैं कि मुख्यमंत्री के कैसे दो-दो बेटे शिक्षा के मामले में बिल्कुल फिसड्डी हैं|

तेजस्वी यादव की आगामी यात्रा को लेकर कुछ दिन पहले जब प्रशांत किशोर से सवाल किया गया था तो उन्होंने एक बार फिर से तेजस्वी पर तंग करते हुए कहा था कि तेजस्वी खुद यात्रा में एसी बस में बैठेंगे,  आगे और पीछे 25-25 गाड़ियों का काफिला होगा, उनके खाना खाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल की जाएंगी और वह सर पर मुरेठा बांधकर जनता के बीच पहुंचेंगे | माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के इसी तंज के बाद तेजस्वी ने अपने पार्टी के नेताओं से जब फीडबैक लिया तो एहसास हुआ कि हरे रंग का गमछा पार्टी के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदायक साबित हो रहा है और इसीलिए उन्होंने अपनी आगामी यात्रा में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को हरा गमछा ना पहनने के लिए कहा है |

राजद प्रवक्ता ने क्या कहा ?  

आरजेडी प्रवक्ता ने कहा, “हमारे पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वह गमछा से ज्यादा टोपी और बैज का प्रयोग करें” |गौरतलब है कि 2 अक्टूबर को प्रशांत किशोर अपने जन सुराज अभियान को राजनीतिक दल बनाने की घोषणा करने वाले हैं.

प्रशांत किशोर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में 40 सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करेगी जिसको लेकर आरजेडी में बेचैनी साफ तौर पर देखी जा सकती है.

सूत्रों के मुताबिक में मंगलवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने जो पटना में पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों और पार्षदों की जो बैठक बुलाई थी, उसके पीछे प्रशांत किशोर का मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान भी एक बड़ी वजह है और इसी बैठक में तेजस्वी यादव ने हरे गमछा बैन का फरमान सुनाया है.

 

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