26 साल बाद बिहार को मिला मुस्लिम राज्यपाल: आरिफ मोहम्मद खान बने नए राज्यपाल

Report by: Shubham
बिहार को 26 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर मुस्लिम राज्यपाल मिला है। आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपने पद की शपथ लेते हुए कहा, “मिथिला के बिना अयोध्या पूरा नहीं।” उनकी इस टिप्पणी ने लोगों के बीच काफी चर्चा बटोरी है।
आरिफ मोहम्मद खान का परिचय: आरिफ मोहम्मद खान भारतीय राजनीति और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में एक जानी-मानी शख्सियत हैं। उन्होंने देश के विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्पष्ट और बेबाक राय देने के लिए पहचान बनाई है। खान पूर्व में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और उन्होंने हमेशा सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
बिहार में राज्यपाल के रूप में उनकी प्राथमिकताएं:
- सामाजिक एकता: आरिफ मोहम्मद खान ने बिहार के लोगों के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता को प्राथमिकता देने की बात कही है। उनका मानना है कि बिहार की विविधता ही उसकी ताकत है।
- शिक्षा और विकास: राज्यपाल के रूप में उनकी प्राथमिकताओं में शिक्षा को प्रमुख स्थान मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास करेंगे।
- मिथिला और अयोध्या का संबंध: शपथ ग्रहण के दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, “मिथिला के बिना अयोध्या अधूरा है।” उनकी इस टिप्पणी ने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर एक नई बहस छेड़ दी है। मिथिला और अयोध्या भारतीय सभ्यता के दो महत्वपूर्ण केंद्र हैं और उनका यह बयान इन दोनों क्षेत्रों के महत्व को उजागर करता है।
26 साल का इंतजार:
बिहार में आखिरी बार 1997 में एक मुस्लिम राज्यपाल नियुक्त किया गया था। तब से लेकर अब तक यह पद किसी मुस्लिम नेता को नहीं मिला था। आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति इस लिहाज से ऐतिहासिक मानी जा रही है।
जनता की उम्मीदें:
बिहार के लोग आरिफ मोहम्मद खान से बहुत सी उम्मीदें लगा रहे हैं। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि वे राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम होंगे।
निष्कर्ष:
आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति बिहार के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है। उनकी नेतृत्व क्षमता, अनुभव और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के उनके दृष्टिकोण से राज्य को लाभ मिलने की उम्मीद है।