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आचार्य किशोर कुणाल का निधन: सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में अमिट योगदान

धार्मिक खबर

आचार्य किशोर कुणाल का निधन: सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में अमिट योगदान

REPORT BY : BIPIN KUMAR || DATE : 29 DEC 2024 ||

पटना: महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें सुबह कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिसके बाद महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। उनके निधन पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, और जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने शोक व्यक्त किया।

पुलिस सेवा से सामाजिक कार्य तक का सफर

10 अगस्त 1950 को जन्मे किशोर कुणाल ने मुजफ्फरपुर के बरुराज गांव से स्कूली शिक्षा पूरी की। पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन करने के बाद, वे 1972 में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने अहमदाबाद और पटना जैसे प्रमुख शहरों में वरिष्ठ पुलिस पदों पर अपनी सेवाएं दीं।

1990 से 1994 के बीच गृह मंत्रालय में विशेष अधिकारी के रूप में, उन्होंने विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता की जिम्मेदारी निभाई। 2000 में पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद वे सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सक्रिय हो गए।

बिहार में धार्मिक सुधारों का नेतृत्व

किशोर कुणाल 2000 से 2004 तक केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी, दरभंगा के कुलपति रहे। इसके बाद वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के प्रशासक बने और जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार की शुरुआत की।

महावीर मंदिर न्यास के सचिव के रूप में, उन्होंने पटना में स्कूलों और कैंसर अस्पतालों का संचालन किया। ज्ञान निकेतन जैसे चर्चित स्कूल के वे संस्थापक थे। उन्होंने मंदिर की आय से सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान दिया।

साहित्य और चर्चित केसों में भूमिका

किशोर कुणाल की किताब दमन तक्षकों में उन्होंने बिहार के चर्चित बॉबी हत्याकांड सहित कई घटनाओं का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा कि इस केस की जांच सीबीआई को सौंपने के पीछे कई सफेदपोशों का दबाव था। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में 40 विधायकों और 2 मंत्रियों ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

शोक की लहर

किशोर कुणाल का निधन सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत को महावीर मंदिर न्यास और उनके द्वारा स्थापित संस्थान हमेशा जीवित रखेंगे।

आचार्य किशोर कुणाल का निधन: महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व IPS अधिकारी नहीं रहे

पटना: महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह 74 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें सुबह कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिसके बाद उन्हें महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।

आचार्य किशोर कुणाल एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और समाजसेवी के रूप में विख्यात थे। वीपी सिंह सरकार के दौरान उन्हें केंद्र सरकार ने विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया था।

जीवन परिचय और करियर

किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया। 1972 में वे गुजरात कैडर से आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने आनंद और अहमदाबाद में विभिन्न पदों पर सेवा दी। 1983 में प्रमोशन पाकर वे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बने। 1990-94 तक वे गृह मंत्रालय में विशेष अधिकारी के रूप में कार्यरत रहे।

2000 में आईपीएस सेवा से रिटायर होने के बाद वे सामाजिक कार्यों में जुट गए। उन्होंने केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी, दरभंगा के कुलपति के रूप में 2004 तक कार्य किया और बाद में बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के प्रशासक बने।

धार्मिक और सामाजिक योगदान

आचार्य किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर न्यास के माध्यम से पटना में कई स्कूलों और कैंसर अस्पतालों का संचालन किया। वे ज्ञान निकेतन स्कूल के संस्थापक भी थे। उन्होंने जातिवादी प्रथाओं को सुधारने और धार्मिक संगठनों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया।

प्रमुख किताबें और चर्चित मामले

किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक दमन तक्षकों में कई खुलासे किए। उन्होंने चर्चित बॉबी हत्याकांड पर लिखा, जिसमें सफेदपोश लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग उठी थी।

आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, और जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार समेत कई नेताओं ने शोक जताया है।

आचार्य किशोर कुणाल का जाना बिहार और देश के सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

 

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