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बिहार की राजनीति में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के बयान से सियासी भूचाल

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बिहार की राजनीति में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के बयान से सियासी भूचाल

Report By : Bipin kumar || Date : 25 Dec 2024 ||

बिहार की राजनीति में हाल ही में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के एक बयान ने राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती समारोह के दौरान विजय सिन्हा ने कहा कि जब तक बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार नहीं बनेगी, तब तक अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं मिलेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन्होंने बिहार को “कलंकित” किया था, उनसे मुक्ति दिलाने में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब भी मिशन अधूरा है। इस बयान ने बिहार की एनडीए सरकार और विपक्षी दलों के बीच सियासी चर्चा को फिर से गरमा दिया है।

विजय सिन्हा उप मुख्यमंत्री, बिहार

विजय सिन्हा के बयान के मायने

विजय सिन्हा ने लालू यादव के शासनकाल की आलोचना करते हुए कहा कि “जंगलराज” के दौरान बिहार की सामाजिक व्यवस्था बिगड़ गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस “जंगलराज” को समाप्त करने में योगदान दिया। लेकिन इस बयान के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के पिछले 20 वर्षों के शासन और संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया। यह स्थिति तब और जटिल हो गई जब सिन्हा को महसूस हुआ कि उनके बयान से गठबंधन सहयोगी जेडीयू में असहजता हो सकती है। उन्होंने तुरंत एक दूसरा बयान देकर नीतीश कुमार की सराहना की और कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे प्रिय नेता नीतीश कुमार ने बिहार को “जंगलराज” से मुक्त किया।

एनडीए में मतभेद या सिर्फ बयानबाजी?

यह बयान उस समय आया है जब एनडीए के भीतर ही बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। कुछ दिनों पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जयसवाल और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बयान दिया था कि अगले चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसके विपरीत विजय सिन्हा का बयान यह संकेत देता है कि बीजेपी का एक वर्ग बिहार में अपने दम पर सत्ता स्थापित करना चाहता है।

बीजेपी और जेडीयू के बीच संबंधों में खटास की अटकलों को तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने भी हवा दी है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के आसपास के कुछ अधिकारी और दिल्ली से सरकार चल रही है। साथ ही, नीतीश कुमार की “प्रगति यात्रा” में बीजेपी नेताओं की गैरमौजूदगी ने इन अटकलों को और मजबूती दी। हालांकि, पश्चिम चंपारण में नीतीश कुमार के साथ दो बीजेपी मंत्रियों की मौजूदगी ने एकता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन उस मुलाकात में गर्मजोशी की कमी साफ दिखी।

जेडीयू की प्रतिक्रिया

जेडीयू ने सोशल मीडिया पर एनडीए की एकजुटता दिखाने के लिए कई पोस्ट किए हैं। इन पोस्ट्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीरों के साथ “एकजुट एनडीए, एकजुट बिहार, 2025 में फिर से नीतीश कुमार” का संदेश दिया जा रहा है। लेकिन विजय सिन्हा के बयान ने इस संदेश को कमजोर करने का काम किया है।

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी के लिए विजय सिन्हा का बयान पार्टी के अंदर मौजूद सत्ता की आकांक्षाओं को प्रकट करता है। बीजेपी के कुछ नेता स्पष्ट रूप से यह मानते हैं कि पार्टी को राज्य में अपने दम पर नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक नीतीश कुमार को एनडीए का चेहरा बनाए रखने का संदेश दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के अंदर मतभेद हैं, जिन्हें सुलझाने की जरूरत है।

विपक्ष की नजर

आरजेडी और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियां बीजेपी और जेडीयू के बीच के मतभेदों को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। तेजस्वी यादव ने बीजेपी और जेडीयू की एकता पर सवाल उठाते हुए इसे “सत्ता का खेल” करार दिया है। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का बयान बिहार की राजनीति में एनडीए के भीतर मौजूद जटिलताओं और मतभेदों को उजागर करता है। यह बयान बीजेपी के एक वर्ग की सत्ता की आकांक्षाओं को सामने लाता है, जो पार्टी को बिहार में अपने दम पर नेतृत्व करने की दिशा में ले जाना चाहता है। हालांकि, बीजेपी और जेडीयू की आधिकारिक लाइन अब भी एकता की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एनडीए इन आंतरिक मतभेदों को कैसे सुलझाता है और क्या यह गठबंधन की चुनावी रणनीति को प्रभावित करेगा।

 

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