
दही-चूड़ा भोज में लालू-नीतीश के साथ आने की संभावना
Report By : News Era || Date : 15 Jan 2025 ||
मकर संक्रांति पर राजनीति का नया अध्याय
मकर संक्रांति का पर्व इस बार बिहार की राजनीति में खास रंग भरता दिख रहा है। दही-चूड़ा भोज के बहाने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। आज, 15 जनवरी 2025 को, आरएलजेपी (RLJP) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने अपने आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया है, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के एक साथ आने की संभावना ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है।
भोज का आयोजन और राजनीतिक मायने
पशुपति पारस ने अपने विधायक कॉलोनी स्थित आवास पर सुबह 11 बजे भोज का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल पारंपरिक महत्व रखता है, बल्कि इसे संभावित राजनीतिक समीकरणों के संकेतक के रूप में भी देखा जा रहा है।
- लालू यादव
- लालू यादव को व्यक्तिगत निमंत्रण: मंगलवार को पशुपति पारस ने राबड़ी देवी के आवास पर जाकर लालू यादव को भोज में शामिल होने का व्यक्तिगत निमंत्रण दिया था।
- नीतीश कुमार
- नीतीश कुमार को आमंत्रण: हालांकि, इससे पहले राबड़ी आवास पर आयोजित दही-चूड़ा भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन आज के आयोजन में उन्हें बुलाया गया है।
एनडीए और महागठबंधन के समीकरण
यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब एनडीए में पशुपति पारस की स्थिति कमजोर मानी जा रही है।
- एनडीए में पशुपति पारस की स्थिति:
- पशुपति पारस की पार्टी के पास 2019 तक 5 सांसद थे।
- लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एनडीए ने कोई सीट नहीं दी।
- इसके विपरीत, चिराग पासवान को 5 सीटें दी गईं।
- महागठबंधन में संभावित समीकरण:
- पशुपति पारस पहले भी लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं।
- महागठबंधन में उनकी एंट्री की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
लालू और नीतीश का साथ आना: क्या संकेत?
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार का एक मंच पर आना कई अटकलों को जन्म दे सकता है।
- महागठबंधन में नीतीश कुमार की संभावित वापसी:
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर महागठबंधन में वापसी कर सकते हैं।
- हालांकि, तेजस्वी यादव ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा। जनता का फैसला सर्वोपरि होगा।”
- राजनीतिक संकेत:
- यदि लालू यादव और नीतीश कुमार आज मंच साझा करते हैं, तो यह बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण घटना होगी।
- यह घटना आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए दोनों गठबंधनों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है।
दही-चूड़ा भोज का विशेष महत्व
बिहार में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित दही-चूड़ा भोज न केवल पारंपरिक आयोजन है, बल्कि राजनीति का केंद्र भी बनता है।
- समीकरण बनाने का माध्यम:
- ऐसे आयोजनों ने पहले भी कई बड़े राजनीतिक गठजोड़ बनाए या तोड़े हैं।
- आज का भोज भी विभिन्न दलों के नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास हो सकता है।
आगे की राह
इस भोज पर पूरे बिहार की नजरें टिकी हैं।
- यदि लालू यादव और नीतीश कुमार एक मंच पर आते हैं, तो यह महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए बड़ा संदेश होगा।
- यदि ऐसा नहीं होता है, तो भी यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह आयोजन केवल औपचारिकता बनकर रह जाता है, या इसके जरिए कोई नई राजनीतिक तस्वीर उभरती है।
बिहार की राजनीति में मकर संक्रांति का यह भोज एक नई दिशा तय कर सकता है। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि यह आयोजन केवल परंपरा तक सीमित रहता है या इसके जरिए राज्य की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव होता है।