गरीब किसान के बेटे उदय तिवारी ने खेल की दुनिया में रचा इतिहास
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गरीब किसान के बेटे उदय तिवारी ने खेल की दुनिया में रचा इतिहास
Report By : Chitranjan Kumar (News Era) || Date : 15 Jan 2025 ||
कहते हैं, “मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपने में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” इस कथन को सच साबित किया है औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के काझवां गांव निवासी रामनारायण तिवारी के पुत्र और कुश्ती खिलाड़ी उदय तिवारी ने। उदय ने अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर न केवल खुद को स्थापित किया, बल्कि अपने पिता और समाज को भी यह दिखाया कि गरीब किसान का बेटा भी बड़े सपने देख सकता है और उन्हें पूरा कर सकता है।
उदय तिवारी ने अपनी प्रतिभा के दम पर बिहार और देश के खेल क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में वह खेलो इंडिया के तहत पीसीए (पास्ट एथलीट चैंपियन) के पद पर कार्यरत हैं और बिहार कुश्ती संघ में पांच बार से अधिक कोच की भूमिका निभा चुके हैं। उनका यह सफर संघर्षों और उपलब्धियों से भरा रहा है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
उदय तिवारी के पिता एक किसान हैं और उन्होंने हमेशा चाहा कि उनका बेटा पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करे। लेकिन उदय का मन कुश्ती में लगता था। अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए उन्होंने हरियाणा, पंजाब, और पटना जैसे स्थानों पर प्रशिक्षण लिया। पैसे की कमी के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ।
उदय तिवारी ने सब जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 2008 में हरियाणा में और 2009 में केरल के तिरुअनंतपुरम में आयोजित प्रतियोगिताओं में भाग लिया। 2011 में राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान उन्होंने जम्मू में बिहार का प्रतिनिधित्व किया।
हालांकि, आर्थिक तंगी ने उनके लक्ष्य को बदल दिया। उन्हें अपने सपने को कुश्ती से हटाकर कोचिंग की ओर मोड़ना पड़ा। उदय तिवारी ने कुश्ती कोच के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अपने अनुभवों से कई युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करना शुरू किया।
खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत
उदय तिवारी को औरंगाबाद जिला कुश्ती संघ का सचिव नियुक्त किया गया। इस जिम्मेदारी को उन्होंने न केवल बखूबी निभाया, बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार किया। उनके सिखाए हुए खिलाड़ी आज देश-विदेश में जिले और राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं।
खेलो इंडिया और सरकार की पहल
बिहार में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं। “मेडल लाओ, नौकरी पाओ” योजना ने खिलाड़ियों को आर्थिक और मानसिक रूप से प्रोत्साहित किया। खेल मंत्रालय ने बिहार के सभी 38 जिलों में खेलो इंडिया के तहत छोटे-छोटे केंद्र बनाए, जहां खिलाड़ियों को हर प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं।
उदय तिवारी को भी बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के तहत पीसीए पास्ट एथलीट चैंपियन में शामिल किया गया। इस पहल के तहत उन खिलाड़ियों को नौकरी दी गई, जिन्होंने राज्य और देश के लिए मेडल जीते। उदय तिवारी आज भी सैकड़ों बच्चों को प्रशिक्षण देकर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट के लिए तैयार कर रहे हैं।
समाज के लिए प्रेरणा
उदय तिवारी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। उन्होंने यह साबित किया कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, मेहनत और लगन से सब कुछ संभव है।