
**नाबालिग बेटी को बेचने वाली मां को उम्रकैद**
सारांश :
बिहार के अररिया में अपनी नाबालिग बेटी को 50 हजार रुपये में बेचने वाली मां कुनिया खातून समेत चार दोषियों को उम्रकैद और 5.50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। दलाल और खरीदार भी दोषी पाए गए। बच्ची को बेचने का मामला रानीगंज थाने में दर्ज हुआ था। पुलिस ने सभी को प्रतापगंज बस स्टैंड से गिरफ्तार किया था। अदालत ने इसे मानवता को शर्मसार करने वाला अपराध करार दिया।
**मुख्य बिंदु:** –
- मां समेत 4 दोषियों को उम्रकैद।
- 5.50 लाख रुपये का जुर्माना।
- बच्ची को वेश्यावृत्ति के लिए 50 हजार में बेचा गया।
- अदालत का सख्त रुख।
Report By : News Era || Date : 26 Jan 2025 ||
अररिया, बिहार: बिहार के अररिया जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मां ने अपनी ही नाबालिग बेटी को वेश्यावृत्ति के लिए बेच दिया। इस अमानवीय अपराध के लिए अररिया जिला अदालत ने मां समेत चार दोषियों को उम्रकैद और भारी जुर्माने की सजा सुनाई है। इस घटना ने न केवल समाज को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि मानवता को भी शर्मसार कर दिया है।
मां ने अपनी नाबालिग बेटी को 50 हजार में बेचा
यह शर्मनाक घटना 22 जुलाई 2024 को घटी थी। मामले की शुरुआत तब हुई जब रानीगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक नाबालिग बच्ची को उसकी मां कुनिया खातून ने मात्र 50 हजार रुपये में बेच दिया। इस अपराध में दो दलाल शाहरुल उर्फ सोनू और जहाना खातून, और एक खरीदार शाह मजहर भी शामिल थे। शाह मजहर मुंबई का निवासी है।
पुलिस की तत्परता और दोषियों की गिरफ्तारी
रानीगंज थाने की सब इंस्पेक्टर पूनम कुमारी ने मामले में तत्परता दिखाते हुए FIR दर्ज कराई। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि दलालों ने बच्ची को बहलाने-फुसलाने के लिए खिलौने और खाने का लालच दिया था। बच्ची को उसकी नानी के घर छोड़ने का बहाना बनाकर बेचा गया।
सभी आरोपियों को सुपौल के प्रतापगंज बस स्टैंड से गिरफ्तार किया गया। उस समय बच्ची जहाना खातून की गोद में थी। पुलिस की जांच से पता चला कि 50 हजार रुपये पहले ही खरीदार शाह मजहर के खाते से मां कुनिया खातून के बैंक खाते में भेजे जा चुके थे।
अदालत का फैसला: कठोर सजा और भारी जुर्माना
अररिया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने सत्र वाद संख्या 628/2024 में यह फैसला सुनाया।
- मां कुनिया खातून को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 93, 98 और 111(5) के तहत दोषी करार दिया गया। उसे 7 साल, 10 साल और 20 साल की सजा सुनाई गई। कुल मिलाकर उसे आजीवन सश्रम कारावास और 5 लाख 70 हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी गई।
- अन्य तीन दोषियों को IPC की धारा 98, 99, 111(5), और 143(4) के तहत दोषी ठहराया गया। उन्हें 10 साल, 14 साल, 20 साल और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके अलावा, उन पर 5 लाख 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
पीड़ित बच्ची के लिए मुआवजा
अदालत ने दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया, लेकिन पीड़ित बच्ची को मुआवजा देने का आदेश नहीं दिया। इसका कारण यह था कि बच्ची की मां ने खुद उसे बेचा था, और उसके दादा ने भी मामले में कोई सहयोग नहीं किया। हालांकि, अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि बच्ची के नाम पर मुआवजा राशि बैंक में जमा की जाए।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कम सजा की अपील की। लेकिन सरकारी वकील राजा नंद पासवान ने कहा कि इस घिनौने अपराध में किसी भी दोषी के लिए रियायत का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, “जब एक मां ही अपनी बच्ची को बेच दे, तो यह अपराध अक्षम्य है। समाज में इसे एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है।”
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
घटना से उठे सवाल और समाज पर प्रभाव
इस घटना ने समाज के नैतिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक मां द्वारा अपनी ही बच्ची को बेच देना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह मानवता के प्रति विश्वासघात भी है। यह मामला उन तमाम बेटियों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर समाज को आत्ममंथन करने पर मजबूर करता है।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
ऐसे मामलों में कठोर कानून और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है। इसके साथ ही, समाज को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बेटियों को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार मिले।
अररिया कोर्ट का यह फैसला एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है। यह घटना और अदालत का सख्त रुख यह संदेश देता है कि ऐसे अपराधों के लिए कोई जगह नहीं है। दोषियों को मिली सजा ने न केवल न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बढ़ाया है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि समाज ऐसे कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेगा।