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पटना मेट्रो: बिहार की राजधानी के परिवहन क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत

पटना मेट्रो

पटना मेट्रो: बिहार की राजधानी के परिवहन क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत

Report By : News Era || Date : 25 Jan 2025 ||

पटना मेट्रो, बिहार की राजधानी पटना में विकसित की जा रही एक अत्याधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है, जिसे शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने, समय बचाने और एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इस परियोजना के तहत अत्याधुनिक तकनीक और निर्माण प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा रहा है, ताकि पटना के नागरिकों को एक विश्वस्तरीय परिवहन सेवा उपलब्ध कराई जा सके। यह परियोजना न केवल शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाएगी, बल्कि पटना को स्मार्ट सिटी के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।

परियोजना का उद्देश्य और महत्व

पटना मेट्रो का मुख्य उद्देश्य राजधानी के भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यातायात को सुगम बनाना और जनता को समय की बचत करने वाली, आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करना है। यह परियोजना विशेष रूप से उन मार्गों को कवर कर रही है, जो शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं, जैसे पटना जंक्शन, बेली रोड, गांधी मैदान और पीएमसीएच। यह पहल पटना को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आधुनिक और प्रगतिशील शहर के रूप में पहचान दिलाने का प्रयास है।

पटना मेट्रो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वाहनों की संख्या में कमी से प्रदूषण में गिरावट आएगी और ईंधन की खपत भी कम होगी। इसके अतिरिक्त, मेट्रो की सुविधा से निजी वाहनों पर निर्भरता घटेगी, जिससे ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का समाधान होगा।

परियोजना की लागत और वित्तीय संरचना

पटना मेट्रो परियोजना की कुल लागत ₹13,365.77 करोड़ आंकी गई है। इस लागत में भूमि अधिग्रहण का खर्च शामिल नहीं है, जिसे पूरी तरह बिहार सरकार वहन कर रही है। परियोजना के लिए वित्तीय सहयोग कई स्तरों पर सुनिश्चित किया गया है, जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकार का योगदान शामिल है।

इसके अलावा, जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने इस परियोजना के लिए ₹5,520.93 करोड़ का ऋण प्रदान करने का वादा किया है। यह वित्तीय सहायता परियोजना को तेजी से पूरा करने में सहायक होगी।

निर्माण कार्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत किया जा रहा है। इस परियोजना में प्रमुख निर्माण कंपनियां जैसे कि एलएंडटी और वाईएफसी-एमसीएल जेवी भी शामिल हैं। एलएंडटी को कॉरिडोर-2 के निर्माण का ठेका मिला है, जिसकी अनुमानित लागत ₹1,989 करोड़ है। वहीं, वाईएफसी-एमसीएल जेवी कॉरिडोर-1 के सात प्रमुख स्टेशनों का निर्माण ₹553 करोड़ में कर रही है।

कॉरिडोर की विस्तृत संरचना

पटना मेट्रो के पहले चरण में दो मुख्य कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, जो शहर के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ते हैं।

कॉरिडोर-1 (रेड लाइन):

  • लंबाई: 16.94 किमी
  • रूट: दानापुर से मीठापुर
  • स्टेशन: कुल 14, जिनमें सगुना मोड़, आरपीएस मोड़, पाटलिपुत्र, राजा बाजार, पटना जू, विकास भवन और मीठापुर प्रमुख हैं।
  • विशेषता: इस कॉरिडोर का अधिकतर हिस्सा एलिवेटेड होगा, ताकि शहर के व्यस्त ट्रैफिक में बाधा न आए।

कॉरिडोर-2 (ब्लू लाइन):

  • लंबाई: 14.45 किमी
  • रूट: पटना जंक्शन से न्यू आईएसबीटी
  • स्टेशन: कुल 12, जिनमें पटना जंक्शन, आकाशवाणी, गांधी मैदान, पीएमसीएच, राजेंद्र नगर और न्यू आईएसबीटी शामिल हैं।
  • विशेषता: इस कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा भूमिगत होगा, जो घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरेगा।

दोनों कॉरिडोर में कुल 26 स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इनमें खेमनीचक और पटना जंक्शन इंटरचेंज स्टेशन होंगे, जहां यात्री दोनों कॉरिडोर के बीच परिवहन बदल सकते हैं।

विकास की प्रगति और प्राथमिकता वाले स्टेशन

पटना मेट्रो परियोजना के निर्माण कार्य को प्राथमिकता के आधार पर चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में पांच प्रमुख स्टेशन, जो पाटलिपुत्र बस टर्मिनल से मलाही पकड़ी के बीच स्थित हैं, अगस्त 2025 तक चालू होने की योजना है। इसके बाद 2027 तक दोनों कॉरिडोर पूरी तरह से कार्यशील हो जाएंगे।

तकनीकी विशेषताएं और निर्माण की आधुनिक विधियां

पटना मेट्रो के निर्माण में कई आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा रहा है:

  1. यू-गर्डर तकनीक: एलिवेटेड ट्रैक निर्माण के लिए प्रीकास्ट यू-गर्डर का उपयोग किया जा रहा है, जो निर्माण को तेज और अधिक टिकाऊ बनाता है।
  2. टनल बोरिंग मशीन (TBM): भूमिगत खंडों के निर्माण में इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे निर्माण के दौरान ध्वनि और प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है।
  3. डिपो: पटना मेट्रो के लिए एकमात्र डिपो बैरिया बस स्टैंड के पास बनाया जा रहा है। यह डिपो 32 तीन-कोच वाली मेट्रो ट्रेनों को सेवा प्रदान करने में सक्षम होगा।

महत्वपूर्ण मील के पत्थर

  • 2011: योजना आयोग ने परियोजना को स्वीकृति दी।
  • 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी।
  • 2022: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमिगत खंड का शुभारंभ किया।
  • 2023: जापान ने परियोजना के लिए ₹5,509 करोड़ का ऋण प्रदान किया।
  • 2023: आरपीएस मोड़ स्टेशन पर पहला प्रीकास्ट यू-गर्डर रखा गया।

पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव

पटना मेट्रो के आने से शहर में प्रदूषण और ट्रैफिक दोनों में कमी आएगी। इसके अलावा, यह परियोजना रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, जिससे पटना के नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा।

पटना मेट्रो न केवल बिहार की परिवहन प्रणाली में क्रांति लाएगी, बल्कि यह राजधानी को एक आधुनिक और सस्टेनेबल शहर के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी। इस परियोजना के माध्यम से पटना देश के अन्य महानगरों की श्रेणी में आ जाएगा। मार्च 2025 में पहले चरण की शुरुआत के साथ, यह परियोजना लाखों यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा प्रदान करेगी।

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