
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर उठाए सवाल
सारांश :
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दौरे के प्रोटोकॉल पालन न करने को लेकर। प्रशांत किशोर ने नीतीश को चुनौती दी। कर्पूरी ठाकुर जयंती पर नीतीश की अनुपस्थिति और तेजस्वी के बयान ने सियासी बहस छेड़ दी।
- तेजस्वी का आरोप: नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल।
- प्रोटोकॉल विवाद: उपराष्ट्रपति धनखड़ की अगवानी में कमी।
- पीके की चुनौती: मंत्रियों की पहचान करने का दावा।
- नीतीश की अनुपस्थिति: कर्पूरी ठाकुर जयंती पर चर्चाओं का केंद्र।
विस्तार :
Report By : News Era || Date : 26 Jan 2025 ||
बिहार की सियासत में बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर कोई नई बात नहीं है। हाल ही में राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर एक तीखा बयान दिया, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाएते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं।
क्या है मामला?
तेजस्वी यादव ने यह बयान 24 जनवरी को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बिहार दौरे के दौरान दिए गए प्रोटोकॉल का पालन न किए जाने पर दिया। उपराष्ट्रपति समस्तीपुर में आयोजित पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह में शामिल होने आए थे। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नित्यानंद राय सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।
हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसके बजाय, उन्होंने बाद में समस्तीपुर जाकर अपने राजनीतिक गुरु कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी। इसी घटनाक्रम पर तेजस्वी यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि नीतीश कुमार का इस तरह का व्यवहार उनकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
तेजस्वी के बयान से मचा सियासी बवाल
तेजस्वी यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी तापमान बढ़ा दिया है। यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर इस तरह का हमला किया हो। तेजस्वी और नीतीश के बीच राजनीतिक टकराव पहले भी कई मौकों पर देखने को मिला है। लेकिन इस बार तेजस्वी के बयान ने नई बहस छेड़ दी है।
तेजस्वी ने कहा, “नीतीश कुमार अब प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं कर पा रहे हैं। उपराष्ट्रपति की अगवानी करने में उनकी असमर्थता बताती है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक फोकस खत्म हो गया है।
पीके ने दी नीतीश को चुनौती
इस बीच, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए एक चुनौती दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं नीतीश कुमार को चुनौती देता हूं कि वे संदर्भ के लिए कागज के टुकड़े को देखे बिना अपने मंत्रियों और उनके संबंधित विभागों की पहचान करें। यदि वह ऐसा करने में सक्षम हैं, तो मैं उनके खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ दूंगा।”
प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल खड़ा करता है। यह बयान भी बिहार की राजनीति में हलचल का कारण बना हुआ है।
कर्पूरी ठाकुर की जयंती और राजनीतिक रस्साकशी
कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर उपराष्ट्रपति धनखड़ का बिहार दौरा एक महत्वपूर्ण अवसर था। इस मौके पर राज्य के प्रमुख नेता और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बन गई।
नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में शामिल होने के बजाय, बाद में कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देने का विकल्प चुना। इसे लेकर राजद और भाजपा ने नीतीश पर जमकर निशाना साधा। राजद ने इसे मुख्यमंत्री की उपेक्षा करार दिया, तो भाजपा ने इसे उनके प्रशासनिक पतन का संकेत बताया।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर तेजस्वी की प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव ने इस मौके पर पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर भी टिप्पणी की। उन्होंने इसे “दिखावा” करार दिया और कहा कि अनंत सिंह जल्द ही रिहा हो जाएंगे। अनंत सिंह, जिनकी पत्नी नीलम देवी राजद के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं, अब दूसरे खेमे में शामिल हो चुकी हैं।
तेजस्वी ने कहा, “यह गिरफ्तारी केवल जनता को गुमराह करने के लिए की गई है। अनंत सिंह को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। यह सब सिर्फ एक नाटक है।”
बिहार की राजनीति में बयानबाजी का सिलसिला
बिहार की राजनीति में बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच जुबानी जंग लंबे समय से चल रही है। तेजस्वी यादव समय-समय पर मुख्यमंत्री पर तीखे हमले करते रहते हैं, और इस बार उनका बयान नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर केंद्रित रहा।
तेजस्वी यादव के बयान और पीके की चुनौती ने बिहार की राजनीति को फिर से गर्म कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति और उनके ऊपर लगाए गए आरोप एक बार फिर यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या बिहार की राजनीति विकास के मुद्दों पर लौटेगी या इसी तरह बयानबाजी में उलझी रहेगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच यह सियासी जंग किस दिशा में जाती है।