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“आम बजट 2025: ऐतिहासिक बदलावों की ओर एक और कदम!”

भारतीय बजट

“आम बजट 2025: ऐतिहासिक बदलावों की ओर एक और कदम!”

सारांश :

आम बजट 2025 भारत की आर्थिक दिशा तय करेगा। निर्मला सीतारमण लगातार आठवां बजट पेश करेंगी। बजट की परंपराओं में हलवा सेरेमनी, रेल बजट का विलय, और पेपरलेस बजट शामिल हैं। यह वित्तीय स्थिरता, कर सुधार और आर्थिक विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

बजट 2025 के हाईलाइट्स

  • प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट।
  • निर्मला सीतारमण लगातार आठवां बजट पेश करेंगी।
  • हलवा सेरेमनी से शुरू हुई बजट प्रक्रिया।
  • रेल बजट का आम बजट में विलय।
  • 2021 से पूर्णतः पेपरलेस बजट प्रणाली।
  • बजट पेश करने की तारीख अब 1 फरवरी।
  • सबसे लंबा बजट भाषण (2020, 2 घंटे 40 मिनट)।
  • ब्रीफ़केस से बहीखाता तक का सफर।
  • आर्थिक सुधारों और नई नीतियों की उम्मीद।

Repoty By : News Era || Date : 01 Feb 2025 ||

विस्तारित खबर  :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट 1 फरवरी 2025 को संसद में पेश होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवां आम बजट पेश करेंगी। इसके साथ ही वे मोरारजी देसाई के 10 बजट पेश करने के रिकॉर्ड के करीब पहुंच गई हैं। उनकी यह उपलब्धि भारतीय वित्त व्यवस्था के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण है।

इतिहास के पन्नों से: भारत का पहला बजट

स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को वित्त मंत्री षणमुगम चेट्टि ने पेश किया था। इसमें केवल अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया कर नहीं लगाया गया था। इसके बाद वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पहला एकीकृत बजट प्रस्तुत किया, जिसमें रजवाड़ों को शामिल किया गया था। यह बजट तत्कालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया था और इसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता लाना था।

बजट से जुड़ी प्रमुख परंपराएँ

हलवा सेरेमनी:

बजट छपाई की शुरुआत हर साल नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी से होती है, जिसमें वित्त मंत्री और मंत्रालय के अधिकारी हिस्सा लेते हैं। इस परंपरा का गहरा सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व है, क्योंकि यह इस महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज की गोपनीयता और महत्व को रेखांकित करता है।

बजट पेश करने की तारीख में बदलाव:

2016 तक बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता था, लेकिन 2017 में इसे 1 फरवरी कर दिया गया। यह बदलाव आर्थिक प्रक्रिया में तेजी लाने के उद्देश्य से किया गया, ताकि बजट प्रस्तावों को समय पर लागू किया जा सके।

रेल बजट का विलय:

2017 में रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया, जिससे एकीकृत बजट प्रणाली लागू हुई। यह निर्णय भारतीय रेलवे की वित्तीय दक्षता बढ़ाने के लिए लिया गया, जिससे रेलवे को सामान्य आर्थिक संरचना में शामिल किया जा सके।

महिला वित्त मंत्री और बजट

इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री थीं, जिन्होंने 1970 में बजट पेश किया था। इसके बाद 2019 से निर्मला सीतारमण यह भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा प्रस्तुत बजट में आर्थिक सुधारों की नई पहल देखी गई, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली।

बजट पेश करने की समय-सारणी में बदलाव

1999 से पहले बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था, जिसे बाद में सुबह 11 बजे कर दिया गया। 2017 में बजट पेश करने की तारीख 1 फरवरी तय की गई ताकि इसे समय पर लागू किया जा सके। यह बदलाव संसद द्वारा बजट प्रस्तावों की त्वरित स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए किया गया।

सबसे लंबा और सबसे छोटा बजट भाषण

2020 में निर्मला सीतारमण का बजट भाषण सबसे लंबा (2 घंटे 40 मिनट) था, जबकि 1977 में हीरूभाई पटेल का बजट भाषण सबसे छोटा (800 शब्द) था। यह अंतर दिखाता है कि कैसे समय के साथ बजट की जटिलता और विस्तार बढ़ा है।

बजट लीक और सुरक्षा उपाय

1950 में बजट लीक होने के कारण जॉन मथाई को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद बजट प्रिंटिंग प्रक्रिया को सुरक्षित करने के लिए इसे नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। वर्तमान समय में बजट की सुरक्षा के लिए डिजिटल एन्क्रिप्शन और गोपनीयता उपायों को अपनाया गया है।

ब्रीफ़केस से बहीखाता और पेपरलेस बजट तक का सफर

पहले वित्त मंत्री बजट दस्तावेज ब्रीफ़केस में लाते थे, लेकिन 2019 में निर्मला सीतारमण ने इसे ‘बहीखाता’ के रूप में प्रस्तुत किया। 2021 में भारत ने पूरी तरह पेपरलेस बजट की शुरुआत की। डिजिटल युग में यह बदलाव पारदर्शिता और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

बजट और भारत की आर्थिक नीति

बजट सिर्फ सरकारी नीतियों का दस्तावेज नहीं, बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा को निर्धारित करने का महत्वपूर्ण साधन है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिए आवंटित धनराशि, कर नीतियाँ और वित्तीय योजनाएँ शामिल होती हैं, जो जनता और उद्योगों पर व्यापक प्रभाव डालती हैं। हर वर्ष बजट की घोषणाओं पर पूरे देश की नजरें टिकी रहती हैं, क्योंकि यह देश के आर्थिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे अहम सरकारी दस्तावेज होता है।

भारत का बजट समय के साथ लगातार बदला है, जिससे देश की आर्थिक नीतियों में सुधार हुआ है। इस बार के बजट से भी उम्मीदें हैं कि यह देश के विकास को नई दिशा देगा। आर्थिक सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, कर प्रणाली में सुधार और सामाजिक कल्याण के लिए नई योजनाओं के तहत यह बजट भारत की आर्थिक संरचना को और मजबूती देगा।

 

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