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औरंगाबाद में मानवता शर्मसार: कचरे के ढेर में मिला नवजात शिशु का शव

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औरंगाबाद में मानवता शर्मसार: कचरे के ढेर में मिला नवजात शिशु का शव

Aurangabad से Report By : Chitranjan Kumar (News Era) || Date : 14 Feb 2025 ||

बिहार के औरंगाबाद शहर में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। मंगलवार की देर शाम न्यू एरिया मोहल्ले के जैन मंदिर रोड स्थित कचरे के ढेर में एक नवजात शिशु का शव मिलने से पूरे शहर में सनसनी फैल गई। मासूम नवजात का शव देख लोगों का दिल दहल उठा और देखते ही देखते यह खबर आग की तरह फैल गई। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में रोष और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और प्रशासन से अवैध गर्भपात और भ्रूण हत्या के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

अवैध गर्भपात का काला खेल जारी

बावजूद इसके कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अवैध गर्भपात और भ्रूण हत्या रोकने के लिए कड़े नियमों और सख्ती का दावा करता है, फिर भी यह घिनौना अपराध लगातार जारी है। लोगों का मानना है कि शहर के कई निजी नर्सिंग होम में चोरी-छिपे अवैध गर्भपात किए जाते हैं। इस संदर्भ में पहले भी कई बार शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ कागजी कार्यवाही तक सीमित रह जाती है। इस घटना ने फिर से स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि आखिर इस मासूम का क्या कसूर था जिसे इस दुनिया में आने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया गया। कई लोगों ने संदेह जताया कि शहर में कुछ निजी नर्सिंग होम अवैध रूप से गर्भपात कराने का धंधा चला रहे हैं, और प्रशासन की ढिलाई के कारण ऐसे घिनौने अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है।

स्थानीय निवासी राकेश कुमार ने कहा: “हमारे शहर में बार-बार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासन सिर्फ बैठकों तक सीमित रहता है। न तो कोई ठोस कार्रवाई होती है और न ही दोषियों को सजा मिलती है। अगर जल्द ही प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती, तो हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।”

एक अन्य निवासी पूजा सिंह ने कहा: “अगर सरकार सच में इन मामलों को लेकर गंभीर होती, तो इस तरह की घटनाएं बार-बार नहीं होतीं। गर्भपात कराने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

स्वास्थ्य विभाग पर उठ रहे सवाल

स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर अवैध गर्भपात के मामलों पर कार्रवाई करने की बातें कही जाती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। शहर के कई नर्सिंग होम में अवैध गर्भपात का खेल बदस्तूर जारी है, लेकिन इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

हर बार जब कोई ऐसी घटना होती है, तो प्रशासन समीक्षा बैठकों का आयोजन कर कार्रवाई की बात करता है, लेकिन कुछ ही दिनों में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अगर प्रशासन सच में गंभीर होता, तो ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होतीं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। औरंगाबाद के जिलाधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे निजी नर्सिंग होम की सघन जांच करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। पुलिस भी इस मामले में संदिग्ध अस्पतालों और डॉक्टरों की सूची तैयार कर रही है।

एसपी औरंगाबाद ने कहा: “हम इस मामले को लेकर गंभीर हैं। यदि कोई नर्सिंग होम अवैध रूप से गर्भपात करा रहा है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हम दोषियों को बख्शेंगे नहीं।”

क्या कहता है कानून?

भारत में गर्भपात को लेकर कड़े कानून हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट 1971 के तहत, बिना डॉक्टर की अनुमति और कानूनी प्रक्रिया के बाहर गर्भपात कराना गैरकानूनी है। साथ ही, भ्रूण हत्या (female foeticide) को रोकने के लिए ‘Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (PCPNDT) Act, 1994’ लागू किया गया है, जिसके तहत गर्भस्थ शिशु के लिंग की पहचान करना अपराध है।

अगर किसी डॉक्टर या नर्सिंग होम को अवैध गर्भपात या भ्रूण हत्या में संलिप्त पाया जाता है, तो उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है, जिसमें क्लिनिक का लाइसेंस रद्द करने से लेकर जेल तक की सजा शामिल है।

समाज को भी आगे आना होगा

अवैध गर्भपात और भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सिर्फ सरकार और प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज को भी आगे आना होगा। लोगों को इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठानी होगी और यदि उन्हें कहीं भी अवैध गर्भपात होते हुए दिखे, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करना चाहिए।

इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तक ऐसे अपराध होते रहेंगे और कब तक मासूम नवजातों की जान इस तरह ली जाती रहेगी। जरूरत है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से ले और इस अवैध धंधे पर सख्ती से रोक लगाए। जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं लेंगी।

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