
औरंगाबाद में संत रविदास की प्रतिमा तोड़े जाने से तनाव, प्रशासन पर उठे सवाल
सारांश :
औरंगाबाद के दाउदनगर थाना क्षेत्र में असामाजिक तत्वों ने संत रविदास की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी, जिससे गांव में तनाव फैल गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने दोषियों की गिरफ्तारी और नई प्रतिमा स्थापित करने की मांग की। पुलिस ने 10 संदिग्धों को हिरासत में लिया और जांच जारी है।
Report By : Chitranjan Kumar (News Era, Aurnagabad ) || Date : 15 Feb 2025 ||
बिहार के औरंगाबाद जिले के दाउदनगर थाना क्षेत्र के तरार टोला हरिनगर वार्ड नंबर-12 में असामाजिक तत्वों द्वारा संत रैदास की प्रतिमा क्षतिग्रस्त किए जाने के बाद गांव में तनाव का माहौल बन गया है। घटना की जानकारी तब हुई जब शनिवार सुबह महिलाएं मंदिर में पूजा करने पहुंचीं और प्रतिमा टूटी हुई देखी। इस खबर के फैलते ही पूरे गांव में आक्रोश फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों ने थाने पर पहुंचकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की और जल्द से जल्द नई प्रतिमा स्थापित करने का अल्टीमेटम दिया।
आक्रोशित ग्रामीण
गांव में आक्रोश, ग्रामीणों ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग
घटना के बाद गांव में असुरक्षा और नाराजगी का माहौल बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के ही एक युवक सहित 10 लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया है। उन्होंने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरोपियों ने पहले भी धमकी दी थी, जिसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई थी, लेकिन समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर पुलिस पहले ही सख्ती बरतती, तो यह घटना रोकी जा सकती थी।
आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासन से 12 घंटे के भीतर नई प्रतिमा स्थापित करने और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
सरस्वती पूजा विसर्जन विवाद से जुड़ा है मामला?
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घटना की जड़ें सरस्वती पूजा विसर्जन के दौरान हुए विवाद से जुड़ी हो सकती हैं। बताया जा रहा है कि सरस्वती पूजा के दौरान डीजे बजाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था, जो मारपीट तक पहुंच गया। मामला पुलिस तक पहुंचा, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब संत रैदास की मूर्ति तोड़े जाने की घटना सामने आने के बाद आशंका जताई जा रही है कि यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है।
प्रशासन की कार्रवाई, लेकिन सवाल बरकरार
घटना की सूचना मिलते ही दाउदनगर थानाध्यक्ष विकास कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू कर दी। इसके अलावा, दाउदनगर एसडीओ मनोज कुमार और एसडीपीओ कुमार ऋषिराज ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने फिलहाल 10 लोगों को हिरासत में लिया है और गांव में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है।
थानाध्यक्ष विकास कुमार ने कहा:
“मामले की गहराई से जांच की जा रही है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
लगातार हो रही घटनाएं, प्रशासन की नाकामी उजागर?
यह पहली बार नहीं है जब औरंगाबाद में इस तरह की घटना हुई है। महज एक सप्ताह पहले दाउदनगर के महावर गांव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) के संस्थापक रामविलास पासवान की मूर्ति को तोड़ दिया गया था। उस घटना के बाद भी लोगों में काफी आक्रोश था, लेकिन लोजपा नेता डॉ. प्रकाश चंद्र ने मौके पर पहुंचकर लोगों को शांत किया था।
अब संत रैदास की मूर्ति को तोड़ने की घटना ने प्रशासन की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने रामविलास पासवान की मूर्ति तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की होती, तो शायद संत रैदास की मूर्ति को नुकसान नहीं पहुंचता।
सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक मूर्ति तोड़ने की घटना नहीं है, बल्कि समाज में तनाव फैलाने की एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकती है। संत रैदास विशेष रूप से दलित समुदाय में पूजे जाते हैं, इसलिए इस घटना को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
ग्रामीणों की मांग: जल्द से जल्द हो न्याय
ग्रामीणों ने मंदिर में नई प्रतिमा स्थापित करने और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कानून लागू किए जाएं। अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
- पहले की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- धमकी मिलने के बावजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
- क्या प्रशासन दोषियों पर राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं कर रहा है?
- क्या यह घटना समाज में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की गहरी साजिश का हिस्सा है?
क्या होगा आगे?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी तेजी से दोषियों को पकड़कर इस घटना पर सख्त कार्रवाई करता है। अगर प्रशासन इस बार भी ढील बरतता है, तो यह सरकार और स्थानीय पुलिस की बड़ी विफलता मानी जाएगी।