
कैमूर के स्कूल में प्रधानाचार्या और शिक्षक के बीच विवाद: जूते निकाल कर मारने की कोशिश
Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era)|| Date : 14 Feb 2025 || Kaimur
बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुशासनहीनता के अजीबोगरीब मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कहीं कोई शिक्षक शिक्षिका के साथ फरार हो रहा है तो कहीं छात्रों के साथ अनुचित व्यवहार करते हुए पकड़ा जा रहा है। इसी कड़ी में कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के छांव पंचायत के मधुरा विद्यालय से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां प्रधानाध्यापिका और एक शिक्षक के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि प्रधानाध्यापिका ने गुस्से में अपनी जूती निकालकर शिक्षक को मारने की कोशिश की। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे स्थानीय लोग, अभिभावक और स्कूल प्रशासन चिंतित हैं।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह घटना स्कूल की प्रार्थना सभा के दौरान घटी, जब प्रधानाचार्या और शिक्षक के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हो गई। बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच अभद्र भाषा का प्रयोग होने लगा और प्रधानाध्यापिका ने आवेश में आकर अपनी जूती निकाल ली।
शिक्षक जसरुद्दीन का कहना है कि, “प्रधानाचार्या अक्सर मुझसे अभद्र भाषा में बात करती हैं। मैं पिछले नौ सालों से इस स्कूल में कार्यरत हूँ, लेकिन कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि वे इस हद तक चली जाएं। आज न जाने कैसे उन्होंने ऐसा कर दिया।”
वहीं, प्रधानाचार्या का कहना है कि, “हम कभी किसी शिक्षक से अभद्र भाषा में बात नहीं करते। ये लोग दिनभर फोन में लगे रहते हैं और जब हम इनसे स्कूल के काम को लेकर कुछ कहते हैं, तो वे हमसे बहस करने लगते हैं। हम बस यही चाहते हैं कि स्कूल का अनुशासन बना रहे। लेकिन आज जो हुआ, वह गलत था और हमें भी यह स्वीकार है कि ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए।”
स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्कूल के अन्य शिक्षक और ग्रामीण भी इस विवाद से परेशान हैं। इस पूरे प्रकरण पर दुर्गावती प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी ने बयान देते हुए कहा कि, “हम जैसे ही इस विवाद के बारे में सुने, तुरंत स्कूल पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया। हालांकि, इस मामले की विस्तृत जानकारी जिला प्रशासन को भेजी जाएगी। यह पता चला है कि यह विवाद प्रार्थना सभा को लेकर शुरू हुआ था। इस तरह के विवाद और हिंसक रवैये का स्कूल में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद लोग शिक्षकों के इस व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं। अधिकांश लोगों का मानना है कि शिक्षकों को अनुशासन का पालन करना चाहिए और छात्रों के सामने इस तरह का व्यवहार करना बिल्कुल अनुचित है। कई लोग शिक्षा विभाग से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
इस विवाद से कौन से मुद्दे उजागर होते हैं?
- शिक्षकों की अनुशासनहीनता: शिक्षक समाज के पथ-प्रदर्शक होते हैं, लेकिन यदि वे खुद अनुशासनहीनता करेंगे, तो छात्रों को क्या सिखाएंगे?
- स्कूल प्रबंधन की विफलता: यदि स्कूल प्रशासन समय रहते शिक्षकों के बीच मतभेदों को सुलझा लेता, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
- सोशल मीडिया का प्रभाव: इस तरह के विवाद अब जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं, जिससे पूरे शिक्षा तंत्र की छवि खराब होती है।
- शिक्षा विभाग की भूमिका: क्या शिक्षा विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर आवश्यक कदम उठाएगा?
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्कूल के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने इस घटना पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि, “अगर स्कूल के शिक्षक और प्रधानाचार्य ही इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो बच्चों को क्या सीखने को मिलेगा?” वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि दोनों पक्षों को अपने मतभेद बातचीत से सुलझाने चाहिए थे, न कि इस तरह खुलेआम लड़ाई करनी चाहिए थी।
कुछ ग्रामीणों ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उनका कहना है कि स्कूल एक पवित्र स्थान है, जहां बच्चों को ज्ञान मिलता है। अगर शिक्षक और प्रधानाचार्य ही अनुशासनहीनता दिखाएंगे, तो बच्चों के भविष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? कुछ ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से अनुरोध किया है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
क्या हो सकता है आगे?
इस पूरे मामले की जांच के बाद शिक्षा विभाग द्वारा दोनों शिक्षकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है। अगर दोनों पक्ष दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा, स्कूल प्रशासन को भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की अनुशासनहीनता दोबारा न हो।
समाधान के संभावित तरीके
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि:
- शिक्षकों के लिए अनुशासनात्मक प्रशिक्षण: शिक्षकों को नियमित रूप से नैतिकता और अनुशासन पर प्रशिक्षण दिया जाए।
- विद्यालय में कड़ी निगरानी: विद्यालय प्रशासन को शिक्षकों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और अनुशासनहीनता के मामलों को तुरंत सुलझाना चाहिए।
- संवाद के माध्यम से समाधान: शिक्षकों और प्रधानाचार्य के बीच किसी भी मतभेद को बातचीत और संवाद के माध्यम से सुलझाना चाहिए।
- कठोर दंड: अनुशासनहीन शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि अन्य शिक्षक भी अनुशासन बनाए रखें।
कैमूर के इस स्कूल में हुआ विवाद एक गंभीर मुद्दा है जो शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और नैतिकता की आवश्यकता को उजागर करता है। शिक्षक और प्रधानाचार्य का कर्तव्य है कि वे अपने व्यक्तिगत मतभेदों को एक-दूसरे के साथ सम्मानजनक तरीके से हल करें और छात्रों के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें। शिक्षा विभाग और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।