
सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को झटका, सुनील सिंह MLC बने रहेंगे
“सियासत के खेल में मोहरे बिछाए जाते हैं,
सच कहने वालों को चुप कराए जाते हैं।
कोर्ट ने दिखाया आईना हुक्मरानों को,
अब देखना है, कौन-कौन नजरें झुकाते हैं।”
सारांश :
सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को झटका देते हुए आरजेडी नेता सुनील सिंह की MLC सदस्यता बहाल कर दी। कोर्ट ने कहा कि उनकी टिप्पणी अशोभनीय थी, लेकिन निष्कासन बहुत कड़ी सजा थी। अब बिहार विधान परिषद को उनकी सदस्यता बहाल करनी होगी और उपचुनाव भी रद्द कर दिया गया है। यह फैसला बिहार चुनाव 2025 को प्रभावित कर सकता है।
हाईलाइट :
✅ नीतीश सरकार को झटका! सुप्रीम कोर्ट ने सुनील सिंह की MLC सदस्यता बहाल की।
✅ सजा ज्यादा थी! कोर्ट ने कहा – टिप्पणी अशोभनीय, लेकिन निष्कासन गलत।
✅ बिहार विधान परिषद को निर्देश – निष्कासन रद्द करो, उपचुनाव भी नहीं होंगे।
✅ 7 महीने का निष्कासन ही सजा! कोर्ट ने कहा – आगे एथिक्स कमेटी फैसला ले।
✅ आरजेडी को बढ़त – फैसला बिहार चुनाव 2025 में अहम मुद्दा बन सकता है!
Report By : Bipin kumar (News Era) || Date : 25 Feb 2025 ||
बिहार की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद द्वारा आरजेडी नेता और लालू यादव के करीबी सुनील सिंह की सदस्यता रद्द करने के फैसले को पलट दिया है। अदालत ने कहा कि सुनील सिंह की टिप्पणी अशोभनीय थी, लेकिन उनके खिलाफ की गई कार्रवाई बहुत ज्यादा थी। इस फैसले के बाद बिहार की सियासत में हलचल मच गई है और इसे नीतीश सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद को निर्देश दिया कि वह सुनील सिंह की सदस्यता को बहाल करे। अदालत ने चुनाव आयोग की उस अधिसूचना को भी रद्द कर दिया, जिसमें विधान परिषद के उपचुनाव की घोषणा की गई थी। यानी अब बिहार में विधान परिषद के लिए उपचुनाव नहीं होंगे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सुनील सिंह की टिप्पणी मर्यादित नहीं थी, लेकिन इसकी तुलना में उन्हें दी गई सजा जरूरत से ज्यादा थी।” अदालत ने कहा कि उन्हें पहले ही 7 महीने के लिए सदन से बाहर रखा गया है, इसलिए इसे ही सजा माना जाए। अगर भविष्य में फिर से ऐसा आचरण होता है, तो विधान परिषद की एथिक्स कमेटी और चेयरमैन इस पर विचार करेंगे।
क्या था पूरा मामला?
पिछले साल 13 फरवरी 2024 को बिहार विधान परिषद में बजट सत्र के दौरान सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए ‘पलटू’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इस टिप्पणी पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ और सत्तारूढ़ दल जेडीयू और बीजेपी के नेताओं ने सुनील सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बाद विधान परिषद की आचार समिति ने मामले की जांच की और रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया कि सुनील सिंह ने अपने शब्दों पर खेद व्यक्त नहीं किया, बल्कि अड़ियल रुख अपनाया।
इसके बाद 26 जुलाई 2024 को विधान परिषद के सभापति ने सुनील सिंह की सदस्यता समाप्त कर दी। यह फैसला बिहार विधान परिषद के इतिहास में एक बड़ी कार्रवाई थी।
नीतीश सरकार पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नीतीश कुमार की सरकार पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। आरजेडी ने इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है। सुनील सिंह ने खुद अपने फेसबुक अकाउंट पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखकर अपनी प्रतिक्रिया दी।
आरजेडी नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार ने राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से सुनील सिंह पर यह कार्रवाई करवाई थी। हालांकि, जेडीयू और बीजेपी ने इस आरोप को खारिज किया है और कहा कि सुनील सिंह ने सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई थी।
विपक्ष का हमला और सुनील सिंह की प्रतिक्रिया
नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिले इस झटके के बाद आरजेडी हमलावर हो गई है। पार्टी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं।
सुनील सिंह ने फैसले के बाद कहा
“मुझे जबरन सदन से बाहर किया गया था, लेकिन सत्य की हमेशा जीत होती है। 7 महीने तक सदन से बाहर रहना ही मेरे लिए सजा थी। लेकिन अब मैं फिर से जनता की आवाज उठाने के लिए तैयार हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब उनका सरकारी बंगला खाली कराया गया था, तब उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी। “मुझे चुप कराने की कोशिश की गई, लेकिन अब मैं और मजबूती से अपनी बात रखूंगा।”
सरकारी आवास विवाद
सुनील सिंह की सदस्यता खत्म होने के बाद 9 फरवरी 2025 को सरकार ने उनका सरकारी आवास 4/20 जबरन खाली करवा लिया था। प्रशासन का कहना था कि विधान परिषद से निष्कासित होने के बाद उन्हें बंगला खाली करना था।
लेकिन सुनील सिंह ने इसे राजनीतिक बदले की भावना बताया। उन्होंने कहा, “बंगला खाली करवाने के दौरान मेरा सामान बाहर फेंक दिया गया। यह सरासर अन्याय था।”
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को अपनी भाषा मर्यादित रखनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सदन के नियमों का पालन होना चाहिए, लेकिन कार्रवाई भी संतुलित होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर भविष्य में फिर से इस तरह की घटना होती है, तो उचित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
आगे क्या होगा?
इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं:
- आरजेडी को मजबूती: इस फैसले के बाद आरजेडी को नैतिक जीत मिली है और पार्टी इसे जनता के बीच भुनाने की कोशिश करेगी।
- बीजेपी-जेडीयू की रणनीति: नीतीश सरकार अब और सतर्क होकर विपक्ष को घेरने की रणनीति बना सकती है।
- सुनील सिंह की सक्रियता: वापसी के बाद सुनील सिंह और आक्रामक रुख अपना सकते हैं।
- 2025 के चुनाव पर असर: यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
- सरकारी नीतियों की समीक्षा: इस फैसले के बाद बिहार में सत्ता पक्ष को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। नीतीश सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है, जबकि आरजेडी इसे अपनी जीत मान रही है। सुनील सिंह की विधान परिषद में वापसी के साथ ही राज्य की सियासत में नए समीकरण बन सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों को कैसे प्रभावित करता है।