
WJAI का संवाद: “पत्रकारिता से समाज को अपेक्षाएं”
सारांश :
पटना। डब्ल्यूजेएआई द्वारा आयोजित वर्चुअल संवाद में ओमप्रकाश यादव ने कहा कि पत्रकारों को तकनीक, ज्ञान और सही नीयत के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने समाज की अपेक्षाओं पर जोर दिया कि पत्रकार निष्पक्ष, तटस्थ और समाज के प्रहरी के रूप में काम करें। संवाद में पत्रकारिता के चार पापों को भी बताया गया।
Report By : Bipin kumar || Date : 17 Feb 2025 ||
वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूजेएआई) द्वारा “पत्रकारिता से समाज को अपेक्षाएं” विषय पर एक वर्चुअल संवाद का आयोजन 15 फरवरी की शाम को किया गया। इस संवाद में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की स्वनियामक इकाई, वेब जर्नलिस्ट्स स्टैंडर्ड ऑथरिटी (डब्ल्यूजेएसए) के मानद सदस्य और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री ओमप्रकाश यादव ने पत्रकारिता की जिम्मेदारियों और समाज की अपेक्षाओं पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
तकनीक, ज्ञान और सही नीयत का समन्वय जरूरी
अपने संबोधन में श्री यादव ने कहा कि आधुनिक युग में पत्रकारों को तकनीक का उपयोग अवश्य करना चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ अपने ज्ञान को अद्यतन (अपडेट) रखना और अपनी नीयत को सही बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज पत्रकारों से अपेक्षा रखता है कि वे बेजुबानों की आवाज बनें, सत्यता और सटीकता बनाए रखें, निष्पक्ष रहें और सरकार के विभिन्न अंगों के प्रहरी (वॉचडॉग) की भूमिका निभाएं।
समाज की पत्रकारों से उम्मीदें
श्री यादव ने अमेरिकन प्रेस इंस्टीट्यूट की एक हालिया सर्वे रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि:
- 78% लोगों ने कहा कि पत्रकारों को निष्पक्ष रहना चाहिए।
- 68% लोगों ने पत्रकारों की तटस्थता को आवश्यक बताया।
- 61% ने कहा कि संवाद में विविध विचारों को स्थान मिलना चाहिए।
- 54% ने पत्रकारों को समाज का प्रहरी माना।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ होते हैं और पत्रकारिता चौथे स्तंभ के रूप में इनकी निगरानी करती है। लोकतंत्र और पत्रकारिता एक-दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं।
चार पाप, जिनसे पत्रकारों को बचना चाहिए
श्री यादव ने संवाद में अमेरिका के एक इतिहासकार के हवाले से पत्रकारिता में चार प्रमुख गलतियों (पापों) का जिक्र किया, जिन्हें पत्रकारों को कभी नहीं करना चाहिए:
- बिना तैयारी के संवाद करना।
- असंबद्ध (Irrelevant) विषयों पर चर्चा करना।
- नापसंद विषयों पर ज़बरदस्ती संवाद करना।
- अशुद्ध (Inaccurate) जानकारी प्रस्तुत करना।
कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण की तरह विशाल है पत्रकारिता का स्वरूप
उन्होंने पत्रकारिता के व्यापक स्वरूप की तुलना महाभारत के कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण से की। उन्होंने कहा कि जैसे भगवान कृष्ण ने कहा था, “आरंभ भी मैं हूं, भूत भी मैं हूं, वर्तमान भी मैं हूं और अंत भी मैं ही हूं,” उसी प्रकार आज पत्रकारिता का भी स्वरूप व्यापक है।
पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है, नौकरी नहीं
श्री यादव ने पत्रकारों से अपील की कि वे अपनी भूमिका को नौकरी के रूप में नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के रूप में निभाएं। उन्होंने कहा कि पत्रकार को कई व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग करना पड़ता है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय व प्रांतीय पदाधिकारियों की भागीदारी
कार्यक्रम की शुरुआत में डब्ल्यूजेएआई की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लीना ने स्वागत भाषण दिया, जबकि राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मंजेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संवाद का संचालन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अमित रंजन ने किया। इस वर्चुअल संवाद में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के पदाधिकारी, वेब पत्रकार और मीडिया के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।