aurangabad newsNews Eraक्राइमटॉप न्यूज़देशबिहारबिहार न्यूज़राज्य

औरंगाबाद में 3 दिन बाद कब्र खोदकर बाहर निकाला गया शव

Aurangabad News

औरंगाबाद में 3 दिन बाद कब्र खोदकर बाहर निकाला गया शव

संक्षिप्त समाचार:

बिहार के औरंगाबाद में पुलिस ने 3 दिन बाद कब्र खोदकर अज्ञात युवक का शव निकाला। पहचान के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। शव की शिनाख्त गया जिले के शिव पासवान के रूप में हुई। पुलिस की लापरवाही पर ग्रामीणों ने विरोध जताया। मामले की जांच जारी है।

Report By : Chitranjan Kumar (News Era) || Date : 03 March 2025 ||

बिहार के औरंगाबाद जिले में एक अज्ञात युवक के शव को दफनाने के तीन दिन बाद कब्र खोदकर बाहर निकाला गया। पुलिस ने यह कार्रवाई तब की जब मृतक की पहचान उसके परिजनों द्वारा कर ली गई। मामला फेसर थाना क्षेत्र का है, जहां पुलिस द्वारा 28 फरवरी, शुक्रवार को जम्होर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव स्थित अदरी नदी के किनारे एक लावारिस शव को दफना दिया गया था।

आक्रोशित लोग 

रविवार को जब मृतक की पहचान हो गई, तो सोमवार सुबह पुलिस ने ग्रामीणों की उपस्थिति में जेसीबी के माध्यम से कब्र खोदकर शव को बाहर निकाला और परिजनों को सौंप दिया। शव मिलने के बाद मृतक के परिजन उसे अपने घर ले गए और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की। मृतक की पहचान गया जिले के गुरारू प्रखंड के महिमापुर गांव निवासी शिव पासवान के रूप में हुई।

परिजनों ने की थी व्यापक खोजबीन

शव लेने पहुंचे मृतक के पुत्र एवं मलपा पंचायत के पूर्व मुखिया संजय पासवान ने बताया कि उनके पिता कई दिनों से लापता थे। उनकी खोजबीन बिहार, झारखंड, बंगाल सहित अन्य स्थानों पर की गई थी, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसी दौरान फेसर थाने की पुलिस द्वारा अज्ञात शव को दफनाने की जानकारी मिली, जिसके बाद वे थाना पहुंचे और शव की तस्वीर देखकर उसकी पहचान की। उन्होंने बताया कि उनके पिता मेहनतकश इंसान थे और उनका किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उनके अचानक लापता होने और फिर मृत अवस्था में पाए जाने से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।

 

इकठा भीड़

ग्रामीणों ने किया था विरोध

इस मामले में जब 28 फरवरी को शव को अपने क्षेत्र में न दफनाकर दूसरे थाना क्षेत्र में दफनाने की बात सामने आई, तो इसे लेकर रामपुर गांव के समाजसेवी विमलेश सिंह ने विरोध जताया। इस मुद्दे ने व्यापक रूप से चर्चा पकड़ ली। इसके बाद ग्रामीणों ने भी इस कार्रवाई पर सवाल उठाए और फेसर थाना पुलिस का विरोध किया। ग्रामीणों का कहना था कि यदि शव उनके गांव के नजदीक मिला था, तो उसे वहां दफनाने की बजाय दूसरे थाना क्षेत्र में क्यों ले जाया गया? इस तरह की पुलिस की कार्यप्रणाली ने ग्रामीणों में असंतोष भर दिया था।

फेसर थानाध्यक्ष वर्षा कुमारी ने पहले शव को दूसरे थाना क्षेत्र में दफनाने की बात से इनकार किया था, लेकिन बाद में ग्रामीणों की बात सही निकली और शव की पहचान कर ली गई। अंततः पुलिस को शव निकालकर परिजनों को सौंपना पड़ा।

 

सामाजिक कार्यकर्ताओं का योगदान

मृतक के पुत्र संजय पासवान ने इस कार्य में सहयोग देने के लिए फेसर थाना पुलिस, जम्होर थाना पुलिस, कर्मा भगवान पंचायत के मुखिया बीरेंद्र पासवान, पंचायत समिति सदस्य सुनील पासवान, समाजसेवी विमलेश सिंह और रामपुर गांव के सभी ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन सभी के सहयोग से ही उनके पिता का शव सही तरीके से अंतिम संस्कार के लिए घर पहुंच सका।

सामाजिक कार्यकर्ता

इस घटना के बाद समाज में भी एकता और सहयोग की भावना देखने को मिली। स्थानीय लोग इस मामले में आगे बढ़कर पुलिस से सवाल पूछने लगे, जिससे प्रशासन को भी जवाब देना पड़ा। इससे यह भी साफ हुआ कि जब लोग संगठित होते हैं, तो वे किसी भी प्रशासनिक चूक को उजागर कर सकते हैं और इंसाफ की मांग कर सकते हैं।

पुलिस की सफाई और आगे की कार्रवाई

फेसर थानाध्यक्ष वर्षा कुमारी ने बताया कि अज्ञात शव की पहचान कर उसे परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई जारी है। पुलिस का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।

उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का उद्देश्य हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और लावारिस शवों के मामले में भी पूरी संवेदनशीलता बरती जाती है। लेकिन इस मामले में जो त्रुटि हुई, वह आगे से न हो, इसके लिए उच्च अधिकारियों को भी जानकारी दी गई है।

समाज में फैली चर्चा

इस घटना ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा का विषय बना दिया है। ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं कि आखिर क्यों बिना जांच-पड़ताल के शव को दूसरे थाना क्षेत्र में दफना दिया गया। पुलिस की इस लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष देखा गया। कुछ सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाए जाएं।

इसके अलावा, कुछ लोगों ने मांग की है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर यह गलती लापरवाही थी या फिर इसके पीछे कोई और वजह थी। मृतक के परिजनों ने भी यह अनुरोध किया है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और जरूरत पड़ने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

न्याय और संवेदनशीलता की आवश्यकता

इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि यदि समाज में जागरूकता और एकता हो, तो किसी भी प्रकार की प्रशासनिक चूक को उजागर किया जा सकता है। इस घटना से स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी सीख लेने की जरूरत है कि किसी भी लावारिस शव को बिना उचित जांच के न दफनाया जाए।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जनता की जागरूकता और सतर्कता से किसी भी गलती को सुधारा जा सकता है। अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में किस तरह से आगे बढ़ती है और क्या कदम उठाती है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!