कैमूर में प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, 20,000 की वसूली के बाद भी काटा नाम, ग्रामीणों ने आवास सहायक को बनाया बंधक

कैमूर में प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार, 20,000 की वसूली के बाद भी काटा नाम, ग्रामीणों ने आवास सहायक को बनाया बंधक
Report By: Rupesh Kumar Dubey || Date: 06 Mar 2025
कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के महुआत पंचायत के दुबौली गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में नाम जोड़ने के नाम पर रिश्वतखोरी का बड़ा मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पंचायत में कार्यरत आवास सहायक द्वारा पात्र लाभुकों से पैसे की अवैध वसूली की जा रही है। इस कड़ी में एक लाभुक से ₹20,000 की मांग की गई, जिसमें से ₹15,000 देने के बावजूद ₹5,000 नहीं देने पर उसका नाम आवास योजना की सूची से हटा दिया गया।
इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने आवास सहायक को बंधक बना लिया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। मामला तूल पकड़ने के बाद प्रखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों ने संज्ञान लिया है।
आवास योजना में भ्रष्टाचार का मामला
प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीब और बेघर लोगों को पक्के मकान उपलब्ध कराना है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। महुआत पंचायत के दुबौली गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि इस योजना का लाभ पाने के लिए पात्र लाभुकों से भारी रिश्वत ली जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार, महुआत पंचायत में कार्यरत आवास सहायक देवानंद सिंह ने कई लाभुकों से नाम जोड़ने के बदले पैसे की मांग की। एक पीड़ित लाभुक से ₹20,000 की मांग की गई, जिसमें से ₹15,000 देने के बावजूद बाकी ₹5,000 नहीं देने पर उसका नाम आवास सूची से हटा दिया गया। यह मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने आवास सहायक को पकड़कर बंधक बना लिया।
प्रशासन की भूमिका और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) सतीश कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने बताया कि इस तरह की घटना सरकारी कार्यों में बाधा डालने जैसी है और इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार एक आम बात बन गई है। पात्र लाभुकों को उनका हक दिलाने के बजाय उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
ग्रामीणों की मांग – हो सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारी और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कई लाभुकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जाता है, और जब तक रिश्वत नहीं दी जाती, तब तक उनके नाम सूची में नहीं जोड़े जाते।
इस पूरे मामले में अब कैमूर जिला प्रशासन और जिलाधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और दोषी अधिकारियों पर क्या कदम उठाए जाते हैं।
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर उठते सवाल
प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की घटनाएं आम जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। इस मामले ने एक बार फिर दिखाया है कि किस तरह गरीब और वंचित लोगों को भी अपने अधिकारों के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है।
यदि प्रशासन इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाता, तो आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। वहीं, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में दोषी आवास सहायक और अन्य संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
अब सभी की नजरें कैमूर जिला प्रशासन और डीएम पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और भ्रष्टाचार पर कैसे लगाम लगाई जाती है।