बिजली विभाग की घोर लापरवाही से लगी आग में किसानों की लगभग 50 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख
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बिजली विभाग की घोर लापरवाही से लगी आग में किसानों की लगभग 50 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख
Report By : Rupesh kumar Dubey (News Era) || Date : 10 April 2025 ||
कैमूर: कहते हैं, “किसान धरती का भगवान होता है”, लेकिन जब इसी भगवान की मेहनत पल भर में राख हो जाए और जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठा हो, तो व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है। कैमूर जिले के कुदरा प्रखंड अंतर्गत ग्राम भदौला, खालसापुर, बहेरा के किसानों के साथ ऐसा ही हुआ, जहां बिजली विभाग की लापरवाही के कारण खेतों में खड़ी लगभग 50 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई।
यह दर्दनाक हादसा बुधवार को दोपहर में घटित हुआ, जब हाई वोल्टेज तारों से निकली चिंगारी ने खेतों में आग लगा दी। तेज़ हवा और सूखे गेहूं की बालियों ने आग को ऐसा रूप दे दिया कि कुछ ही मिनटों में वह बेकाबू हो गई और किसानों की महीनों की मेहनत पल भर में स्वाहा हो गई।
आग से किसानों की मेहनत के साथ फसल स्वाहा
आग की लपटों ने लील ली मेहनत की पूंजी
घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। गांव के भदौला, खालसापुर और बहेरा के सैकड़ों लोग बाल्टी, टंकी और बोरियों में पानी भर-भरकर आग बुझाने में जुट गए। लेकिन आग की भीषणता के आगे हर प्रयास नाकाम साबित हुआ। स्थानीय लोगों ने तुरंत अग्निशमन विभाग को सूचना दी। सूचना मिलते ही दो दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, और घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
लेकिन तब तक अजय चौबे, बब्बन सिंह, विनोद सिंह, सुशील सिंह, गीता पटेल, त्रिवेणी सिंह, नरेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, भरत सिंह जैसे दर्जनों किसानों की लगभग 50 बीघा गेहूं की फसल पूरी तरह जल चुकी थी। धुआं और राख के बीच खड़े किसानों की आंखों में आंसू थे और चेहरे पर मायूसी।
विद्युत विभाग की लापरवाही से नाराज़ ग्रामीण
भदौला वार्ड संख्या 8 के वार्ड पार्षद अखिलेश कुमार चतुर्वेदी ने इस घटना पर कड़ा रोष जताते हुए कहा, “यह पूरी तरह से विद्युत विभाग की लापरवाही है। पिछले कई दिनों से बिजली की हाई वोल्टेज लाइन ढीली होकर लटक रही थी, जिसकी वजह से तारों में स्पार्किंग होती रहती थी। हमने कई बार शिकायत की लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। अगर समय रहते ध्यान दिया गया होता, तो आज यह हादसा नहीं होता।”
ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली के तार इतने जर्जर हो चुके हैं कि ज़रा सी हवा चलने पर वो आपस में टकराते हैं और चिंगारी निकलती है। एक सप्ताह पहले भी इसी तरह की चिंगारी से 5 बीघा गेहूं की फसल जल गई थी, तब भी विभाग को सूचित किया गया था, लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं आया।
“हर साल खेत में लगाते हैं उम्मीदें, इस बार राख मिली” – किसानों की व्यथा
घटना के बाद जब संवाददाता ने खेतों में खड़े किसानों से बात की, तो उनकी आंखों में नमी और आवाज में दर्द साफ महसूस किया जा सकता था।
अजय चौबे, जिनकी लगभग 6 बीघा फसल जली है, ने कहा, “हमने तीन महीने दिन-रात मेहनत करके खेत तैयार किया था। खाद, बीज, सिंचाई – सब कुछ कर्ज लेकर किया। अब तो हमारे पास कुछ नहीं बचा, कैसे चुकाएंगे कर्ज?”
बब्बन सिंह ने बताया, “फसल कटने ही वाली थी, मंडी ले जाने की तैयारी कर रहे थे। अब केवल राख बची है। घर में बच्चों की फीस, घर खर्च सब इसी से चलता था। सरकार से मुआवज़े की गुहार है।”
गीता पटेल, जो कि महिला किसान हैं, ने कहा, “जिन खेतों में मैंने पसीना बहाया, आज उन्हीं खेतों में राख उड़ रही है। बिजली विभाग के अफसरों को इसका जवाब देना होगा।”
स्थानीय प्रशासन की भूमिका और अग्निशमन विभाग की तत्परता
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और अग्निशमन विभाग हरकत में आया। मौके पर पहुंचकर दमकल कर्मियों ने दो गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाया, नहीं तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता था।
एक अग्निशमन कर्मी ने बताया, “आग की भयावहता इतनी थी कि एक गाड़ी से काबू पाना नामुमकिन था। स्थानीय लोगों की मदद से दूसरी गाड़ी को बुलाया गया। 3-4 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया गया।”
हालांकि पीड़ित किसान प्रशासन से समुचित मुआवज़ा और बिजली विभाग के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बिजली विभाग की चुप्पी और बढ़ता आक्रोश
घटना के बाद जब पत्रकारों ने बिजली विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, तो कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने आने को तैयार नहीं था। स्थानीय JE और SDO से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और घटना की जिम्मेदारी लेने से बचते रहे।
गांव के ग्रामीणों और किसानों में यह व्यवहार और भी आक्रोश पैदा कर रहा है। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर विभाग ने जिम्मेदारी नहीं ली और पीड़ितों को मुआवज़ा नहीं मिला, तो वे प्रखंड कार्यालय और बिजली विभाग का घेराव करेंगे।
आर्थिक नुकसान का आकलन और मुआवज़े की मांग
स्थानीय प्रशासन की ओर से राजस्व विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और नुकसान का सर्वेक्षण शुरू किया गया। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक बीघा में करीब 12 से 15 क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है। बाजार मूल्य के अनुसार, 50 बीघा फसल का अनुमानित नुकसान लगभग 10 से 12 लाख रुपये बताया जा रहा है।
किसानों की मांग है कि:
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बिजली विभाग की लापरवाही के लिए जांच समिति गठित की जाए
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दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो
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पीड़ित किसानों को समुचित मुआवज़ा और फसल बीमा का लाभ दिया जाए
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गांव में बिजली के तारों और पोल की तत्काल मरम्मत करवाई जाए
क्या कहते हैं जानकार और कृषि विशेषज्ञ?
कृषि विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार का कहना है, “आज के समय में फसल उत्पादन के साथ-साथ सुरक्षा भी बेहद आवश्यक हो गई है। अगर बिजली विभाग समय रहते पुराने तारों की मरम्मत करता या हाई वोल्टेज लाइन की नियमित जांच करता, तो यह हादसा रोका जा सकता था। यह सीधे तौर पर विभागीय लापरवाही का मामला है।”
कब सुधरेगी व्यवस्था?
भदौला, खालसापुर और बहेरा जैसे गांव आज एक बार फिर उस तंत्र की उदासीनता का शिकार हो गए, जो किसानों को सिर्फ वोट बैंक समझता है। जहां किसान अपनी जान की बाज़ी लगाकर अन्न उगाता है, वहीं उसकी मेहनत को चंद चिंगारियां राख बना देती हैं और विभाग केवल कागज़ों में कार्रवाई करता है।
सरकार और जिला प्रशासन से उम्मीद है कि वे बिजली विभाग की जिम्मेदारी तय करें, किसानों को उचित मुआवज़ा दें और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।