हनुमान जयंती पर चपरी गांव में 24 घंटे अखंड कीर्तन और भव्य दुगोला कार्यक्रम का आयोजन

हनुमान जयंती पर चपरी गांव में 24 घंटे अखंड कीर्तन और भव्य दुगोला कार्यक्रम का आयोजन
— रिपोर्ट : चितरंजन कुमार ||
औरंगाबाद : ओबरा प्रखंड अंतर्गत चपरी गांव ने हनुमान जयंती के पावन अवसर पर आध्यात्मिक उत्सव की अनूठी मिसाल पेश की। गांव के श्रद्धालुओं और समिति के सहयोग से शुक्रवार से शुरू हुए 24 घंटे के अखंड संकीर्तन के उपरांत शनिवार की रात एक भव्य दुगोला कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसने क्षेत्र के सांस्कृतिक परंपराओं को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन जिले के प्रमुख जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों द्वारा संयुक्त रूप से फीता काटकर किया गया। उद्घाटन समारोह में औरंगाबाद के सांसद राजाराम सिंह, पूर्व विधायक सोमप्रकाश, जिला पार्षद सदस्य प्रतिनिधि शिव प्रकाश, मुखिया प्रतिनिधि संजय राम, मुनारिक राम, बिजेंद्र पासवान, उपेन्द्र पासवान, बीरबल बिहारी, और बैजनाथ यादव विशेष रूप से मौजूद रहे।
समर्पण और सेवा का परिचय
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान हनुमान के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से की गई। तत्पश्चात गांव की हनुमान जयंती समिति के सदस्यों द्वारा आगंतुक अतिथियों का अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ भेंट कर भव्य स्वागत किया गया। इस आयोजन में गांववासियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भक्तिभाव से कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।
सांसद ने की घोषणा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद राजाराम सिंह ने चपरी गांव की प्रशंसा करते हुए इसे सामाजिक सौहार्द्र और धार्मिकता का प्रतीक बताया। उन्होंने यह घोषणा की कि गांव में एक सामुदायिक भवन का निर्माण तथा एक सुव्यवस्थित छठ घाट बनवाया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को सामूहिक कार्यक्रमों और त्योहारों में सुविधा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से युवाओं में संस्कार और संस्कृति के प्रति लगाव बढ़ता है, जो समाज के लिए शुभ संकेत है।
दुगोला में दिखी लोक कला की अद्भुत छटा
हनुमान जयंती की रात आयोजित दुगोला कार्यक्रम ने लोगों को पूरी रात बाँधे रखा। बिहार के चर्चित लोकगायक विकास तूफान और झारखंड के लोक कलाकार भरथरी पासवान ने अपने सुमधुर गायन और लयबद्ध संवाद शैली से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दोनों कलाकारों ने रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, लोकगाथाएं, सामाजिक संदेशों और हास्य-व्यंग्य पर आधारित गीतों की प्रस्तुतियाँ दीं।
दुगोला का संचालन बहुत ही रोचक ढंग से हुआ, जिसमें एक गायक कोई विषय प्रस्तुत करता और दूसरा उसका उत्तर संगीत और तर्क के माध्यम से देता। यह शैली न केवल मनोरंजक होती है बल्कि श्रोताओं को सोचने पर भी मजबूर करती है। दर्शकों ने ताली और जयघोष के साथ कलाकारों की हौसलाअफजाई की।
गांव बना धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र
पूरे आयोजन के दौरान चपरी गांव पूरी तरह से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग में रंगा हुआ नजर आया। गांव की गलियों में भजन-कीर्तन की गूंज, जगह-जगह लगाई गई झालरें, रोशनी और श्रद्धालुओं की भीड़ ने मानो एक मेलापर्व का रूप ले लिया था। गांव के युवाओं और महिलाओं ने भी कार्यक्रम में विशेष रुचि दिखाई। महिलाओं ने कीर्तन मंडली में हिस्सा लिया और पुरुषों ने व्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई।
व्यवस्था रही सुसंगठित और अनुशासित
कार्यक्रम के सफल संचालन के पीछे हनुमान जयंती आयोजन समिति की महती भूमिका रही। समिति के सदस्य सिकंदर कुमार, दीपक सिंह, दिलीप पासवान, शिवनंदन पासवान, सुबोध कुमार, गोलू सिंह, रविंद्र पासवान, उमेश पासवान, बीरेंद्र पासवान, विजय पासवान, सिकंदर चंद्रवंशी और बृजकिशोर चंद्रवंशी ने दिन-रात मेहनत कर कार्यक्रम को अनुशासित और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराया।
समिति ने साफ-सफाई, पेयजल, शौचालय, विद्युत, भोजन और सुरक्षा की संपूर्ण व्यवस्था की। गांव की स्थानीय महिलाएं एवं युवतियां भी फूल-माला बनाने, प्रसाद वितरण और अतिथियों की सेवा में संलग्न रहीं।
सांस्कृतिक पहचान को संजोने का प्रयास
इस आयोजन के माध्यम से ग्रामीणों ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित और सुदृढ़ करने की पहल की है। ग्रामीणों ने बताया कि हनुमान जयंती के इस आयोजन को हर वर्ष और भव्य बनाने का प्रयास रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से चपरी गांव को सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
लोक परंपरा और आस्था का संगम
हनुमान जयंती जैसे आयोजन यह साबित करते हैं कि बिहार और झारखंड के ग्रामीण अंचल आज भी अपनी परंपराओं, संस्कृति और लोक विश्वासों से गहरे जुड़े हुए हैं। दुगोला जैसे लोकनाट्य शैली, जो धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी, ऐसे आयोजनों से पुनः जीवंत हो रही है।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि सामाजिक समरसता, सामूहिक सहभागिता, लोक संस्कृति के संरक्षण और युवा पीढ़ी में संस्कृति के बीज रोपण का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी रहा।
ग्रामीणों की ओर से आभार
कार्यक्रम के समापन पर गांव के बुजुर्गों और समिति के सदस्यों ने सभी अतिथियों, कलाकारों, सुरक्षा कर्मियों और उपस्थित जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से सांसद राजाराम सिंह के द्वारा किए गए आश्वासनों पर आभार जताया और उम्मीद जताई कि उनके सहयोग से गांव में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार होगा।
चपरी गांव में आयोजित हनुमान जयंती का यह आयोजन यह दर्शाता है कि ग्रामीण भारत आज भी अपने धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा हुआ है। 24 घंटे का अखंड कीर्तन और रात्रिकालीन दुगोला न केवल आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि लोक कला, परंपरा और जनभागीदारी की जीवंत मिसाल बन गया। ऐसे आयोजन निश्चित रूप से सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव को मजबूती देने का कार्य करते हैं।