कैमूर में ट्रैफिक पुलिस की दबंगई, रास्ता पूछने पर ट्रैक्टर चालक की पिटाई
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कैमूर में ट्रैफिक पुलिस की दबंगई! रास्ता पूछने पर ट्रैक्टर चालक की पिटाई और चालान, आधे घंटे तक सड़क रहा जाम
Report By: Rupesh Kumar Dubey (News Era ) || Date : 17 April 2025 ||
कैमूर, मोहनिया। बिहार के कैमूर जिले में स्थित मोहनिया के चांदनी चौक पर शनिवार को ट्रैफिक पुलिस की कथित दबंगई और मनमानी का मामला सामने आया है, जिसने न केवल ट्रैक्टर चालक को पीड़ा दी, बल्कि आम नागरिकों को भी भारी परेशानी में डाल दिया। घटना के बाद आधे घंटे तक सड़क पर हाई वोल्टेज ड्रामा चला और यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात को उजागर करता है कि किस तरह पुलिस के कुछ कर्मी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए आम नागरिकों को प्रताड़ित कर रहे हैं। इस घटना में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, वहीं पीड़ित ट्रैक्टर चालक ने न्याय की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
घटना की शुरुआत तब हुई जब एक ट्रैक्टर चालक, जो भभुआ से गेहूं लोड कर बाजार समिति, मोहनिया जा रहा था, मोहनिया के चांदनी चौक पर पहुंचा। वह रास्ते को लेकर भ्रमित था और ट्रैफिक पुलिस से दिशा पूछने के लिए रुका। ट्रैक्टर चालक का आरोप है कि उसने जैसे ही पुलिसकर्मी से विनम्रता से रास्ता पूछा, ट्रैफिक पुलिसकर्मी भड़क गया और उसकी लाठियों से पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद ट्रैक्टर का चालान काट दिया गया, जिसमें ₹500 का जुर्माना वसूला गया।
पीड़ित चालक का यह भी कहना है कि उसने ट्रैफिक नियमों का पालन करने की पूरी कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मी ने अपनी सत्ता का गलत इस्तेमाल करते हुए उसके साथ मारपीट की और गलत चालान काटा।
सड़क पर आधे घंटे तक रहा हंगामा
इस घटना के बाद ट्रैक्टर चालक ने न्याय की मांग को लेकर वहीं चांदनी चौक के बीचोबीच ट्रैक्टर खड़ा कर दिया, जिससे उस रूट पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। जाम में यात्री बस, ऑटो, निजी वाहन, एम्बुलेंस सहित कई वाहन फंस गए। भीषण गर्मी में फंसे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
सड़क जाम कर होता रहा हंगामा
आक्रोशित ट्रैक्टर चालक ने आरोपित ट्रैफिक पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जब आम नागरिक ही पुलिस से मदद नहीं मांग सकते, तो सिस्टम पर भरोसा कैसे किया जाए?
पुलिस की सफाई: “नो एंट्री जोन में घुसा था ट्रैक्टर”
घटना के बाद जब मीडिया और स्थानीय लोगों ने पुलिस से सवाल किए तो ट्रैफिक पुलिस की ओर से कहा गया कि ट्रैक्टर चालक ने नो एंट्री क्षेत्र में प्रवेश किया था, जो साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन है। इस कारण उसका चालान काटा गया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी तरह की मारपीट नहीं की गई है और पिटाई के आरोप झूठे हैं।
ट्रैफिक पुलिस का यह भी कहना है कि जाम की स्थिति ट्रैक्टर चालक द्वारा खुद ही खड़ी की गई, जो कि कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करने जैसा कृत्य है।
घटना पर प्रत्यक्षदर्शियों की राय
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब ट्रैक्टर चालक ने पुलिसकर्मी से रास्ता पूछा, तो पुलिस ने बिना किसी कारण उसके साथ दुर्व्यवहार किया। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि मारपीट की घटना सरेआम हुई और लोगों ने उसे रोकने की भी कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मी अपनी जिद पर अड़े रहे।
स्थानीय दुकानदारों और ऑटो चालकों ने घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ट्रैफिक पुलिस का व्यवहार अब आम जनता के लिए डर का कारण बन गया है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद चांदनी चौक और आस-पास के इलाके में लोगों में आक्रोश फैल गया। स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों ने पुलिस की इस कथित ज्यादती की निंदा करते हुए कहा कि अगर पुलिस ही लोगों से गलत व्यवहार करेगी, तो आम आदमी कहां जाएगा?
लोगों का यह भी कहना था कि मोहनिया में ट्रैफिक पुलिस का रवैया लंबे समय से कठोर और मनमाना रहा है, और इस पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं
घटना के वायरल होने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने भी मामले पर प्रतिक्रिया दी। कुछ नेताओं ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की, जबकि कुछ ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम जनता के साथ ऐसे व्यवहार से कानून का डर नहीं, बल्कि आक्रोश पैदा होगा।
क्या कहते हैं कानून के जानकार?
कानून के जानकारों का कहना है कि यदि किसी नागरिक को पुलिस से रास्ता पूछना है, तो वह उसका हक है। यदि किसी पुलिसकर्मी ने बिना किसी उचित कारण के मारपीट की है, तो यह पुलिसिया अत्याचार की श्रेणी में आता है, और उस पर विभागीय जांच व कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
घटना के बाद ट्रैक्टर चालक ने मोहनिया थाना में लिखित शिकायत देने की बात कही है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाता है या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा।
इस घटना ने ट्रैफिक पुलिस की छवि को जरूर प्रभावित किया है। जनता अब इस बात की उम्मीद कर रही है कि दोषी कर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो और ट्रैफिक व्यवस्था को नागरिकों के अनुकूल बनाया जाए।
कैमूर जिले के मोहनिया में हुई यह घटना सिर्फ एक ट्रैक्टर चालक की पिटाई भर नहीं है, यह उस सिस्टम का चेहरा है, जिसमें जनता की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। अगर इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती है, तो आने वाले समय में पुलिस और जनता के बीच का विश्वास और भी कमजोर हो सकता है। ट्रैफिक पुलिस के लिए जरूरी है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन मर्यादा और मानवता के साथ करें, ताकि जनता उनके काम की सराहना कर सके, डर महसूस न करे।