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कैमूर में वन एवं पर्यावरण मंत्री को काला झंडा, हिंदू संगठनों में उबाल

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कैमूर में वन एवं पर्यावरण मंत्री को काला झंडा, हिंदू संगठनों में उबाल

सारांस:

बिहार के कैमूर में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार को क्षत्रिय करणी सेना व हिंदू संगठनों ने काला झंडा दिखाया। रामनवमी जुलूस पर केस और DJ जब्ती को लेकर विरोध हुआ। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि केस वापस नहीं हुआ तो आंदोलन और BJP बहिष्कार होगा।

Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era)|| Date : 10 April 2025||

विस्तार:

बिहार के कैमूर जिले से एक बड़ी राजनीतिक हलचल की खबर सामने आ रही है। बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार को उनके कैमूर दौरे के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा। घटना उस समय घटी जब मंत्री सुनील कुमार सर्किट हाउस से भाजपा कार्यालय की ओर जा रहे थे। रास्ते में अखलाशपुर स्थित बस स्टैंड के पास उन्हें क्षत्रिय करणी सेना और अन्य हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए और जमकर नारेबाजी की गई।

मंत्री को कला झंडा दिखाते 

इस विरोध के पीछे का कारण रामनवमी जुलूस को लेकर हुए पुलिसिया कार्रवाई और प्रशासनिक रवैये को बताया जा रहा है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि रामनवमी के अवसर पर जुलूस निकालने के दौरान कई लोगों पर केस दर्ज किया गया, और DJ साउंड सिस्टम भी जब्त कर लिया गया, जो कि अस्वीकार्य है।

मीडिया Covrage करते पत्रकार 

घटना का क्रम

मंत्री सुनील कुमार अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत कैमूर पहुंचे थे, जहां उन्हें स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और विकास कार्यों की समीक्षा करनी थी। लेकिन जैसे ही उनका काफिला बस स्टैंड, अखलाशपुर के समीप पहुंचा, पहले से मौजूद करणी सेना और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने काला झंडा दिखाकर विरोध दर्ज किया।

प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर, बैनर और काले झंडे थे, जिन पर सरकार विरोधी नारे लिखे हुए थे। “हिंदुओं पर अत्याचार बंद करो”, “रामनवमी पर केस वापस लो”, “DJ जब्ती नहीं, धार्मिक सम्मान चाहिए” जैसे नारे गूंजने लगे।

विरोध को देखते हुए सुरक्षाकर्मी तुरंत हरकत में आए और मंत्री के काफिले को वैकल्पिक मार्ग से निकालकर गंतव्य तक पहुंचाया। हालांकि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन यह विरोध सरकार और संगठन दोनों के लिए संदेश के रूप में देखा जा रहा है।


विरोध का कारण: रामनवमी पर केस और DJ जब्ती

प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने बताया कि बीते रामनवमी के दौरान परंपरागत रूप से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जुलूस निकाला गया था। लेकिन इस बार प्रशासन ने न केवल जुलूस को रोकने की कोशिश की, बल्कि उसमें शामिल कई युवाओं पर केस दर्ज कर दिए गए। साथ ही धार्मिक आयोजन में बजने वाले DJ साउंड सिस्टम को भी जब्त कर लिया गया।

करणी सेना के बिहार प्रदेश प्रवक्ता प्रिंस सिंह ने इस मौके पर कड़ा बयान देते हुए कहा,
“बिहार में NDA की सरकार है, फिर भी हिंदू पर्वों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। यह हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। जब हम ही सुरक्षित नहीं हैं, तो हम किससे न्याय की उम्मीद करें?”

उन्होंने कहा कि BJP अपने आपको हिंदू हितैषी पार्टी बताती है, लेकिन प्रशासन की ओर से हिंदुओं को ही निशाना बनाया जा रहा है। यह दोहरा रवैया अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शनकारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने रामनवमी के दौरान दर्ज हुए सभी केस वापस नहीं लिए और जब्त किया गया DJ सिस्टम नहीं लौटाया, तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

प्रिंस सिंह ने यह भी कहा कि, “अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो ना सिर्फ राज्य सरकार के मंत्री, बल्कि BJP के सभी जनप्रतिनिधियों का पूरे बिहार में बहिष्कार किया जाएगा।”

हिंदू रक्षा वाहिनी, बजरंग दल, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा जैसे अन्य संगठनों ने भी इस विरोध का समर्थन किया है और सरकार को दो टूक संदेश दिया है कि धार्मिक आजादी में हस्तक्षेप संविधान और समाज दोनों के खिलाफ है।


मंत्री सुनील कुमार की प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम पर अब तक मंत्री सुनील कुमार की ओर से कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो वे इस घटना से आश्चर्यचकित और आहत हैं। उनके करीबी सहयोगियों ने बताया कि मंत्री जी का उद्देश्य केवल विकास कार्यों की समीक्षा और संगठन के कार्यकर्ताओं से संवाद करना था, और यह विरोध गैरजरूरी और पूर्वनियोजित था।

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध सिर्फ एक मंत्री के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे NDA गठबंधन की सरकार के तौर-तरीकों के खिलाफ है। इसे आने वाले चुनावी समीकरणों में एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।


प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में

इस घटना के बाद प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रामनवमी के जुलूस पर अकारण सख्ती की गई। जबकि पहले कई वर्षों से यह कार्यक्रम शांति और परंपरा के अनुसार संपन्न होता रहा है।

प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन कैमूर एसपी कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम का हवाला देते हुए DJ सिस्टम की जब्ती और केस दर्ज किए गए थे।

हालांकि सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे धार्मिक अवसरों पर बिना किसी झड़प या घटना के केवल ध्वनि सीमा पार करने पर इतने कड़े कदम जरूरी थे?


सामाजिक संगठनों और आम जनता की प्रतिक्रिया

स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया भी मिश्रित रही है। कुछ लोग सरकार के कानून पालन को सही ठहराते हैं, तो कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं।

महिला संगठन की सदस्य अंजली श्रीवास्तव ने कहा, “धार्मिक आयोजन करना हमारा मौलिक अधिकार है। यदि DJ की आवाज ज्यादा है तो नियम बनाए जाएं, लेकिन सीधे जब्ती और केस करके युवाओं का भविष्य बर्बाद करना कहां की नीति है?”

वहीं दूसरी ओर कुछ बुद्धिजीवी वर्ग यह भी कह रहे हैं कि आवाज़ उठाना ठीक है, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से विरोध हो, ताकि संवाद के लिए रास्ता खुला रहे।


राजनीतिक असर और आगे की रणनीति

यह विरोध BJP के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव करीब हैं और NDA गठबंधन को हिंदू वोट बैंक को मजबूत बनाए रखने की जरूरत है।

यदि सरकार समय रहते इस मामले को सुलझाने में असफल रही, तो इसका प्रभाव पूरे बिहार में महसूस किया जा सकता है। इससे विपक्ष को भी सशक्त हमला बोलने का मौका मिल सकता है।

विरोध कर रहे संगठनों ने संकेत दिया है कि वे जल्द ही राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे, और जरूरत पड़ने पर राजधानी पटना में प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

कैमूर में मंत्री सुनील कुमार को काला झंडा दिखाए जाने की घटना ने एक बार फिर बिहार की राजनीति को धार्मिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप के मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक बड़े असंतोष की आहट है जो अगर समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो शासन और संगठन दोनों को भारी पड़ सकता है।

अब देखना यह होगा कि बिहार सरकार इस विरोध को कैसे लेती है? क्या रामनवमी के केस वापस लिए जाएंगे? क्या DJ सिस्टम लौटाया जाएगा? या फिर यह आंदोलन एक बड़े जनआंदोलन का रूप ले लेगा?

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