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ओबरा में 20 अप्रैल को सामूहिक विवाह समारोह 

Aurangabad News

ओबरा में 20 अप्रैल को सामूहिक विवाह समारोह 

संक्षिप्त समाचार:

औरंगाबाद के ओबरा प्रखंड स्थित वृंदावन वाटिका मैरेज हॉल में 20 अप्रैल को सड़क दुर्घटना रोकथाम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 11 जोड़े वैदिक विधि-विधान के साथ परिणय सूत्र में बंधेंगे। विवाह के उपरांत गृहस्थी सामग्री भी उपहार स्वरूप दी जाएगी।

     Report By : Chitranjan Kumar (News Era) Aurangabad || Date : 18 April 2025||

विस्तारित खबर :

बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड मुख्यालय स्थित वृंदावन वाटिका मैरेज हॉल एक बार फिर सामाजिक सौहार्द और परोपकार की मिसाल बनने जा रहा है। आगामी 20 अप्रैल, रविवार को यहां सड़क दुर्घटना रोकथाम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में द्वितीय सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 11 जोड़े वर-वधू वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच परिणय सूत्र में बंधेंगे।

इस समारोह की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। विवाह स्थल को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है और आयोजक टीम के सदस्य कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

सामाजिक समरसता का प्रतीक बनेगा यह आयोजन

इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ विवाह कराना नहीं है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश देना है—“सादगी, सहकारिता और समर्पण के साथ जीवन की नई शुरुआत भी खूबसूरत हो सकती है।” आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए सामूहिक विवाह समारोह एक बहुत बड़ी मदद साबित होता है, जिसमें न केवल विवाह की रस्में निभाई जाती हैं, बल्कि नवविवाहित जोड़ों को गृहस्थ जीवन की शुरुआत के लिए आवश्यक सामग्री भी उपहार स्वरूप दी जाती है।

पिछले माह ही पूरे हो गए थे निबंधन की प्रक्रिया

सड़क दुर्घटना रोकथाम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के सक्रिय सदस्यों—पुष्कर अग्रवाल, चंदन सिंह, नॉलेश मिश्रा, सहजानंद डिक्कू, आनंद विश्वकर्मा, मुकेश कुमार, रॉकी दूबे, गुड्डू सिंह एवं धीरज सिंह—ने जानकारी दी कि सभी 11 जोड़े का कानूनी निबंधन कार्य पिछले माह विधिवत रूप से पूरा कर लिया गया था। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि कार्यक्रम केवल धार्मिक नहीं, बल्कि कानूनी तौर पर भी मान्य हो।

सुबह 10 बजे से शुरू होगा समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10:00 बजे से की जाएगी। वैदिक परंपराओं के अनुसार पंडितों द्वारा सभी रस्में करवाई जाएंगी। मंडप में शंख और मंत्रोच्चारण की मधुर ध्वनि के बीच वर-वधू एक-दूसरे के साथ सात फेरे लेकर जीवनभर के बंधन में बंधेंगे। इस मौके पर दूल्हों की पारंपरिक शेरवानी और दुल्हनों की लाल जोड़ी की साज-सज्जा समारोह को और भी आकर्षक बना देगी।

गृहस्थ जीवन के लिए मिलेंगे उपहार

सामूहिक विवाह समारोह में शादी के बाद नवविवाहित जोड़ों को किचन और गृहस्थी के लिए आवश्यक सामग्री जैसे—बर्तन, बैड, चादर, बक्सा, कूलर, गैस चूल्हा, साड़ी, धोती और अन्य जरूरी घरेलू सामान उपहार स्वरूप दिए जाएंगे। ट्रस्ट ने इस पहल को सामाजिक सरोकारों से जोड़ते हुए कहा है कि यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक सेवा है, जिससे कई परिवारों को नई दिशा मिलेगी।

हर जाति, धर्म और वर्ग के लिए खुला आयोजन

इस सामूहिक विवाह समारोह में किसी जाति, धर्म, पंथ या वर्ग की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है। सभी वर्गों के पात्र जोड़े इसमें भाग ले सकते हैं। यह आयोजन समाज को धर्मनिरपेक्षता, सौहार्द और समरसता का संदेश देता है, जो आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।

कमेटी के सदस्य कर रहे हैं अथक प्रयास

कार्यक्रम की सफलता के लिए ट्रस्ट की पूरी टीम कड़ी मेहनत कर रही है। हर सदस्य को अलग-अलग जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं—कोई मेहमानों के स्वागत की व्यवस्था देख रहा है, तो कोई मंच सज्जा, भोजन, और विवाह सामग्री वितरण की तैयारी में जुटा है। आयोजन स्थल को सजाने के लिए रंग-बिरंगी लाइटें, फूलों की झालरें और पारंपरिक सजावट का उपयोग किया जा रहा है।

स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों का सहयोग

इस आयोजन में स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। स्थानीय समाजसेवियों ने भी इस पहल की सराहना की है और कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में विवाह को एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में स्थापित करने में मदद करते हैं।

पिछले वर्ष भी हुआ था पहला आयोजन

ज्ञात हो कि सड़क दुर्घटना रोकथाम फाउंडेशन द्वारा पिछले वर्ष भी प्रथम सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया था, जिसे लोगों ने खूब सराहा था। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष द्वितीय आयोजन को और भी भव्य और व्यवस्थित रूप में आयोजित किया जा रहा है।

सकारात्मक सामाजिक बदलाव की दिशा में एक कदम

ट्रस्ट के सदस्यों का मानना है कि यह पहल न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए मददगार है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक सोच को भी जन्म देती है। दिखावे और दहेज जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ यह आयोजन एक प्रेरणादायक मिसाल बन सकता है।

20 अप्रैल को जब 11 जोड़े वैदिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह बंधन में बंधेंगे, तो वह सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होगा, बल्कि यह समाज को एक नई सोच, नई दिशा और सेवा का संदेश देगा। सामूहिक विवाह जैसे आयोजन हमें यह याद दिलाते हैं कि

सादगी, सहयोग और संवेदना से ही समाज में सच्चा बदलाव संभव है।

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