प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी की पुण्यतिथि पर 20 अप्रैल को श्रद्धांजलि सभा: केंद्रीय मंत्री राज भूषण चौधरी समेत कई गणमान्य होंगे शामिल
दरभंगा न्यूज़

प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी की पुण्यतिथि पर 20 अप्रैल को श्रद्धांजलि सभा: केंद्रीय मंत्री राज भूषण चौधरी समेत कई गणमान्य होंगे शामिल
रिपोर्ट – प्रो० डॉ. आर.एन. चौरसिया, दरभंगा || तिथि : 19 अप्रैल 2025
दरभंगा। जुब्बा सहनी शोध एवं सेवा संस्थान, सुंदरपुर, दरभंगा के संस्थापक निदेशक एवं सीएम कॉलेज, दरभंगा के राजनीति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर 20 अप्रैल, 2025 (रविवार) को भव्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन अपराह्ण 2:00 बजे से स्मृति भवन, सुंदरपुर, वार्ड नंबर-4, दरभंगा में किया जाएगा, जिसमें देश-राज्य के कई प्रमुख नेता, शिक्षाविद् और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर भारत सरकार के केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी निषाद, बिहार सरकार के पिछड़ा-अतिपिछड़ा कल्याण मंत्री हरि सहनी, तथा भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सरावगी मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह आयोजन न केवल प्रो. सहनी की स्मृति को सम्मानित करेगा, बल्कि उनके शैक्षणिक, सामाजिक और वैचारिक योगदान को भी नई पीढ़ी के सामने लाएगा।
पत्रकारों के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस
श्रद्धांजलि सभा से पूर्व, अपराह्ण 1:00 बजे केंद्रीय मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी निषाद द्वारा एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दरभंगा समेत विभिन्न क्षेत्रों से आए पत्रकारों को आमंत्रित किया गया है। यह संवाददाता सम्मेलन आयोजन के उद्देश्य, प्रो. सहनी के योगदान और सामाजिक जागरूकता से जुड़ी चर्चा के लिए एक प्रमुख मंच साबित होगा।
संस्थान की भूमिका और आयोजन की तैयारी
जुब्बा सहनी शोध एवं सेवा संस्थान, दरभंगा न केवल अनुसंधान और समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय है, बल्कि यह संस्था लगातार सामाजिक चेतना, दलित जागरूकता और बौद्धिक विमर्श को जनसामान्य तक पहुँचाने में संलग्न रही है। प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी द्वारा स्थापित यह संस्थान वर्तमान में उनके पुत्र कृष्ण कुमार सत्यवादी उर्फ पप्पू सहनी के नेतृत्व में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
कृष्ण कुमार ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में दरभंगा नगर निगम की महापौर अंजुम आरा, उपमहापौर नाजिया हसन, जिला परिषद अध्यक्ष सीता देवी सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति एवं शिक्षाविद् शामिल होंगे। आयोजन को सफल बनाने के लिए एक विशेष आयोजन समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता पप्पू सहनी कर रहे हैं।
साहित्यिक योगदान का सम्मान – पुस्तक विमोचन भी होगा
इस श्रद्धांजलि सभा में प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी द्वारा लिखित उनकी 18वीं पुस्तक “अंधविश्वास एवं दलित शोषण” का विमोचन भी किया जाएगा। यह पुस्तक भारतीय समाज की उस सच्चाई को सामने लाती है, जिसमें अंधविश्वास ने दलित समुदाय के शोषण को एक सामाजिक मान्यता का रूप दे दिया। लेखक ने इस पुस्तक में ऐतिहासिक दृष्टिकोण, सामाजिक यथार्थ और दार्शनिक विमर्श के माध्यम से गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
उनकी अन्य प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल हैं:
- भारत के रत्न एवं बिहार के मोती
- मेरे सपने एवं संकल्प
- दलित साहित्य के चार स्तंभ (जिसका विमोचन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था)
- संत कबीर और उनका दर्शन
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद जुब्बा सहनी का योगदान
प्रो. सहनी की लेखनी ने हमेशा समाज के वंचित वर्गों की आवाज को मजबूती से अभिव्यक्त किया है।
शिक्षा और शोध में अतुलनीय योगदान
प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी न केवल एक लेखक थे, बल्कि एक प्रेरणादायक शिक्षक और शोध निर्देशक भी थे। उन्होंने कुल 24 शोधार्थियों को मार्गदर्शन दिया, जिनमें से 18 आज विभिन्न शिक्षण संस्थानों में प्राध्यापक/अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। उनकी अकादमिक दृष्टि, स्पष्ट सोच और समर्पण भाव ने उन्हें शिक्षाजगत में विशेष सम्मान दिलाया।
आयोजन समिति की बैठक और समर्पित कार्यकर्ता
कार्यक्रम की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता कृष्ण कुमार सत्यवादी ने की। बैठक में डॉ. आर.एन. चौरसिया, डॉ. प्रेम कुमार निषाद, डॉ. ध्रुव सहनी, डॉ. राकेश कुमार सिन्हा, प्रकाश सहनी, अमरचन्द्र सहनी, कुमार चन्द्र सहनी, सुभाष चन्द्र सहनी, सुरेन्द्र यादव तथा ऋषि कुमार सहित अनेक लोगों ने हिस्सा लिया। सभी ने आयोजन को गरिमामयी बनाने के लिए अपनी-अपनी जिम्मेदारियाँ तय कीं।
सामाजिक चेतना का प्रतीक बनता आयोजन
यह श्रद्धांजलि सभा न केवल एक स्मृति पर्व है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का वाहक भी है। प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी की विचारधारा – जो सामाजिक समरसता, शिक्षा, दलित उत्थान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती थी – आज भी प्रासंगिक है और नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।
20 अप्रैल को आयोजित होने वाली श्रद्धांजलि सभा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक विचार और चेतना का विस्तार है। यह आयोजन प्रो. सहनी जैसे शिक्षाविद् को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक अवसर है, साथ ही उनके कार्यों और विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम भी है। जुब्बा सहनी शोध एवं सेवा संस्थान की यह पहल निस्संदेह दरभंगा और बिहार के बौद्धिक जीवन में एक प्रेरक घटना के रूप में याद की जाएगी।