पटना में भयंकर अग्निकांड: विश्वकर्मा टिम्बर में लगी आग से करोड़ों का नुकसान, 40 लोगों का रेस्क्यू
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पटना में भयंकर अग्निकांड: विश्वकर्मा टिम्बर में लगी आग से करोड़ों का नुकसान, 40 लोगों का रेस्क्यू
संक्षिप्त न्यूज़ :
पटना के पीरमुहानी स्थित विश्वकर्मा टिम्बर में रविवार देर रात भीषण आग लगने से 1 करोड़ की लकड़ी जल गई। 10 घर चपेट में आए, 40 लोगों को रेस्क्यू किया गया। 30 दमकल गाड़ियों ने 9 घंटे में आग पर काबू पाया। जांच के लिए कमेटी गठित होगी।
Report By : Bipin Kumar (News Era ) || Date : 14 April 2025 ||
विस्तारित खबर
राजधानी पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र अंतर्गत पीरमुहानी स्थित विश्वकर्मा टिम्बर में रविवार की देर रात भीषण आग लग गई। इस हृदयविदारक हादसे में जहां करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो गई, वहीं 10 से अधिक घर भी चपेट में आ गए। आग इतनी विकराल थी कि पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस भीषण अग्निकांड में जान का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लाखों-करोड़ों की लकड़ी और अन्य सामग्रियां जलकर नष्ट हो गईं।
🔹 आग की लपटें और घना धुआं: रातभर संघर्ष में जुटी रही फायर ब्रिगेड
आग लगने की सूचना फायर कंट्रोल रूम को रात 1:30 बजे मिली, जिसके तुरंत बाद दमकल की गाड़ियाँ घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गईं। देखते ही देखते लपटें कई फीट ऊपर उठने लगीं और धुएं का गुबार दूर-दूर तक फैल गया। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत करते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
फायर ब्रिगेड के अधिकारी अजित कुमार के अनुसार,
“मौके पर लगभग 30 दमकल गाड़ियाँ मौजूद रहीं। कंकड़बाग, लोदीपुर, सचिवालय, पटना सिटी सहित पटना के लगभग सभी फायर स्टेशनों से गाड़ियाँ मंगवाई गईं। आग बुझाने के लिए करीब 150 दमकल कर्मी पूरी रात डटे रहे। 5 लाख लीटर से अधिक पानी का इस्तेमाल किया गया है।”
हालांकि, आग पर काबू पाने में लगभग 9 घंटे से अधिक समय लग गया, और सुबह तक भी कुछ स्थानों से धुआं उठता देखा गया।
🔹 भीषण नुकसान: एक करोड़ से अधिक की लकड़ी जलकर नष्ट
विश्वकर्मा टिम्बर में बड़ी मात्रा में लकड़ी और फर्नीचर के कच्चे माल का भंडारण होता है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, करीब 1 करोड़ रुपए से अधिक की लकड़ी और अन्य सामग्री इस अग्निकांड में जलकर नष्ट हो गई है।
स्थानीय दुकानदारों और टिम्बर व्यवसायियों का कहना है कि:
“हमने जीवनभर की पूंजी इन लकड़ियों में लगाई थी। एक पल में सबकुछ राख हो गया। हमारा भविष्य अब अधर में है।”
🔹 रेस्क्यू ऑपरेशन: 40 लोगों की जान बचाई गई
जब आग ने विकराल रूप धारण किया, उस समय टिम्बर गोदाम के पास घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में लोग अपने घरों में सो रहे थे। आग की लपटें अचानक घरों तक पहुँचने लगीं। स्थिति को गंभीर होते देख अग्निशमन दल ने तत्परता दिखाते हुए 40 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
फायर ऑफिसर मनोज नट ने कहा:
“हमने प्राथमिकता के आधार पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और आसपास के घरों में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। कई लोग धुएं से बेहाल हो रहे थे, जिन्हें समय रहते बाहर निकाल लिया गया।”
🔹 भय और दहशत का माहौल: लोग रातभर रहे सड़कों पर
घटना स्थल के आस-पास के लोगों में दहशत का माहौल बना रहा। आग की भयावहता को देखते हुए लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। बच्चों और बुजुर्गों को लेकर परिवार सड़कों पर आ गए। कुछ लोगों ने अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने की कोशिश की, लेकिन तेज लपटों और घने धुएं के कारण स्थिति नियंत्रण में नहीं थी।
एक स्थानीय निवासी ने बताया:
“हमने पहले सोचा कि छोटा मोटा आग है, लेकिन थोड़ी ही देर में लपटें हमारे घरों तक पहुँच गईं। जान बचाकर हम बाहर भागे। बच्चे डरे हुए थे, महिलाएं रो रही थीं। ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा।”
🔹 कमेटी गठित कर जांच की अनुशंसा
फायर ब्रिगेड के पदाधिकारी मनोज नट ने इस गंभीर घटना की पृष्ठभूमि की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित करने की अनुशंसा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राथमिक जांच में शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है, लेकिन अंतिम निष्कर्ष रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगा।
मनोज नट ने कहा:
“हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसलिए जांच कमेटी का गठन ज़रूरी है। लापरवाही या नियमों की अवहेलना सामने आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
🔹 आगजनी से पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
यह पहला मौका नहीं है जब पीरमुहानी इलाके में आगजनी की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी यहां एक टिम्बर हाउस में आग लगी थी, जिसमें एक कर्मी की दम घुटने से मौत हो गई थी। इसके बावजूद फायर सेफ्टी नियमों की अनदेखी और अवैध भंडारण जैसी शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि:
“टिम्बर व्यवसायों को आबादी से दूर स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। लगातार आग लगने की घटनाएं इस पूरे इलाके को खतरे में डाल रही हैं।”
🔹 प्रशासनिक लापरवाही पर भी उठे सवाल
घटना के बाद प्रशासन की तत्परता भले ही नजर आई हो, लेकिन पूर्व-तैयारियों और अनुमति प्रक्रिया में भारी लापरवाही सामने आ रही है। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाए हैं कि इतनी मात्रा में ज्वलनशील सामग्री रखने के लिए क्या फायर एनओसी प्राप्त थी? क्या टिम्बर व्यवसायों का नियमित निरीक्षण होता है?
पटना नगर निगम और जिला प्रशासन से इस पर जवाब तलब करने की मांग की जा रही है।
🔹 नेताओं और सामाजिक संगठनों ने किया घटनास्थल का दौरा
घटना की सूचना मिलते ही कई सामाजिक संगठनों, जनप्रतिनिधियों और भाजपा नेता घटनास्थल पर पहुँचे और पीड़ितों से मिलकर हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। स्थानीय विधायक, पार्षद, और एनडीआरएफ प्रतिनिधियों ने भी स्थिति का जायजा लिया।
“हम सरकार से मांग करेंगे कि सभी प्रभावितों को उचित मुआवजा मिले और आगजनी के कारणों की निष्पक्ष जांच हो।”
🔚 एक चेतावनी है यह हादसा
यह हादसा केवल एक व्यापारिक नुकसान नहीं है, यह शहरी व्यवस्था, अग्नि सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। ऐसे हादसे केवल व्यापारियों का नुकसान नहीं करते, बल्कि पूरे समाज को डर के साए में डाल देते हैं।
अब ज़रूरत है कि प्रशासन जागे, फायर सेफ्टी नियमों को सख्ती से लागू किया जाए, और रिहायशी इलाकों में इस तरह के व्यवसायों की अनुमति पर पुनर्विचार हो।