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“संदलपुर में गूंजा जय भीम, लल्लू पटेल को मिला पंचशील सम्मान”

कैमूर न्यूज़

“संदलपुर में गूंजा जय भीम, लल्लू पटेल को मिला पंचशील सम्मान”

Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era) || Date :20 April 2025 ||

भभुआ प्रखंड के संदलपुर गांव में शनिवार की देर रात्रि अंबेडकर जयंती के शुभ अवसर पर एक भव्य सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गांववासियों द्वारा आत्मीयता और श्रद्धा से आयोजित इस समारोह ने सामाजिक समरसता और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम में दूर-दूर से ग्रामीण, युवा, समाजसेवी एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बहुजन समाज पार्टी के लोकप्रिय नेता एवं भभुआ जिला परिषद सदस्य विकाश सिंह उर्फ लल्लू पटेल को आमंत्रित किया गया था। स्थानीय समिति द्वारा उन्हें फूल-मालाओं और पंचशील चिह्न देकर ससम्मान मंच पर स्वागत किया गया। उपस्थित लोगों ने जोरदार तालियों और नारों के साथ उनका अभिनंदन किया।


बाबा साहब के योगदान को किया गया याद

अपने प्रेरणादायक भाषण में विकाश सिंह ने बाबा साहब अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन संघर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा:

“डॉ. अंबेडकर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने न केवल संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई, बल्कि समाज के उस तबके को आवाज दी, जिसे सदियों से दबाया और कुचला गया। बाबा साहब का जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्षों से भागना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मबल से जीतना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि अंबेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार माना और यही वजह है कि उन्होंने बार-बार कहा कि –

“शिक्षा शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा, उतना दहाड़ेगा।”


बच्चों को शिक्षित करने की अपील

विकाश सिंह ने अपने संबोधन में उपस्थित अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को हर हाल में स्कूल भेजें और उन्हें शिक्षित बनाएं, क्योंकि शिक्षा ही समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।
उन्होंने कहा:

“बाबा साहब ने हमें यह सिखाया कि आत्मसम्मान, अधिकार और न्याय के लिए सबसे पहले शिक्षित बनो। जब तक समाज शिक्षित नहीं होगा, तब तक किसी भी प्रकार का स्थायी बदलाव संभव नहीं।”


पंचशील चिह्न और संविधान पाठ के साथ विशेष श्रद्धांजलि

कार्यक्रम में अंबेडकर विचार मंच द्वारा विशेष रूप से पंचशील ध्वज को फहराया गया और भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया। लोगों ने मोमबत्तियाँ जलाकर बाबा साहब को श्रद्धांजलि दी और उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया।


सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां

कार्यक्रम में स्थानीय युवाओं व छात्राओं ने सामाजिक जागरूकता से जुड़े नाटक, भाषण, गीत और कविताओं की प्रस्तुति दी। बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया नाटक “डॉ. अंबेडकर का स्कूल जाने का संघर्ष” विशेष रूप से सराहनीय रहा, जिसे देखकर कई दर्शकों की आंखें नम हो गईं।

इसके अलावा महिला मंडल द्वारा ‘जय भीम’ गीतों की प्रस्तुति ने पूरे माहौल को सामाजिक चेतना और भावनाओं से भर दिया।


गांव के गणमान्य लोग भी रहे मौजूद

इस मौके पर क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी व गणमान्य नागरिक भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। प्रमुख रूप से शास्त्री यादव, अशोक यादव, शिव मंदिर राम, कन्हैया राम, अजीत राम, शिवकुमार पासवान, शाहिद, एवं अन्य कई स्थानीय प्रतिनिधि उपस्थित थे। सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।


बाबा साहब का वैश्विक प्रभाव

विकाश सिंह ने अपने भाषण में इस बात पर भी जोर दिया कि बाबा साहब का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें पूरे विश्व में सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। संयुक्त राष्ट्र तक ने डॉ. अंबेडकर के कार्यों को मान्यता दी है।

उन्होंने कहा:

“बाबा साहब ने जो संविधान हमें दिया है, वह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि यह हमारे स्वतंत्र अस्तित्व, आत्मसम्मान और समानता की नींव है। हमें उसे पढ़ने, समझने और उस पर अमल करने की ज़रूरत है।”


संदेश और प्रेरणा

कार्यक्रम के अंत में लल्लू पटेल ने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा कि वे जातिवाद, भेदभाव और अज्ञानता से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण में भाग लें। उन्होंने कहा:

“युवाओं को चाहिए कि वे अपने अधिकारों को जानें, अपने कर्तव्यों को निभाएं और बाबा साहब के बताए रास्ते पर चलें। तभी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”


आयोजन का उद्देश्य

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना और समाज के कमजोर वर्गों को संगठित कर उनके अंदर आत्मविश्वास का संचार करना था। आयोजकों ने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों को और भी भव्य तरीके से किया जाएगा।


छायाचित्र और मीडिया कवरेज

कार्यक्रम की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा की जा रही हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर स्थानीय युवाओं ने इसे शेयर कर बाबा साहब के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

संदलपुर गांव में आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और न्याय की एक बेजोड़ मिसाल था। इस आयोजन ने यह साबित किया कि बाबा साहब का विचार आज भी जीवंत है और आने वाली पीढ़ियों के लिए दिशा-निर्देशक बना रहेगा।

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