विदुपुर के राघोपुर चतुरंग में अष्टयाम यज्ञ के लिए निकली भव्य कलश शोभायात्रा, गूंजे वैदिक मंत्र और भक्ति की ध्वनि

विदुपुर के राघोपुर चतुरंग में अष्टयाम यज्ञ के लिए निकली भव्य कलश शोभायात्रा, गूंजे वैदिक मंत्र और भक्ति की ध्वनि
संवाददाता विशेष: अभिनय कुमार
वैशाली (विदुपुर) : आध्यात्मिकता और धार्मिक आस्था की अनुपम मिसाल पेश करते हुए राघोपुर चतुरंग गांव में नव निर्मित मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में आयोजित अष्ट याम यज्ञ के लिए रविवार को एक भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में पूरे क्षेत्र ने भागीदारी दिखाई, जिससे वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा।
251 महिलाओं ने कलश यात्रा में लिया भाग, चेचर घाट पर हुआ गंगा पूजन
भक्ति भाव से सराबोर इस कलश शोभायात्रा की शुरुआत स्थानीय चेचर घाट से हुई, जहां पूरे विधि-विधान से गंगा पूजन संपन्न कराया गया। तत्पश्चात, 251 श्रद्धालु महिलाएं पारंपरिक परिधान में सिर पर कलश लेकर, भजन-कीर्तन करते हुए जलभरी के लिए आगे बढ़ीं। डोल-नगाड़ों, शंखध्वनि और जयकारों के साथ इस शोभायात्रा ने धार्मिक उत्सव का दृश्य प्रस्तुत किया।
कलश यात्रा को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे। घरों के सामने दीप जलाकर और पुष्पवर्षा कर महिलाओं का स्वागत किया गया। मार्ग में पूरे गांव को भक्ति रंग में रंग दिया गया था—तोरण द्वार, फूलों की सजावट और भगवा झंडियों से पूरा मार्ग सजा हुआ था।
यज्ञाचार्य नितेश झा के नेतृत्व में हो रहा वैदिक अनुष्ठान
इस अष्ट याम यज्ञ और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रमुख आचार्य नितेश झा हैं, जिनके नेतृत्व में एक विद्वान पंडितों की टोली वैदिक विधि से सभी कर्मकांडों को संपन्न करवा रही है। आयोजक अमरेंद्र गिरी ने जानकारी दी कि यज्ञ से पूर्व रविवार को सत्यनारायण भगवान की पूजा एवं कुल देवी-कुल देवता का पूजन विधिपूर्वक किया गया।
यज्ञ का आयोजन सुसंगठित रूप से चरणबद्ध
अमरेंद्र गिरी ने बताया कि यह आयोजन पूरी तरह चरणबद्ध और पारंपरिक वैदिक पद्धति से सम्पन्न कराया जा रहा है। रविवार को पूजन के बाद सोमवार को कलश यात्रा संपन्न हुई। अब यज्ञशाला में सर्वतोभद्र मंडल, नैवेद्य वेदी, अग्नि वेदी समेत अन्य आवश्यक स्थापनाएं बनाई जा रही हैं।
मंगलवार को मूर्ति का नगर भ्रमण कराया जाएगा, जो कि विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। इस दिन मूर्ति का जलाधिवास, फलाधिवास, फुलाधिवास, अन्नाधिवास आदि विभिन्न अनुष्ठान संपन्न होंगे। ये सभी अनुष्ठान मूर्ति में जीवन, संवेदना और चेतना का संचार करने के लिए किए जाते हैं।
बुधवार को विधिवत प्राण प्रतिष्ठा के साथ अष्ट याम यज्ञ का शुभारंभ किया जाएगा। यज्ञ में गायत्री, रुद्र, दुर्गा, विष्णु, गणपति, नवग्रह आदि के मंत्रों के माध्यम से आहुतियाँ दी जाएँगी।
गुरुवार को पूर्णाहुति और भव्य भंडारा, रात में राम विवाह की झांकी
गुरुवार को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं का पूजन और आभार प्रकट कर यज्ञ का समापन किया जाएगा। इसके उपरांत सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। आयोजन समिति ने बताया कि सभी के लिए निःशुल्क प्रसाद और भोजन की व्यवस्था की गई है।
रात्रिकाल में भक्ति और कला का संगम प्रस्तुत करते हुए प्रसिद्ध कथावाचक बसंत ठाकुर व्यास द्वारा राम विवाह प्रसंग की संगीतमय झांकी प्रस्तुत की जाएगी। इस आयोजन को लेकर ग्रामीणों, खासकर महिलाओं और बच्चों में भारी उत्साह है।
ग्रामीणों की सहभागिता और आयोजन समिति का सक्रिय योगदान
इस भव्य धार्मिक आयोजन को सफल बनाने में गांव के कई श्रद्धालुओं ने विशेष योगदान दिया है। आयोजन समिति में वंशीधर गिरी, सत्येंद्र गिरी, धीरेन्द्र गिरी, राजेश गिरी, रूपेश गिरी, ई. अभिषेक गिरी, ई. अभिजीत गिरी आदि की भूमिका सराहनीय रही है। इन्होंने आयोजन की रूपरेखा तय करने से लेकर व्यवस्था को धरातल पर उतारने तक लगातार परिश्रम किया है।
स्थानीय युवा भी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वे जल सेवा, सुरक्षा व्यवस्था, मार्गदर्शन और अन्य व्यवस्थाओं को संभाल रहे हैं। वहीं महिलाओं ने प्रसाद निर्माण, सजावट और स्वच्छता व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है।
धार्मिक आयोजन से ग्राम में उमंग और समरसता
इस आयोजन ने केवल धार्मिक भावना को ही नहीं, बल्कि ग्रामवासियों के बीच एकता, समरसता और सहयोग की भावना को भी मजबूती प्रदान की है। ऐसे आयोजनों से सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलता है और परंपराएं पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित रहती हैं।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि वर्षों बाद इतना भव्य और संगठित आयोजन देखने को मिला है। वहीं बच्चों और युवाओं के लिए यह आयोजन संस्कृति से जुड़ने और आध्यात्मिक चेतना को समझने का अवसर बनकर सामने आया है।
राघोपुर चतुरंग गांव में हो रहा यह धार्मिक आयोजन न केवल एक परंपरा को जीवंत कर रहा है, बल्कि नई पीढ़ी के सामने भारतीय संस्कृति की गहराई, वेदों की वैज्ञानिकता और सामाजिक सहभागिता का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। श्रद्धा, समर्पण, सेवा और संस्कृति—इन चार स्तंभों पर टिका यह आयोजन निश्चित ही ग्रामीण जीवन के सौंदर्य और अध्यात्म की शक्ति को उजागर कर रहा है।