भगवती संगठन ने पकड़ी शराब की दो पेटी, प्रशासन पर उठे सवाल
Mp. (दमोह ) न्यूज़

भगवती संगठन ने पकड़ी शराब की दो पेटी, प्रशासन पर उठे सवाल
रिपोर्ट – महेन्द्र सिंह, स्टेट ब्यूरो चीफ, न्यूज़ इरा चैनल || तिथि : 21 मई 2025 ||
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में आज एक बार फिर जनसंगठनों की सक्रियता और सामाजिक प्रतिबद्धता देखने को मिली। भगवती मानव कल्याण संगठन एवं भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ग्राम तारादेही में बम्हौरी रोड पर अवैध रूप से ले जाई जा रही शराब की दो पेटियाँ पकड़कर प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है। यह घटना 19 मई 2025 की सुबह लगभग 7 बजे की है, जब कार्यकर्ताओं को स्थानीय सूचना मिली कि शराब की एक बड़ी खेप बम्हौरी की ओर ले जाई जा रही है।
50 बोतल लाल मसाला, 50 प्लेन शराब की बरामदगी
संगठन के सेक्टर प्रभारी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए एक मोटरसाइकिल को रोका, जिस पर दो व्यक्ति सवार थे। पूछताछ के दौरान संदिग्धों की गतिविधियों को लेकर संदेह हुआ और तलाशी लेने पर मोटरसाइकिल से दो पेटियाँ बरामद हुईं। इन पेटियों में 50 बोतल लाल मसाला और 50 बोतल प्लेन अवैध शराब पाई गई।
यह घटना तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम तारादेही की है, जो अब जिले में शराब के खिलाफ चल रहे अभियानों के लिए एक मिसाल बन गई है।
संगठन ने जताई प्रशासन से नाराज़गी, उठाई शराबबंदी की मांग
इस सफल कार्रवाई के बाद संगठन के सदस्यों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर प्रशासन शराबबंदी को गंभीरता से लागू नहीं करता, तो ये मुहिम और तेज़ की जाएगी। भगवती मानव कल्याण संगठन और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी लंबे समय से प्रदेश में शराब के अवैध व्यापार और उसके सामाजिक प्रभावों के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं।
संगठन के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है:
“शराब के कारण गांवों और कस्बों में आए दिन दुर्घटनाएं, घरेलू हिंसा और अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यदि समय रहते शराबबंदी लागू नहीं हुई, तो हमारा आंदोलन नशा मुक्ति वरना अभियान के रूप में पूरे जिले में फैलाया जाएगा।”
नशा मुक्ति अभियान की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
भगवती मानव कल्याण संगठन का मुख्य उद्देश्य समाज से नशा, अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करना है। इस संगठन ने देश के कई हिस्सों में शराब और नशे के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चलाए हैं। वहीं भारतीय शक्ति चेतना पार्टी भी सामाजिक सुधार की दिशा में कार्य कर रही है और विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से बचाने की दिशा में काम कर रही है।
इन दोनों संगठनों का मानना है कि सरकार को चाहिए कि वह स्थायी और कठोर नीतियों के माध्यम से नशे के स्रोतों को समाप्त करे। अवैध शराब का कारोबार न सिर्फ युवाओं को बर्बादी की ओर धकेलता है, बल्कि समाज में अपराध का आधार भी बनता है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
जहां एक ओर समाजसेवी संगठन अवैध शराब को पकड़ने में सफल हो रहे हैं, वहीं प्रशासन की निष्क्रियता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन सतर्क होता तो अवैध शराब की ये खेप गांव तक पहुंच ही नहीं पाती। यह घटना साफ दिखाती है कि या तो निगरानी तंत्र कमजोर है या फिर कुछ लोग जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं।
एक स्थानीय नागरिक ने ग़ुस्से में कहा:
“यदि समाज के कार्यकर्ता खुद जान पर खेलकर शराब पकड़ रहे हैं, तो फिर पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी कहां है? क्या यह काम केवल संगठनों का है?”
पुलिस को सौंपी गई शराब, आरोपियों की पहचान में जुटी टीम
पकड़ी गई शराब की दोनों पेटियाँ बाद में स्थानीय पुलिस को सौंप दी गईं। वहीं मोटरसाइकिल पर सवार दोनों आरोपी भाग निकले। संगठन के कार्यकर्ताओं ने उनकी पहचान कराने में भी सहयोग का वादा किया है।
पुलिस के अनुसार, मामला दर्ज कर लिया गया है और दोषियों की तलाश जारी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लिया जा रहा है और ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संगठन की चेतावनी – “अब नहीं रुकेगा आंदोलन”
संगठन के ज़िला प्रभारी और अन्य पदाधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि प्रशासन ने आने वाले समय में अवैध शराब के खिलाफ ठोस और असरदार कदम नहीं उठाए, तो गांव-गांव में नशा मुक्ति अभियान और भी तेज़ किया जाएगा। जनसभाएं, पदयात्राएं और धरने-प्रदर्शन जैसे सशक्त माध्यमों से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
यह भी कहा गया कि शराब के कारण सबसे अधिक महिलाएं और बच्चे प्रभावित होते हैं। इसलिए महिलाओं की भागीदारी को भी आंदोलन में बढ़ाया जाएगा।
समाज को दिशा देने वाली पहल
यह घटना न केवल एक स्थानीय सफलता है, बल्कि समाज को दिशा देने वाली पहल भी है। यह उदाहरण दिखाता है कि जब समाज जागरूक होता है, तो वह स्वयं अपनी रक्षा करने में सक्षम होता है। अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ एक संगठन की नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की है जो अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित देखना चाहता है।
दमोह जिले के तारादेही में अवैध शराब की बरामदगी और संगठन की सक्रियता आने वाले समय में सामाजिक आंदोलनों को नई दिशा दे सकती है। प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वह इस मुहिम का समर्थन करें और ऐसे संगठनों को सहयोग प्रदान करें जो समाज की बेहतरी के लिए बिना किसी स्वार्थ के काम कर रहे हैं।
यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या विकराल रूप ले सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लिया जाएगा और शराब के विरुद्ध यह संघर्ष आने वाले दिनों में और अधिक व्यापक और सशक्त रूप से सामने आएगा।