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“दमोह में मंदिरों के पास कलारी पर बवाल”

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“दमोह में मंदिरों के पास कलारी पर बवाल”


रिपोर्ट : महेन्द्र सिंह, स्टेट ब्यूरो चीफ (MP) न्यूज इरा चैनल || Date : 24 May 2025 ||

(MP ): दमोह जिले के सागर नाका क्षेत्र में स्थित कृषि उपज मंडी के समीप एक सरकारी शराब दुकान (कलारी) को हटाने की मांग को लेकर क्षेत्र में विरोध तेज हो गया है। इस आंदोलन की अगुवाई समाजसेवी संगठन भगवती मानव कल्याण संगठन द्वारा की जा रही है। संगठन के नेतृत्व में सागर नाका वार्ड के सैकड़ों निवासी कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई कि सागर नाका मंडी परिसर के पास स्थित शराब दुकान को तत्काल हटाया जाए।

मंदिरों के बीच कलारी, आस्था को ठेस

कलारी जिस स्थान पर स्थित है, उसके ठीक पास ही दो जैन मंदिर और एक शिव मंदिर हैं। ये मंदिर केवल आस्था के केंद्र नहीं, बल्कि वार्ड की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक हैं। क्षेत्र की महिलाएं सुबह-शाम इन मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए जाती हैं, लेकिन शराब दुकान के समीप होने से उन्हें न केवल असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है, बल्कि शराबियों की छींटाकशी, अभद्रता और अपमानजनक व्यवहार झेलना पड़ता है।

महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल

वार्ड की महिलाएं खासतौर पर इस स्थिति से भयभीत हैं। उन्होंने बताया कि कई बार मंदिर जाते समय शराबियों द्वारा फब्तियां कसना, रास्ता रोकना और अनुचित हरकतें करना आम बात हो गई है। यह स्थिति न सिर्फ महिलाओं की स्वतंत्रता और गरिमा पर हमला है, बल्कि क्षेत्र की कानून व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करती है।

किसान समुदाय में असंतोष

यह कलारी सिर्फ धार्मिक गतिविधियों को ही प्रभावित नहीं कर रही, बल्कि कृषि उपज मंडी में आने वाले किसानों के लिए भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। किसान जब अपनी मेहनत का अनाज बेचकर मंडी से पैसा लेकर निकलते हैं, तो कलारी का पास होना उन्हें एक गलत दिशा में मोड़ देता है। कई किसान तुरंत शराब की लत में फंस जाते हैं, जिससे घर की आमदनी बर्बाद होती है और पारिवारिक अशांति का माहौल बन जाता है।

स्थानीय किसानों ने बताया कि मंडी के ठीक पास शराब दुकान होना ‘किसान हितों’ के खिलाफ है। कई बार इस कलारी के बाहर झगड़े, मारपीट और चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। व्यापारियों और स्थानीय दुकानदारों में भय का माहौल व्याप्त है।

पूर्व में भी हुई थी कार्रवाई की घोषणा

ज्ञापन में बताया गया कि पूर्व में जिला कलेक्टर महोदय द्वारा एक टीम गठित की गई थी, जिसमें इस कलारी को हटाने हेतु स्थल निरीक्षण कर इसे ‘अनुचित स्थल’ घोषित किया गया था। उस समय टीम ने माना था कि धार्मिक स्थलों और कृषि मंडी के पास इस तरह की दुकान सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनुचित है। लेकिन कुछ अधिकारियों की उदासीनता और शराब माफिया के कथित दबाव में आकर यह कलारी आज भी वहीं की वहीं संचालित हो रही है।

जनभावनाओं की अनदेखी, प्रशासन की निष्क्रियता?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब प्रशासनिक जांच में भी यह स्थल अनुपयुक्त पाया गया था, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या जनता की सुरक्षा, धार्मिक भावनाओं और सामाजिक व्यवस्था से अधिक शराब माफिया का दबाव महत्वपूर्ण हो गया है?

इस आंदोलन में शामिल भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि इस बार भी जिला प्रशासन ने जनभावनाओं की अनदेखी की, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। संगठन के प्रदेश स्तर के नेताओं तक इस मुद्दे को पहुँचाया जाएगा और जरूरत पड़ी तो सड़क जाम, मंडी बंद और आमरण अनशन जैसे कदम भी उठाए जाएंगे।

बच्चों और युवाओं पर बुरा असर

सागर नाका एक घनी आबादी वाला इलाका है जहाँ कई शिक्षण संस्थान और कोचिंग सेंटर भी हैं। स्थानीय शिक्षकों और अभिभावकों ने चिंता जताई है कि कलारी के आसपास बच्चों और युवाओं का आना-जाना बना रहता है। कई बार उन्हें शराबियों के अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका मानसिक विकास भी प्रभावित हो सकता है।

एक शिक्षक ने बताया, “हम बच्चों को नैतिक शिक्षा देते हैं, लेकिन जब वे स्कूल से लौटते हुए शराब पीते लोगों को देखते हैं, तो समाज के दोहरे चेहरे के बारे में क्या सोचेंगे?”

ज्ञापन में रखी गई प्रमुख माँगें

  1. सागर नाका कृषि उपज मंडी के पास से कलारी को तत्काल हटाया जाए।

  2. धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों के समीप किसी भी प्रकार की शराब दुकान की अनुमति न दी जाए।

  3. स्थानीय महिलाओं और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

  4. भविष्य में कलारी को पुनः उसी क्षेत्र में स्थापित न किया जाए।

  5. शराब माफिया और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों की जांच हो।

प्रशासन से जवाब का इंतजार

ज्ञापन सौंपे जाने के बाद अब जिला प्रशासन के रुख पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेगा और जनहित को प्राथमिकता देते हुए विवादित कलारी को हटाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।

धर्म, समाज और संवेदनशीलता की परीक्षा

सागर नाका की यह घटना केवल एक शराब दुकान हटाने की मांग तक सीमित नहीं है, यह समाज में आस्था, महिला सुरक्षा, किसान कल्याण और प्रशासनिक ईमानदारी की भी परीक्षा है। यदि प्रशासन ने इस बार जनभावनाओं को दरकिनार किया, तो इसका असर सिर्फ दमोह नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के अन्य ऐसे क्षेत्रों पर पड़ेगा जहाँ लोग कलारी के दुष्प्रभाव से जूझ रहे हैं।

जनता की मांग है साफ – “आस्था के मार्ग में अड़चन नहीं, समाधान चाहिए।”

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