गौ तस्करी पर नकेल: रोहतास में गौ रक्षा वाहिनी ने पकड़ा 49 गायों से लदा कंटेनर

गौ तस्करी पर नकेल: रोहतास में गौ रक्षा वाहिनी ने पकड़ा 49 गायों से लदा कंटेनर, चार तस्कर गिरफ्तार
News Era \ Rupesh Kumar Dubey \
रोहतास, बिहार — जिले के डिहरी अनुमंडल अंतर्गत जीटी रोड स्थित कोल डिपो के समीप एक बड़े गौ तस्करी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। शनिवार की सुबह गौ रक्षा वाहिनी की सतर्कता और तत्परता के चलते एक कंटेनर से 49 गायों को मुक्त कराया गया, जो कथित रूप से अवैध रूप से उत्तर प्रदेश के बनारस से बिहार के औरंगाबाद की ओर ले जाया जा रहा था।
वाहिनी के सदस्यों ने कंटेनर को रुकवाकर तुरंत पुलिस को सूचना दी। हालांकि पुलिस की देर से पहुंचने पर गौ रक्षा वाहिनी के सदस्य नाराज दिखे। अंततः मौके पर पहुंची पुलिस ने कंटेनर को जब्त कर लिया और इसमें सवार चार पशु तस्करों को गिरफ्तार कर लिया गया।
सतर्कता से हुई तस्करी की रोकथाम
गौ रक्षा वाहिनी के जिला अध्यक्ष धीरज कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि एक कंटेनर, जिसमें भारी संख्या में गायें लदी हैं, बनारस से होकर औरंगाबाद जा रहा है। सूचना मिलते ही गौ रक्षा वाहिनी की टीम सक्रिय हो गई और जीटी रोड पर स्थित कोल डिपो के पास मोर्चा संभाला।
वाहिनी के सदस्यों ने कंटेनर को रोकने के साथ ही डालमियानगर थाना प्रभारी सुशांत मंडल और क्षेत्रीय अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को फोन कर जानकारी दी। लेकिन सूचना मिलने के बावजूद पुलिस देर से पहुंची, जिससे मौके पर कुछ समय के लिए तनाव की स्थिति बन गई।
थानाध्यक्ष ने उठाए सवाल, वाहन जब्त
जब थानाध्यक्ष सुशांत मंडल ने मौके पर पहुंचने से पहले फोन पर वाहिनी के सदस्यों से यह पूछा कि “आप किस अधिकार से कंटेनर को रोके हैं”, तो इससे सदस्यों में असंतोष फैल गया। वाहिनी के सदस्यों का आरोप है कि वे समाजहित में कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस का रवैया हमेशा असहयोगात्मक रहता है।
बहरहाल, मौके पर पहुंचकर पुलिस ने स्थिति को संभाला और 49 गायों से लदे कंटेनर (जेएच-11-AK…) को जब्त कर लिया गया। साथ ही, कंटेनर में सवार चार पशु तस्करों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गई है।
गिरफ्तार आरोपितों की पहचान
गिरफ्तार पशु तस्करों की पहचान निम्नलिखित रूप में हुई है:
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कैफ कुरैशी – निवासी: भिलौरी, थाना: मोहनिया, जिला: कैमूर
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साबिर कुरैशी – निवासी: भिलौरी, थाना: मोहनिया, जिला: कैमूर
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शेख जसीम – निवासी: चैनपुर, जिला: कैमूर
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निहालुद्दीन कुरैशी – निवासी: अहरौरा, जिला: मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
ये सभी व्यक्ति आपसी सांठगांठ से बड़े पैमाने पर मवेशी तस्करी में संलिप्त बताए जा रहे हैं।
पशुओं को भेजा गया सासाराम गौशाला
थानाध्यक्ष सुशांत मंडल के निर्देश पर सभी 49 गायों को सासाराम स्थित गौशाला में सुरक्षित पहुंचाया गया। प्राथमिक जांच के अनुसार, पशुओं को अमानवीय स्थिति में ठूंसा गया था, जिससे कई गायें घायल अवस्था में पाई गईं।
पशु क्रूरता अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपितों से तस्करी के बड़े नेटवर्क की जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस रिमांड की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
गौ रक्षा वाहिनी की नाराजगी: “सम्मान के बदले अपमान”
गौ रक्षा वाहिनी के सदस्यों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है। “हमने पहले भी कई बार तस्करी के प्रयासों को नाकाम किया है। बावजूद इसके, पुलिस की तरफ से न तो सहयोग मिलता है और न ही कोई सार्वजनिक सराहना,” वाहिनी के प्रवक्ता ने कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि अक्सर पुलिस उन्हें अवरोधक या अति-उत्साही कार्यकर्ता मानकर ही पेश आती है, जबकि उनका उद्देश्य केवल गायों की रक्षा करना है।
पुलिस का पक्ष: “कानून व्यवस्था सर्वोपरि”
थानाध्यक्ष सुशांत मंडल ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल प्रक्रिया की जानकारी के लिए सवाल पूछा था। “कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। हम गौ रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हर कार्रवाई कानूनी ढांचे के भीतर ही होनी चाहिए,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरे प्रकरण में निष्पक्ष जांच होगी और तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय प्रतिक्रिया: तस्करी पर रोक जरूरी
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने भी इस कार्रवाई की सराहना की है, लेकिन साथ ही यह चिंता भी जताई है कि रोहतास और कैमूर की सीमा पर लगातार इस प्रकार की मवेशी तस्करी की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई लोगों ने मांग की कि प्रशासन को नियमित गश्ती और चेकिंग की व्यवस्था करनी चाहिए।
तस्करी पर नजर, लेकिन विश्वास की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि आमजन की सतर्कता से बड़ी आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। लेकिन यह भी उतना ही आवश्यक है कि पुलिस और सामाजिक संगठनों के बीच विश्वास और सहयोग की भावना बनी रहे।
गौ रक्षा वाहिनी और पुलिस प्रशासन, दोनों के बीच आपसी संवाद की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को और प्रभावी ढंग से रोका जा सके। तस्करी के इस गिरोह की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस को अब विस्तृत जांच करनी होगी, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इस नेटवर्क के पीछे और कौन-कौन लोग सक्रिय हैं।