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जनसुराज को मिला नया नेतृत्व: उदय सिंह बने राष्ट्रीय अध्यक्ष, PK ने सौंपी कमान

जनसुराज को मिला नया नेतृत्व: उदय सिंह बने राष्ट्रीय अध्यक्ष, PK ने सौंपी कमान

|| News Era || Patna ||

पटना, 19 मई 2025: बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव सोमवार को उस समय देखने को मिला, जब जनसुराज के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने पार्टी की कमान दो बार के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को सौंप दी। पटना में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रशांत किशोर ने उदय सिंह के नाम की घोषणा करते हुए उन्हें जनसुराज का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया।

यह फैसला जनसुराज की कोर कमेटी की सहमति के बाद लिया गया, जिसमें उदय सिंह की उम्र, अनुभव और पार्टी के गठन में उनकी भूमिका को देखते हुए सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का चेहरा बनाने का निर्णय लिया गया।


PK का भावुक संबोधन: “अब मेरा बोझ हल्का हो गया”

इस अवसर पर प्रशांत किशोर ने कहा, “अब मेरे कंधे का बोझ हल्का करने का समय आ गया है। जनसुराज को बनाने में उदय जी का अहम योगदान रहा है। उम्र और अनुभव में भी वो मुझसे बड़े हैं। कोर कमेटी ने मिलकर तय किया है कि उदय जी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे।”

PK ने आगे कहा, “मैं धीरे-धीरे संगठन में पीछे हटूंगा और पार्टी के नेता आगे बढ़ेंगे। मेरी भूमिका अब एक कुम्हार की होगी जो अपने घड़े को आकार देता है, परंतु सामने नहीं आता। कल से मैं अपनी यात्रा फिर से शुरू कर रहा हूं और अब पार्टी की जिम्मेदारी उदय जी, RCP जी और बाकी साथियों की होगी।”

यह बयान न केवल PK की रणनीतिक सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे जनसुराज को एक व्यक्ति विशेष की पार्टी के बजाय सामूहिक नेतृत्व और विचारधारा आधारित संगठन बनाना चाहते हैं।


उदय सिंह का राजनीतिक सफर: अनुभव और जमीनी पकड़

उदय सिंह बिहार की राजनीति का एक अनुभवी और चर्चित चेहरा हैं। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. पुटुल देवी के पुत्र हैं और राजनीति में उनका प्रवेश बचपन से ही हो गया था। उन्होंने कहा, “1977 में मेरी मां राजनीति में आई थीं, तब मैं बहुत छोटा था। मैंने मां को देखा, राजनीति को समझा। मुझे जो चिंता प्रशांत जी में बिहार को लेकर दिखी, उसका वर्णन शब्दों में करना कठिन है।”

उदय सिंह दो बार पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं – पहली बार 2004 में और दूसरी बार 2009 में। वे पहले भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन 2014 के मोदी लहर में हार गए। इसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। अब वे जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर एक नई राजनीतिक भूमिका में आए हैं।


“ये पार्टी PK या उदय सिंह की नहीं, बिहार की जनता की है”

अपने पहले संबोधन में ही उदय सिंह ने साफ किया कि जनसुराज किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि बिहार की जनता की पार्टी है। उन्होंने कहा, “ये प्रशांत जी की बनाई पार्टी नहीं है, ये उदय सिंह की बनाई पार्टी नहीं है। इस पार्टी को बिहार की जनता ने बनाया है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम बिहार में किसी से लड़ने नहीं आए हैं। न JDU से, न RJD से, न BJP से। हम यहां विकास का नया विचार लेकर आए हैं। अगर इस विकास की राह में कोई रुकावट बनेगा, चाहे वो कोई भी पार्टी हो, हम उससे टकराएंगे।”

उदय सिंह का यह बयान यह दर्शाता है कि जनसुराज खुद को पारंपरिक पार्टियों की आलोचना मात्र तक सीमित नहीं रखना चाहता, बल्कि वैकल्पिक राजनीति और नीतिगत संवाद के माध्यम से अपनी पहचान बनाना चाहता है।


नीतीश सरकार पर निशाना: “कमान और कंट्रोल नीतीश जी के हाथ में नहीं”

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान PK ने बिहार की मौजूदा सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने रविवार को हुई उस घटना का जिक्र किया जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गांव जाने से रोका गया। PK ने कहा, “कल मैं CM के गांव में बिना किसी पूर्व तैयारी के गया था, लेकिन मुझे रोका गया। अब तक बिहार में किसी नेता को कहीं जाने से रोका नहीं गया था। नीतीश कुमार जी ने भी पहले कभी ऐसा नहीं किया था।”

उन्होंने आगे कहा, “यह घटना इस बात का संकेत है कि अब सरकार नीतीश जी नहीं चला रहे हैं। कमान और कंट्रोल दोनों उनके हाथ में नहीं है। बिहार में कभी इस तरह की राजनीति नहीं हुई है। इसका नुकसान खुद नीतीश जी को होगा।”

PK का यह बयान साफ इशारा करता है कि वे अब बिहार सरकार की कार्यशैली और प्रशासनिक ढांचे को खुलकर चुनौती देने के मूड में हैं।


RCP सिंह का बड़ा हमला: “यहां कोई सरकार नहीं चला रहा है”

जनसुराज में हाल ही में शामिल हुए JDU के पूर्व अध्यक्ष RCP सिंह ने भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “यहां कोई सरकार नहीं चला रहा है। सरकार चल ही नहीं रही है। जब नेताओं के आने-जाने पर बंदिशें होंगी, तो लोकतंत्र का क्या होगा?”

उन्होंने कहा, “राहुल गांधी दरभंगा नहीं जा सकते, प्रशांत जी मुख्यमंत्री के गांव नहीं जा सकते। तो यह कौन-सा लोकतंत्र है?” शराबबंदी पर कटाक्ष करते हुए RCP ने कहा, “जब शराबबंदी हुई तो मैंने पूछा था, आप किसके चेले हैं? लोहिया जी के? लोहिया जी कहते थे खान-पान पर पाबंदी संभव नहीं है। आज हालत यह है कि लोगों के बर्तन बिक गए, लाखों लोग जेल में हैं। CM के जिले में लोग शराब पीते हैं, मेरे जिले में भी यही हाल है।”

RCP सिंह का यह बयान पार्टी की नीति में साफ-साफ बताता है कि जनसुराज न केवल विकास, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक सुधारों के सवाल पर भी मुखर होगी।


जनसुराज: एक वैकल्पिक राजनीति की शुरुआत

प्रशांत किशोर द्वारा शुरू की गई जनसुराज यात्रा एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन के रूप में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य बिहार के गाँव-गाँव जाकर जनता की समस्याएं जानना और समाधान आधारित राजनीति को बढ़ावा देना था। PK ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जनसुराज केवल एक पार्टी नहीं, बल्कि “जन आंदोलन” है।

अब जब उदय सिंह को पार्टी की कमान सौंपी गई है, तो यह स्पष्ट है कि PK एक विचारक और पथप्रदर्शक की भूमिका में रहेंगे, जबकि संगठन और नेतृत्व की जिम्मेदारी अब अनुभवशील नेताओं के हाथों में होगी।


आगे की रणनीति: क्या होंगे जनसुराज के अगले कदम?

जनसुराज का अगला फोकस बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर होगा। हालांकि PK और उदय सिंह दोनों ने साफ किया है कि पार्टी किसी भी दल से “लड़ने” नहीं आई है, परंतु अगर बिहार के विकास में कोई बाधा बनता है, तो वह किसी भी ताकत से टकराने को तैयार है।

PK की नई यात्रा, RCP सिंह का जुड़ना, और अब उदय सिंह के नेतृत्व में जनसुराज का विस्तार – ये सभी संकेत करते हैं कि पार्टी एक संगठित और विचारधारा-आधारित विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की तैयारी में है।


बिहार की राजनीति में जनसुराज अब एक नए मोड़ पर आ खड़ी हुई है। PK ने संगठन को मजबूत हाथों में सौंपते हुए यह साबित किया है कि वे व्यक्ति केंद्रित राजनीति से ऊपर उठकर सामूहिक नेतृत्व को तरजीह दे रहे हैं।

उदय सिंह जैसे अनुभवी नेता के नेतृत्व में पार्टी को अब राजनीतिक वैधता के साथ-साथ संगठनात्मक ताकत भी मिल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनसुराज बिहार की राजनीति में वाकई कोई ‘सुराज’ ला पाएगी या नहीं।

 

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