कैमूर: बेलौड़ी पंचायत में जल नल योजना के नाम पर 34 लाख से अधिक की सरकारी राशि की लूट

कैमूर: बेलौड़ी पंचायत में जल नल योजना के नाम पर 34 लाख से अधिक की सरकारी राशि की लूट, डीएम के आदेश के बाद भी FIR नहीं, प्रशासनिक सुस्ती बनी चर्चा का विषय
Report By: Rupesh Dubey
कैमूर, बिहार – जिले के मोहनिया प्रखंड अंतर्गत बेलौड़ी पंचायत में वित्तीय वर्ष 2016 से 2021 के बीच नल-जल योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा आवंटित 34 लाख 67 हजार 500 रुपए की भारी अनियमितता का मामला सामने आया है। इस भ्रष्टाचार में पंचायत के मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं संबंधित कर्मियों की संलिप्तता का आरोप है। इस मामले को लेकर पंचायत के वार्ड सदस्य विवेक कुमार सिन्हा ने जिलाधिकारी सह द्वितीय अपीलीय प्राधिकार सावन कुमार के समक्ष अपील दायर की थी।
जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश दिया था। जांच में गबन की पुष्टि होने पर डीएम ने जिला पंचायती राज पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया था कि मुखिया सहित दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन डीएम के आदेश को हुए 30 दिन बीत चुके हैं और अभी तक FIR दर्ज नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन की यह निष्क्रियता और ढुलमुल रवैया अब जनता के बीच आलोचना और आक्रोश का कारण बनता जा रहा है।
जनता का पैसा, जनप्रतिनिधियों की जेब में
राज्य सरकार की बहुप्रचारित नल-जल योजना का उद्देश्य हर घर तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना था। इसके लिए पंचायतों को करोड़ों रुपये की राशि दी गई थी। लेकिन बेलौड़ी पंचायत में इस योजना के तहत मिली राशि का बड़ा हिस्सा कागजी योजनाओं, फर्जी बिलों और आधे-अधूरे कार्यों के जरिए निकाल लिया गया। योजना की जमीनी हकीकत की जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि लाखों की लागत से जो पाइपलाइन बिछाई गई थी, वह या तो अधूरी है या काम ही नहीं कर रही। अधिकांश घरों तक पानी की आपूर्ति कभी शुरू ही नहीं हुई।
डीएम के आदेश का पालन नहीं, FIR टालते अधिकारी
जब इस गबन की शिकायत डीएम सावन कुमार के पास पहुँची, तो उन्होंने प्राथमिक जांच के बाद मामले में गंभीर वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की और जिला पंचायती राज पदाधिकारी को मुखिया समेत अन्य दोषियों के विरुद्ध FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। लेकिन इस आदेश के एक माह बाद भी जिला पंचायती राज पदाधिकारी मनोज कुमार पवन द्वारा किसी प्रकार की प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है।
जब इस बाबत संवाददाता ने जिला पंचायती राज पदाधिकारी से बात की, तो उन्होंने पहले बताया कि मोहनिया प्रखंड विकास पदाधिकारी को मुखिया व अन्य संबंधित लोगों की पहचान के लिए पत्राचार किया गया है। लेकिन जब मोहनिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार दास से पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें किसी भी प्रकार का पत्राचार नहीं मिला है और वे इस प्रक्रिया से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।
जब संवाददाता ने दोबारा पंचायती राज पदाधिकारी मनोज कुमार पवन से इस विरोधाभासी बयान पर स्पष्टीकरण मांगा, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि अभी तक इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है। अंत में उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “उसका कोई ठिकाना नहीं है।”
प्रशासनिक सुस्ती या मिलीभगत?
डीएम के स्पष्ट आदेश के बावजूद FIR दर्ज न किया जाना एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या जिले के अधिकारी जिलाधिकारी के आदेशों को नजरअंदाज कर सकते हैं? या फिर इस मामले में कहीं न कहीं अंदरुनी सांठगांठ है? बेलौड़ी पंचायत में हुए गबन को लेकर आम जनता में आक्रोश है और लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब जिलाधिकारी के आदेश का पालन नहीं हो रहा, तो आम शिकायतों का क्या हश्र होता होगा?
गांव में बढ़ता असंतोष, जनता पूछ रही है सवाल
इस घोटाले से संबंधित अधिकारियों की चुप्पी और टालमटोल के कारण पंचायत में आम जनता में भारी असंतोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि जब जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर योजनाओं की राशि को लूटने में लगे हों, तो गांव की स्थिति सुधारने की उम्मीद बेमानी है। कुछ स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि योजना का काम कभी शुरू ही नहीं हुआ, सिर्फ कुछ पाइप दिखा दिए गए और कागजों में लाखों खर्च कर दिए गए।
गांव के बुजुर्ग रामसागर प्रसाद कहते हैं, “हमने सोचा था कि अब घर में पानी आएगा, लेकिन सालों से नल सूखा पड़ा है और अब पता चल रहा है कि पैसा खा गए।”
प्रशासन पर गिरता भरोसा
बेलौड़ी पंचायत में सामने आए इस घोटाले को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता से लोगों का सरकारी तंत्र पर भरोसा डगमगा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ डीएम के सख्त रवैये के बावजूद नीचे के अधिकारियों द्वारा की जा रही टालमटोल यह साबित करती है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गहरी खामी है। यदि एक जिलाधिकारी के स्पष्ट निर्देश की भी अवहेलना हो सकती है, तो यह प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर कमजोरी को उजागर करता है।
विरोध की आहट, कार्रवाई की मांग
जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार की योजनाओं में लूट, अधिकारियों की चुप्पी और जनता की उम्मीदों का टूटना — ये सब मिलकर पंचायत में विरोध की आहट पैदा कर रहे हैं। स्थानीय लोग अब इस मुद्दे को लेकर उच्च अधिकारियों, मीडिया और सामाजिक मंचों पर आवाज़ उठाने की तैयारी कर रहे हैं। अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला जिला स्तर से राज्य स्तर तक गरमा सकता है।
बेलौड़ी पंचायत का यह मामला बिहार के ग्रामीण विकास और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। नल-जल योजना जैसे लोकहितकारी योजनाओं का दुरुपयोग और उस पर लीपापोती प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है। यदि अब भी इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह ना सिर्फ जनता का विश्वास तोड़ेगा, बल्कि राज्य सरकार की योजनाओं पर भी प्रश्नचिन्ह लगाएगा।