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“कैमूर में आग से जली ज़िंदगी, मुआवजे की उठी मांग”

कैमूर न्यूज़

“कैमूर में आग से जली ज़िंदगी, मुआवजे की उठी मांग”

Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era) || Date : 25 May 2025 ||
कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड स्थित करीगाईं गांव में रविवार को उस समय मातम छा गया जब आग में झुलसकर घायल हुए एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक की पहचान करीगाईं गांव निवासी लल्लन धोबी के रूप में की गई है, जो बीते 12 मई को अपने ही गौशाला में शॉर्ट सर्किट से लगी आग की चपेट में आ गए थे। घटना के 13 दिनों बाद शनिवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, जिससे पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

घटना की पृष्ठभूमि: गौशाला में लगी आग ने बदल दी जिंदगी

स्थानीय लोगों और परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, 12 मई की रात लल्लन धोबी अपने घर के समीप बने गौशाला में थे। उसी दौरान अचानक शॉर्ट सर्किट हुआ और बिजली के तारों में चिंगारी निकलने लगी। देखते ही देखते पूरे गौशाला में आग फैल गई।
आग की भयावहता इतनी तेज थी कि एक बछड़ा घटनास्थल पर ही जलकर मर गया, जबकि एक गाय गंभीर रूप से झुलस गई। आग की लपटें जब तेज हुईं तो लल्लन धोबी जानवरों को बचाने के लिए गौशाला में घुस गए, लेकिन दुर्भाग्यवश खुद बुरी तरह झुलस गए। उन्हें तत्काल परिजनों द्वारा स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां से बेहतर इलाज के लिए बनारस रेफर किया गया।

इलाज के दौरान हुई मौत, गांव में शोक

लगातार इलाज के बावजूद लल्लन धोबी की हालत में सुधार नहीं हो सका। शनिवार की रात उनकी मौत हो गई। जैसे ही उनके शव को गांव लाया गया, पूरे गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक एक मेहनती और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी मौत से परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में शोक की लहर है।

जिला परिषद सदस्य विकास सिंह पहुंचे परिजनों से मिलने

घटना की सूचना मिलते ही भभुआ जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल मौके पर पहुंचे और मृतक के परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा,

“लल्लन धोबी बहुत ही गरीब परिवार से थे। उन्होंने अपनी जान पर खेलकर अपने पशुओं को बचाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान वे खुद बुरी तरह झुलस गए। यह घटना बेहद दर्दनाक है। आज जैसे ही मुझे उनकी मौत की खबर मिली, मैं तुरंत उनके परिजनों से मिलने आया हूं। मैं जिला प्रशासन से मांग करता हूं कि मृतक के परिजनों को सरकारी मुआवजा दिया जाए, ताकि उनके परिवार का सही तरीके से भरण-पोषण हो सके।”

स्थानीय प्रशासन से मुआवजे की मांग

विकास सिंह ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि आपदा राहत कोष से मृतक के परिजनों को तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए। उन्होंने कहा कि चूंकि यह घटना शॉर्ट सर्किट की वजह से घटी है और मृतक आग बुझाने के प्रयास में झुलसे थे, इसलिए यह एक आपदा के अंतर्गत आती है और सरकार की तरफ से राहत मिलनी चाहिए।

गांव के लोगों में आक्रोश और मांग

गांव के अन्य लोगों का भी कहना है कि लल्लन धोबी एक ईमानदार और मेहनतकश व्यक्ति थे। उनका परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और अब उनके असामयिक निधन से परिवार की स्थिति और भी बदतर हो गई है। ग्रामीणों ने भी प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को न सिर्फ मुआवजा दिया जाए, बल्कि उनकी विधवा पत्नी को सरकार की किसी योजना के तहत रोजगार अथवा सहायता दी जाए।

प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे सवाल

घटना के इतने दिन बाद भी, ग्रामीणों के अनुसार अब तक न तो कोई अधिकारी गांव में आया और न ही किसी तरह की सरकारी सहायता प्रदान की गई है। यह स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है। क्षेत्रीय नेताओं और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं लेकिन पीड़ित परिवारों को न्याय और सहायता के लिए कई दरवाजे खटखटाने पड़ते हैं।

करीगाईं गांव के लल्लन धोबी की मौत एक दर्दनाक त्रासदी है, जो न सिर्फ एक व्यक्ति की जान ले गई बल्कि उसके पूरे परिवार को गहरे संकट में डाल गई। यह घटना बिहार के ग्रामीण इलाकों में बिजली की अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही की एक और मिसाल बन गई है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन कितनी तत्परता और संवेदनशीलता दिखाता है। क्या गरीब परिवार को समय पर मुआवजा मिलेगा? क्या लल्लन धोबी की मौत सिर्फ एक आँकड़ा बन कर रह जाएगी या उनके परिवार के आंसुओं को राहत का सहारा मिलेगा?

इस घटना से यही संदेश निकलता है कि आम जनमानस के जीवन की सुरक्षा के लिए सरकार और प्रशासन को और अधिक संवेदनशील एवं सक्रिय होना पड़ेगा।

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