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पटना शास्त्री नगर थाना ASI अजीत कुमार रिश्वत लेते गिरफ्तार: निगरानी की बड़ी कार्रवाई

पटना न्यूज़

पटना शास्त्री नगर थाना ASI अजीत कुमार रिश्वत लेते गिरफ्तार: निगरानी की बड़ी कार्रवाई

“पुलिस वो संस्था होती है जिस पर जनता कानून और न्याय की सबसे पहली उम्मीद लगाती है…

लेकिन जब वही वर्दीधारी कानून के साथ सौदेबाज़ी करने लगे, तो सवाल उठता है –

भरोसा आखिर जाए तो जाए कहाँ?”

सारांश :

पटना के शास्त्रीनगर थाने से आज जो खबर सामने आई, उसने पूरे बिहार पुलिस महकमे को हिला दिया है। थाने में तैनात सहायक अवर निरीक्षक (ASI) अजीत कुमार को निगरानी टीम ने उस वक्त रंगेहाथ रिश्वत लेते धर दबोचा, जब वे एक महिला से ₹50,000 घूस की मांग कर रहे थे – सिर्फ इसलिए ताकि उसके बेटे का नाम एक केस से हटाया जा सके।

ये घटना न सिर्फ एक घूसखोर अधिकारी की गिरफ्तारी भर है, बल्कि यह उस सिस्टम पर एक करारा तमाचा है, जो अक्सर गरीब और साधारण लोगों को न्याय के बजाय डर और दबाव देता है।

इस कार्रवाई ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उम्मीद दी है, बल्कि यह भी साबित किया है कि कानून की निगरानी अब सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं है — अब कार्रवाई भी तेज़, सटीक और परिणामकारी है।

Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 21 May 2025 ||

पटना, 21 मई 2025।

बिहार की राजधानी पटना से एक सनसनीखेज खबर सामने आई है। पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग ने एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। शास्त्रीनगर थाने में पदस्थापित सहायक अवर निरीक्षक (ASI) अजीत कुमार को आज निगरानी टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि उन्होंने एक महिला से उसके बेटे का नाम केस से हटाने के बदले ₹50,000 की रिश्वत मांगी थी।

यह घटना न केवल पुलिस विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचार पर करारा तमाचा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब आम लोग भी अपने अधिकारों और न्याय के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं।

एक माँ की पीड़ा और साहस से शुरू हुई कार्रवाई

शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में रहने वाली नूरजहां नाम की महिला के बेटे का नाम एक केस में गलत तरीके से जोड़ा गया था। जब उन्होंने इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी ASI अजीत कुमार से की, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से रिश्वत की मांग की। नूरजहां ने यह प्रस्ताव ठुकराते हुए निगरानी विभाग से संपर्क किया और इस रिश्वतखोरी की शिकायत की।

निगरानी विभाग ने बिछाया जाल

बिहार राज्य निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने मामले को गंभीरता से लिया और ऑपरेशन ट्रैप की योजना बनाई गई। नूरजहां को नकली नोटों के रूप में ₹50,000 दिए गए, जिनपर विशेष रसायन लगा हुआ था। तय समय पर जब अजीत कुमार थाने के बाहर महुआबाग इलाके में रुपए लेने पहुंचे, तब पहले से तैनात टीम ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया।

टीम में शामिल अधिकारी

इस विशेष ऑपरेशन में कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे:

  • पुलिस उपाधीक्षक (DSP) पवन कुमार

  • निरीक्षक मोहम्मद नजीमुद्दीन

  • अन्य सदस्य: मणिकांत सिंह, रविशंकर, आशीष कुमार, रणधीर सिंह

सभी अधिकारी सिविल ड्रेस में तैनात थे और उन्होंने सूझबूझ के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया।

DIG मृत्युंजय चौधरी ने दी पुष्टि

ब्यूरो के DIG मृत्युंजय कुमार चौधरी ने बताया, “हमें कल पीड़िता से शिकायत प्राप्त हुई थी। जांच के बाद आज महुआबाग इलाके में जाल बिछाया गया और आरोपी अजीत कुमार को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया गया। अब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।”

2025 में अब तक निगरानी की कार्रवाई का ब्यौरा

बिहार में इस वर्ष 2025 के अब तक के आंकड़ों को देखें तो निगरानी विभाग की सक्रियता उल्लेखनीय रही है।

  • अब तक कुल मामले दर्ज: 30

  • सफल ट्रैप ऑपरेशन: 23

  • बरामद की गई राशि: ₹8 लाख से अधिक

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि निगरानी विभाग भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपना रहा है और सरकारी तंत्र में व्याप्त अवैध वसूली को बेनकाब कर रहा है।

अजीत कुमार का पिछला रिकॉर्ड भी सवालों के घेरे में

सूत्रों की मानें तो ASI अजीत कुमार पहले भी विवादों में रहे हैं। कई मामलों में उनकी भूमिका पक्षपातपूर्ण बताई गई थी, लेकिन ठोस साक्ष्य न होने के कारण वे कार्रवाई से बचते रहे। इस बार रंगेहाथ पकड़े जाने से उनके खिलाफ विभागीय जांच और निलंबन की कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है।

पीड़िता नूरजहां बोलीं – “अब भरोसा हुआ कि सिस्टम में न्याय है”

नूरजहां ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने हिम्मत कर के निगरानी में शिकायत दर्ज कराई, क्योंकि मुझे लगा कि अगर अब चुप रही तो न सिर्फ मेरा बेटा फँसेगा, बल्कि ये अधिकारी औरों से भी ऐसे ही पैसे मांगता रहेगा। आज मेरा हौसला बढ़ा है कि व्यवस्था में अब बदलाव हो रहा है।”

सार्वजनिक भरोसे को मजबूत करता यह ऑपरेशन

यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है कि यदि आम नागरिक अपने अधिकारों के लिए खड़े हों और सिस्टम में भरोसा बनाए रखें, तो भ्रष्ट अधिकारियों को कानून के कटघरे में लाया जा सकता है। निगरानी विभाग का यह ट्रैप केस न केवल एक व्यक्तिगत न्याय का मामला है, बल्कि यह पूरे पुलिस तंत्र के लिए एक चेतावनी भी है।

सरकार की ओर से मिले कड़े निर्देश

बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से यह निर्देश है कि निगरानी विभाग को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कार्य करने दिया जाए। सभी जिलों में ऐसे मामलों की समीक्षा की जा रही है और दोषियों को सेवा से हटाने तक की अनुशंसा की जा सकती है।

आगे की कार्रवाई: निलंबन और न्यायिक हिरासत संभव

अजीत कुमार को निगरानी टीम ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उनके खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है और अब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की प्रक्रिया चल रही है। विभागीय स्तर पर भी निलंबन की कार्रवाई जल्द की जा सकती है।

अब ‘साहस’ बन रहा है सबसे बड़ा हथियार

नूरजहां जैसी महिलाओं का साहस और निगरानी टीम की तत्परता ही वह आधार है जिस पर जनता का विश्वास टिका है। यह मामला केवल ₹50,000 की रिश्वत का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र में विश्वास बहाल करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

2025 के आंकड़े भी बताते हैं कि बिहार अब भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक कदम उठा रहा है। 23 सफल ट्रैप, 30 दर्ज मामले, और ₹8 लाख की बरामदगी यही संकेत देती है कि अब भ्रष्ट अफसरों के दिन लद चुके हैं – और जनता अब चुप नहीं बैठने वाली।

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