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रानीगंज बीडीओ रिश्वतकांड में रंगेहाथ धरे गए, पटना निगरानी टीम की छापेमारी

Arariya crime News

रानीगंज बीडीओ रिश्वतकांड में रंगेहाथ धरे गए, पटना निगरानी टीम की छापेमारी

मुख्य बिंदु:

  • निगरानी विभाग की टीम ने बीडीओ और लेखपाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया।

  • डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत ले रहे थे 15 लाख की योजना को पास करने के एवज में।

  • आरोपी हैं रानीगंज बीडीओ रितम कुमार और लेखपाल आदित्य प्रियदर्शी

  • शिकायतकर्ता थे उप प्रमुख कलानंद सिंह और उनके सहयोगी शंभू यादव

  • पटना से पहुंची विशेष निगरानी टीम ने की बड़ी कार्रवाई।

Report By : News Era || Date : 21 May 2025 ||

अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बिहार के पंचायत और विकास योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी उजागर किया है। मंगलवार की देर रात करीब 11:30 बजे पटना निगरानी विभाग की विशेष टीम ने रानीगंज प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) रितम कुमार के आवास पर छापेमारी कर उन्हें और उनके लेखपाल आदित्य प्रियदर्शी को 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

इस कार्रवाई का नेतृत्व निगरानी विभाग के डीएसपी चंद्रभूषण कुमार कर रहे थे। उनके साथ निगरानी विभाग की 10 सदस्यीय विशेष टीम थी, जिसमें तकनीकी अधिकारी, निरीक्षक, वीडियोग्राफर और सुरक्षाकर्मी शामिल थे।

मामले की कैसे हुआ पर्दाफाश

सूत्रों के अनुसार, यह मामला एक सरकारी योजना के तहत मंजूर किए गए 15 लाख रुपये के फंड से जुड़ा हुआ है। रानीगंज प्रखंड के उप प्रमुख कलानंद सिंह और उनके सहयोगी शंभू यादव ने निगरानी विभाग को इस बात की शिकायत दी थी कि प्रखंड कार्यालय से फंड पास करवाने के एवज में बीडीओ और लेखपाल 10 प्रतिशत यानी 1.5 लाख रुपये की घूस मांग रहे हैं।

शिकायत मिलने के बाद निगरानी विभाग ने बेहद गोपनीय तरीके से जांच शुरू की। शिकायत की पुष्टि होने पर पटना मुख्यालय से एक विशेष दल गठित किया गया, जिसमें तकनीकी निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक सबूत इकट्ठा करने की पूरी योजना बनाई गई।

कैसे हुआ ऑपरेशन

मंगलवार की रात निगरानी डीएसपी चंद्रभूषण कुमार के नेतृत्व में टीम अररिया पहुंची। रात लगभग 11:30 बजे जब बीडीओ के सरकारी आवास पर शिकायतकर्ता के माध्यम से रिश्वत की राशि दी जा रही थी, उसी समय टीम ने घटनास्थल पर धावा बोल दिया।

रकम की गिनती की गई, कैमरे से हर क्षण को रिकॉर्ड किया गया, और दोनों अफसरों को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया। कार्रवाई के दौरान बीडीओ और लेखपाल कुछ देर तक सफाई देने की कोशिश करते रहे, लेकिन रंगे हाथ पकड़े जाने के कारण उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

 घटना की पुष्टि और वीडियो साक्ष्य

विशेष निगरानी टीम के सदस्यों ने पूरी कार्रवाई को वीडियोग्राफी के माध्यम से दर्ज किया। यह वीडियो सबूत के रूप में निगरानी न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। निगरानी डीएसपी चंद्रभूषण कुमार ने बताया कि रिश्वत की राशि को रासायनिक परीक्षण (फिनॉफ़्थेलीन टेस्ट) के तहत चेक किया गया, जो कि पॉजिटिव आया।

उन्होंने कहा:

“शिकायत पूरी तरह सही पाई गई है। हमने पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर यह कार्रवाई की है। रिश्वत ली जा रही थी, वह भी सरकारी योजना की राशि में से कमीशन के रूप में। यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है।”

गिरफ्तारी के बाद की कानूनी प्रक्रिया

बीडीओ रितम कुमार और लेखपाल आदित्य प्रियदर्शी को हिरासत में लेने के बाद, उन्हें रातोंरात पटना निगरानी थाने लाया गया। बुधवार को उन्हें निगरानी कोर्ट में पेश किया जाएगा। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यदि दोषी पाए गए, तो उन्हें 5 से 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है, साथ ही सरकारी सेवा से बर्खास्तगी की प्रक्रिया भी आरंभ की जा सकती है।

प्रखंड व जिले में मचा हड़कंप

इस गिरफ्तारी की खबर फैलते ही रानीगंज और अररिया जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। कई स्थानीय जनप्रतिनिधि और पंचायत सदस्य प्रखंड कार्यालय पर जमा हो गए। कुछ ने इसे साहसिक कार्रवाई बताया, तो कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि वर्षों से प्रखंड कार्यालय में योजनाओं की राशि पास करवाने में घूसखोरी एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है।

जनता की प्रतिक्रिया: ‘अब उम्मीद की किरण जागी’

स्थानीय लोगों में निगरानी विभाग की इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोग बेहद खुश हैं कि पहली बार किसी बीडीओ के खिलाफ इस तरह की कड़ी कार्रवाई हुई है। वहीं, कुछ लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव का परिणाम तो नहीं?

रानीगंज निवासी संतोष यादव ने कहा:

“बहुत दिन से यह सब चल रहा था। अब जाकर निगरानी ने सख्त कदम उठाया है। अगर इसी तरह कार्रवाई होती रही, तो आम आदमी को भी न्याय मिलेगा।”

विशेष निगरानी टीम सदस्य का बयान

निगरानी दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:

“हमारे पास पूरी योजना थी। हमने पहले ही हर स्टेप को प्लान कर रखा था – रिश्वत की रकम को चिह्नित करना, कैमरे लगाना, और ऑपरेशन को लाइव ट्रैक करना। बीडीओ और लेखपाल को रंगेहाथ पकड़ना ही हमारा लक्ष्य था और वह सफलतापूर्वक पूरा हुआ।”

भ्रष्टाचार के खिलाफ नई पहल या राजनीतिक हथियार?

इस कार्रवाई को लेकर राज्य की राजनीति में भी चर्चा शुरू हो गई है। कुछ राजनीतिक दल इसे नितीश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह केवल दिखावटी कार्रवाई है, जब तक कि दोषियों को सजा न मिले।

जन सुराज पार्टी के नेता राजेश पांडे ने कहा:

“सिर्फ गिरफ्तारी से कुछ नहीं होगा। यह देखना होगा कि इन अफसरों को सजा मिलती है या वे जमानत पर बाहर आकर फिर वही काम करने लगते हैं।”

निगरानी टीम की भविष्य की योजनाएं

सूत्रों के अनुसार, निगरानी विभाग की नजर अब अररिया जिले के अन्य प्रखंडों और ब्लॉकों पर भी है। आने वाले दिनों में और भी छापेमारी हो सकती है, क्योंकि कई योजनाओं में शिकायतें मिल चुकी हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि विभाग अब डिजिटल ट्रांजेक्शन और जीआईएस बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने की तैयारी कर रहा है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।

रानीगंज बीडीओ रिश्वत कांड सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि यह पूरे तंत्र के अंदर गहराई तक बैठे भ्रष्टाचार के वायरस की एक बानगी है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक तभी पहुंचेगा जब बीच की कड़ियों को जवाबदेह बनाया जाएगा।

यदि निगरानी विभाग इस तरह की कार्रवाई को निरंतर जारी रखता है, और आरोपी अधिकारियों को कड़ी सजा दिलाता है, तो यह बिहार प्रशासन के लिए एक नए युग की शुरुआत साबित हो सकती है।

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