राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में प्रेस वार्ता आयोजित

राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में प्रेस वार्ता आयोजित: 10 मई को जिले में होगा सुलहनीय वादों का व्यापक निपटारा
NEWS ERA || CHITRANJAN KUMAR ||
औरंगाबाद, 7 मई 2025:
जिले में न्यायिक प्रक्रिया को सुलभ और त्वरित बनाने के लिए आगामी 10 मई 2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय परिसर में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस प्रेस वार्ता को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, श्री राज कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने मीडिया के समक्ष लोक अदालत की तैयारियों, इसके उद्देश्य और अब तक की गई पहल की विस्तृत जानकारी साझा की।
लोक अदालत के उद्देश्य और विशेषताएं
जिला जज श्री राज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य विवादों का त्वरित, सुलहपूर्ण और न्यायसंगत समाधान सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि यह इस वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत है, जबकि उनके कार्यकाल की यह चौथी लोक अदालत होगी। इसका आयोजन न्यायालय परिसर स्थित विभिन्न न्यायालयों और संबंधित विभागों के समन्वय से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बार के लोक अदालत में सभी प्रकार के सुलहनीय वाद, जैसे—परिवार विवाद, बैंक ऋण, बिजली-पानी बिल विवाद, दुर्घटना मुआवजा दावे, श्रमिक मामलों, दीवानी वाद, आपराधिक शमनीय वाद आदि को शामिल किया गया है।
वादों की पहचान और पक्षकारों को सूचना
लोक अदालत में शामिल किए जाने वाले वादों की पहचान की प्रक्रिया पर बोलते हुए जिला जज ने कहा कि:
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2230 से अधिक सुलहनीय वादों को प्राथमिकता के आधार पर चिन्हित किया गया है।
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इनमें से 51 वादों में दोनों पक्षों की सहमति भी प्राप्त हो चुकी है।
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5000 से अधिक नोटिस पहले ही निर्गत किए जा चुके हैं।
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600 से अधिक मामलों के निस्तारण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इन वादों से संबंधित पक्षकारों को न्यायालय और पुलिस दोनों माध्यमों से नोटिस भेजकर 10 मई को अदालत में उपस्थित होने की सूचना दी गई है। जिन मामलों में मोबाइल नंबर उपलब्ध थे, वहां मोबाइल के माध्यम से भी संपर्क साधा गया है।
प्री-लिटिगेशन मामलों में भी प्रयास तेज
प्रेस वार्ता में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव, श्रीमती तान्या पटेल ने प्री-लिटिगेशन मामलों की स्थिति पर जानकारी देते हुए बताया कि:
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5000 से अधिक बैंक ऋण विवाद प्री-लिटिगेशन के तहत चिन्हित किए गए हैं।
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इनमें से 125 ऋण मामलों में पक्षकारों ने सहमति जताई है।
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1200 से अधिक मामलों का लक्ष्य रखा गया है, जिनके नोटिस भी भेजे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार का प्रयास है कि वाद न्यायालय में लंबित न रहे, बल्कि प्रारंभिक स्तर पर ही उनका समाधान हो जाए। इससे न्यायिक बोझ कम होगा और आम जनता को राहत मिलेगी।
प्रचार-प्रसार में मीडिया की भूमिका अहम
प्रेस वार्ता के दौरान प्रधान जिला न्यायाधीश ने जिले के पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि मीडिया द्वारा पूर्ववर्ती लोक अदालतों के प्रचार-प्रसार में दिया गया सार्थक सहयोग उल्लेखनीय रहा है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों ने लोक अदालत का रुख किया और उनके विवादों का निस्तारण त्वरित रूप से हुआ।
उन्होंने संवाददाताओं से आग्रह किया कि इस बार भी वे जन-जागरूकता अभियान में भागीदारी करें ताकि अधिक से अधिक लोग लोक अदालत के महत्व को समझें और उसमें भाग लेकर अपने मामलों को सुलझा सकें।
वादों की सूची तैयार करने को कहा गया
प्रेस वार्ता में यह भी बताया गया कि सभी सरकारी विभागों और न्यायालयों को पत्र भेजकर अपने-अपने अंतर्गत लंबित सुलहनीय वादों की सूची तैयार कर जिला विधिक सेवा प्राधिकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।
इसके लिए अब तक कई दौर की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इन बैठकों में संबंधित न्यायिक पदाधिकारी, विभागीय अधिकारी और वकीलगण शामिल हुए हैं ताकि समन्वय बनाकर ज्यादा से ज्यादा वादों का निस्तारण सुनिश्चित किया जा सके।
परिवारिक मामलों में भी अच्छी सफलता
श्री राज कुमार ने यह भी बताया कि औरंगाबाद जिला परिवारिक विवादों के समाधान के मामले में पहले भी राज्य में अग्रणी रहा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस बार भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से वैवाहिक विवाद, भरण-पोषण, तलाक, समझौते से जुड़ी समस्याएं लोक अदालत में लाने पर जोर दिया गया है। इसके लिए दोनों पक्षों को मानसिक रूप से तैयार करने हेतु समझाइश अभियान भी चलाया जा रहा है।
नोटिस प्रेषण में तकनीकी माध्यमों का उपयोग
जिला जज ने बताया कि इस बार नोटिस प्रेषण की प्रक्रिया में तकनीकी माध्यमों का अधिकतम उपयोग किया गया है। जहां उपलब्ध हो सके, वहां नोटिस ईमेल, मोबाइल कॉल और व्हाट्सएप के माध्यम से भी भेजे गए हैं ताकि किसी पक्षकार तक सूचना न पहुंचने की स्थिति उत्पन्न न हो।
लोक अदालत के फायदे
प्रेस वार्ता के अंत में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने लोक अदालत के प्रमुख फायदों को भी रेखांकित किया:
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लोक अदालत में फीस नहीं देनी पड़ती है।
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निर्णय जल्द और अंतिम होता है, जिसमें अपील की आवश्यकता नहीं रहती।
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पक्षकारों को समझौते के आधार पर संतोषजनक न्याय प्राप्त होता है।
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न्यायालयों पर बोझ कम होता है, जिससे लंबित वादों की संख्या घटती है।
न्यायिक प्रक्रिया में जन-सहभागिता का प्रतीक बन रही लोक अदालत
10 मई को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और सहभागी बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। औरंगाबाद जिले में इसकी तैयारियां चरम पर हैं और न्यायिक प्रशासन पूरी गंभीरता से इसे सफल बनाने में जुटा हुआ है।
सभी मीडिया प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की गई है कि वे समाज में लोक अदालत के महत्व और प्रभाव को लेकर जागरूकता फैलाएं, जिससे आम लोग न्यायालय की लंबी प्रक्रिया से बचते हुए सुलह और संवाद के माध्यम से न्याय प्राप्त कर सकें।