श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जीयर स्वामी जी महाराज के संदेशों से गूंजा कैमूर का बशीनी गांव

श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जीयर स्वामी जी महाराज के संदेशों से गूंजा कैमूर का बशीनी गांव
|| News Era || Rupesh Kumar Dubey ||
कैमूर, बिहार — रामपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाले बशीनी गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ ने इस बार अद्वितीय धार्मिक आस्था और सामाजिक एकजुटता का नजारा प्रस्तुत किया। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य हिस्सों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस महायज्ञ में भाग लेने पहुंचे। श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत यह आयोजन सोमवार को चरम पर पहुंचा, जब यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने न केवल परिक्रमा की बल्कि श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के पावन दर्शन और उनके सान्निध्य में संपन्न हुई आरती में भी भाग लिया।
आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर महायज्ञ
श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन पूरी भव्यता और परंपरा के साथ किया गया था। मंडप को सुगंधित पुष्पों, दीपों और रंगोली से सजाया गया था, जिससे संपूर्ण वातावरण में दिव्यता का संचार होता रहा। श्रद्धालु सुबह से ही मंडप में एकत्रित होकर मंत्रोच्चार और वैदिक परंपराओं का आनंद ले रहे थे। स्वामी जी द्वारा आरंभ की गई मंगल आरती में हजारों श्रद्धालु एक साथ स्वर मिलाते हुए उपस्थित थे, जिससे वातावरण भक्तिरस में डूब गया।
शंखनाद और सनातन धर्म सम्मेलन बना विशेष आकर्षण
26 मई की शाम 6 बजे, महायज्ञ का एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया जब 11000 शंखनाद एक साथ गूंजे। यह नजारा न केवल अत्यंत प्रभावशाली था बल्कि श्रद्धालुओं को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करने वाला था। इसके बाद संपन्न हुआ सनातन धर्म सम्मेलन, जिसमें धर्म, संस्कृति और नैतिक मूल्यों पर आधारित विचार प्रस्तुत किए गए। स्वामी जी ने धर्म के क्षरण और आधुनिक जीवनशैली की विकृतियों पर खुलकर अपनी बातें रखीं।
जीयर स्वामी जी महाराज का भावपूर्ण संदेश
स्वामी जी ने अपने उपदेश में जीवन के मूलभूत तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा—
“विपत्ति को विपत्ति नहीं समझना चाहिए, और संपत्ति को संपत्ति नहीं। जो भी हमारे जीवन में आता है, वह हमारे कर्मों का परिणाम होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग विपत्ति में भी परमात्मा को स्मरण करते हैं, वही सच्चे सनातनी हैं। उन्होंने यह भी चेताया कि—
“जिस विपत्ति में हमारा रहन-सहन, खान-पान, विचार और आचरण बिगड़ जाए — वही असली विपत्ति है। इसका एकमात्र समाधान है – संपूर्ण परिवर्तन।”
उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि चोरी, बेईमानी, अन्याय, अधर्म जैसे कुकर्मों से दूर रहकर ही जीवन को महान बनाया जा सकता है।
चित् की चंचलता पर स्वामी जी का दृष्टिकोण
स्वामी जी ने मानसिक नियंत्रण के विषय पर गहरी बात रखी। उन्होंने कहा कि चित की चंचलता को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उसे मोड़ा जरूर जा सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को सुझाव दिया कि—
“अगर मन गाने को करे तो मुरलीवाले (श्रीकृष्ण) का नाम गाइए। घुमने का मन करे तो क्लब मत जाइए, बल्कि अयोध्या, मथुरा, काशी, विन्ध्याचल जाइए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो व्यक्ति इन पवित्र स्थलों की यात्रा में मन लगाएगा, वह एक दिन बुरे मार्ग से हटकर सच्चे मार्ग पर चलने लगेगा।
भजन संध्या ने बांधा समां, भोजपुरी कलाकारों ने किया मंत्रमुग्ध
रात्रि 10:00 बजे से भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें भोजपुरी संगीत जगत की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। कार्यक्रम में रितेश पांडेय, भरत शर्मा व्यास, विनय मिश्रा समेत एक दर्जन से अधिक गायक कलाकारों ने भाग लिया। इन कलाकारों ने भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और देवी-देवताओं की स्तुति में भक्ति गीत प्रस्तुत किए, जिससे संपूर्ण वातावरण झूम उठा।
श्रद्धालुओं ने आयोजक को दिया धन्यवाद
महायज्ञ की सफलता के पीछे स्थानीय शिवम राइस मिल के मालिक बाबू मुन्ना सिंह का अहम योगदान रहा। श्रद्धालुओं ने उनके प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि इतना विशाल और अनुशासित आयोजन उन्हीं की सतत मेहनत और भक्ति भाव से संभव हो पाया। स्थानीय लोगों से लेकर दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने उन्हें धन्यवाद दिया।
पुलिस प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था
भीड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कैमूर पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहा। महिला-पुरुष दोनों प्रकार की पुलिस बल की मौजूदगी ने श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण दिया। ट्रैफिक से लेकर भीड़ नियंत्रण तक, हर पहलू पर प्रशासन की निगरानी प्रशंसनीय रही।
यज्ञ से सामाजिक जागरूकता का संदेश
इस महायज्ञ ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत किया बल्कि सामाजिक चेतना का भी संचार किया। स्वामी जी के उपदेशों में नैतिकता, संस्कार और आत्मावलोकन का स्पष्ट संदेश था। ग्रामीण और शहरी, हर तबके से जुड़े लोग इस आयोजन में सम्मिलित होकर सनातन संस्कृति से जुड़ते दिखाई दिए।
आस्था, परंपरा और चेतना का संगम
बशीनी गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक जागरण और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बना। जीयर स्वामी जी महाराज के उपदेशों ने लोगों के जीवन में आत्मावलोकन की प्रेरणा दी, जबकि भजन संध्या और शंखनाद ने भक्ति और समर्पण का नया अध्याय जोड़ा।