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वीरता, शौर्य और स्वाभिमान की जीवंत प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप की जयंती पर न्याय-मंच, बिहार ने अर्पित की श्रद्धांजलि

वीरता, शौर्य और स्वाभिमान की जीवंत प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप की जयंती पर न्याय-मंच, बिहार ने अर्पित की श्रद्धांजलि

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पटना, 9 मई 2025, शुक्रवार:
राजधानी पटना के प्रमुख इलाके बेली रोड स्थित राजा बाजार में आज न्याय-मंच, बिहार के कार्यालय में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती पर भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच के संस्थापक और प्रदेश अध्यक्ष पवन राठौर के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में महाराणा प्रताप के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने महाराणा प्रताप के त्याग, बलिदान और राष्ट्रप्रेम को स्मरण करते हुए उन्हें भारतीय इतिहास का सबसे महान स्वाभिमानी योद्धा बताया।

पवन राठौर ने किया महाराणा प्रताप को राष्ट्र का स्वाभिमान घोषित

इस अवसर पर न्याय-मंच, बिहार के संस्थापक पवन राठौर ने कहा, “महाराणा प्रताप जैसा महापराक्रमी योद्धा और स्वाभिमानी व्यक्ति भारत भूमि में कोई दूसरा नहीं हुआ। उन्होंने घास की रोटी खाई, जंगलों में जीवन व्यतीत किया, लेकिन मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना, लेकिन कभी आत्मसमर्पण नहीं किया। यही कारण है कि वे आज भी भारत के स्वाभिमान का प्रतीक बने हुए हैं।”

राठौर ने आगे कहा कि जब भी भारत में स्वाभिमान और आत्मबल की बात होगी, महाराणा प्रताप का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। “भारत का इतिहास शूरवीरों से भरा पड़ा है, पर जब बात महानता और अद्वितीयता की होगी, तो महाराणा प्रताप जैसा दूसरा योद्धा नहीं मिलेगा।” उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि एक चेतना हैं जो आज भी भारत के युवाओं को प्रेरणा देती है।

घास की रोटी से मुगल दरबार तक – महाराणा का अद्भुत संघर्ष

कार्यक्रम में महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि चित्तौड़ के राणा उदयसिंह के पुत्र और मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप ने 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में मुगल सम्राट अकबर की विशाल सेना का डटकर सामना किया। हालांकि यह युद्ध निर्णायक नहीं रहा, परंतु प्रताप का साहस, सैन्य कौशल और स्वाभिमान आज भी इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।

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