ED का बड़ा एक्शन, बिहार-झारखंड में पेपर लीक रैकेट पर शिकंजा
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ED का बड़ा एक्शन, बिहार-झारखंड में पेपर लीक रैकेट पर शिकंजा
सारांश :
बिहार-झारखंड के पेपर लीक कांड में ईडी ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। पटना में डॉ. शिव कुमार और रांची में सिकंदर प्रसाद के ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन जारी है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में कई जिलों में छापेमारी हो रही है। ईडी हवाला नेटवर्क और फर्जी कंपनियों की भी जांच कर रही है।
हाईलाइट्स :
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बिहार-झारखंड में पेपर लीक कांड पर ईडी की बड़ी कार्रवाई।
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पटना में डॉक्टर शिव कुमार और रांची में सिकंदर प्रसाद के ठिकानों पर छापेमारी।
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मनी लॉन्ड्रिंग केस के तहत दोनों राज्यों में सर्च ऑपरेशन।
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हवाला नेटवर्क और फर्जी कंपनियों की भी हो रही जांच।
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पेपर लीक रैकेट के मास्टरमाइंड और सहयोगियों पर शिकंजा कसने की तैयारी।
Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 19 June 2025 ||
बिहार और झारखंड से जुड़े चर्चित एग्जाम पेपर लीक मामले में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। सुबह से ही दोनों राज्यों के कई शहरों और कस्बों में एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। यह छापेमारी बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOW) द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग केस के आधार पर की जा रही है।
ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पटना के मशहूर डॉक्टर शिव कुमार के कई ठिकानों पर ईडी की टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। दूसरी ओर, झारखंड की राजधानी रांची में सिकंदर प्रसाद यादवेंद्र के घर व दफ्तर में छापेमारी जारी है। दोनों पर पेपर लीक गैंग से गहरे संबंध होने का संदेह जताया जा रहा है।
पेपर लीक रैकेट के मास्टरमाइंड के रिश्तेदार भी रडार पर
ईडी अधिकारियों के अनुसार यह कार्रवाई सिर्फ इन्हीं दो आरोपियों तक सीमित नहीं है। पेपर लीक रैकेट का कुख्यात मास्टरमाइंड संजीव मुखिया जो इस घोटाले में पहले से ही मुख्य आरोपी के तौर पर चर्चित है, उसके भी कई करीबियों और रिश्तेदारों के ठिकानों पर बिहार के विभिन्न जिलों में ईडी की टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। बताया जा रहा है कि पटना, गया, समस्तीपुर, भागलपुर और औरंगाबाद में भी कार्रवाई जारी है।
लगातार सामने आ रहे हैं पेपर लीक के मामले
गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में बिहार और झारखंड में सरकारी भर्ती परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा है, जिससे लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। इसी कड़ी में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOW) ने इस रैकेट की तह में जाकर जांच शुरू की थी। अब उसी जांच के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की कड़ियां जोड़ते हुए ईडी ने कार्रवाई का मोर्चा संभाला है।
हवाला नेटवर्क की भी पड़ताल
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनकी टीमें न केवल पेपर लीक में संलिप्त लोगों के ठिकानों की तलाशी ले रही हैं, बल्कि इस पूरे रैकेट के पीछे छिपे अवैध आर्थिक नेटवर्क को भी खंगाल रही हैं। संदेह है कि पेपर लीक से कमाई गई करोड़ों की रकम को हवाला चैनल, फर्जी कंपनियों और बैंक खातों के जरिये वैध धंधों में खपाने की कोशिश की गई।
अधिकारी ने यह भी कहा कि इन पैसों का बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट, कोचिंग संस्थानों और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में लगाया गया हो सकता है। यही वजह है कि इस बार ईडी ने सर्च ऑपरेशन का दायरा बड़ा किया है।
डॉक्टर शिव कुमार के क्लीनिक और आवास पर छापेमारी
पटना में डॉक्टर शिव कुमार के क्लीनिक, निजी अस्पताल और आवास पर ईडी की टीमें दिनभर डटी रहीं। सूत्रों के मुताबिक शिव कुमार के खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलने की संभावना है क्योंकि उसके खाते में हाल के महीनों में असामान्य वित्तीय लेन-देन के संकेत मिले हैं।
शिव कुमार को कथित तौर पर कई पेपर लीक अभियानों की फाइनेंसिंग में मुख्य भूमिका निभाने वाला व्यक्ति माना जा रहा है।
रांची में सिकंदर प्रसाद के आवास पर भी सर्च जारी
इधर, रांची में सिकंदर प्रसाद यादवेंद्र के आवास और अन्य ठिकानों पर ईडी की छापेमारी जारी है। सूत्रों की मानें तो सिकंदर प्रसाद एक लंबे समय से पेपर लीक रैकेट से जुड़ा हुआ था।
झारखंड और बिहार के बीच पेपर लीक नेटवर्क में वह कड़ी भूमिका निभाता था। ईडी को यह भी शक है कि सिकंदर प्रसाद ने पेपर लीक से मिली रकम को संपत्ति खरीद और सोने-चांदी में निवेश किया है।
भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर संकट
पिछले एक साल में बिहार और झारखंड के कई प्रतिष्ठित सरकारी पदों की परीक्षाओं में पेपर लीक का मामला सामने आ चुका है। बीपीएससी, कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षाएं भी इससे अछूती नहीं रहीं।
छात्रों का कहना है कि इस तरह के रैकेटों की वजह से मेहनतकश छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। परीक्षाओं की बार-बार रद्दीकरण से शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ईडी की कार्रवाई से बढ़ी हलचल
ईडी की इस ताजा कार्रवाई से दोनों राज्यों के शिक्षा और भर्ती तंत्र में खलबली मच गई है। सूत्रों के अनुसार ईडी आने वाले दिनों में और बड़े चेहरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“यह कार्रवाई महज शुरुआत है। हम इस नेटवर्क के आर्थिक पहलुओं को पूरी तरह उजागर करना चाहते हैं ताकि यह साफ हो सके कि किन-किन लोगों ने इस अवैध कमाई को वैध दिखाने के लिए किन-किन तरीकों का इस्तेमाल किया।”
गिरफ्तारी और समन की तैयारी
ईडी की टीमें अब तक मिले दस्तावेजों, डिजिटल डाटा और बयानों का विश्लेषण कर रही हैं। यदि इनसे पर्याप्त सबूत मिलते हैं तो अगले चरण में कई बड़े नामों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
साथ ही कई लोगों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाए जाने की तैयारी है।
राजनीतिक सरगर्मी भी तेज
इस पूरे मामले को लेकर बिहार और झारखंड की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर पेपर लीक रैकेट को नियंत्रित करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस मामले में और बड़े खुलासे होते हैं, तो इसका असर आगामी चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है।
आगे की कार्रवाई पर नजर
फिलहाल ईडी की कार्रवाई जारी है और जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में मनी ट्रेल, हवाला नेटवर्क और फर्जी कंपनियों की पूरी कड़ी सामने लाने का प्रयास होगा।
यह साफ है कि प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई न केवल दोषियों के खिलाफ सख्त संदेश है, बल्कि परीक्षाओं की पारदर्शिता बहाल करने की दिशा में भी एक अहम कदम मानी जा रही है।
छात्रों और आम जनता को अब यह उम्मीद है कि इस रैकेट की जड़ तक जाकर ईडी इसे खत्म करने में सफल होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।