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कैमूर: बिना आपूर्ति के ही कंपनी को भुगतान, जिला बाल संरक्षण इकाई में वित्तीय अनियमितता का बड़ा खुलासा

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कैमूर: बिना आपूर्ति के ही कंपनी को भुगतान, जिला बाल संरक्षण इकाई में वित्तीय अनियमितता का बड़ा खुलासा

सारांश :

कैमूर जिले के बाल संरक्षण इकाई में बड़ा घोटाला सामने आया। बिना आपूर्ति के ही पौदार इंजीनियरिंग वर्क्स, लुधियाना को 4.14 लाख और आरुषि कंस्ट्रक्शन, सासाराम को 97 हजार का भुगतान कर दिया गया। सहायक निदेशक ने जानकारी साझा करने से इंकार किया। मामला गंभीर, जांच की मांग तेज।

हाई लाइट :

कैमूर बाल संरक्षण इकाई में बिना आपूर्ति के लाखों का भुगतान।
जिम के सामान के लिए लुधियाना कंपनी को 4.14 लाख रुपये दिए गए।
जनरेटर सप्लाई बिना ही सासाराम कंपनी को 97 हजार का भुगतान।
सहायक निदेशक ने जानकारी देने से इंकार किया।
वित्तीय अनियमितता का मामला, जांच की उठी मांग।

Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era) || Date : 20 June 2025 ||

कैमूर — जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जिला बाल संरक्षण इकाई कैमूर के द्वारा बिना आपूर्ति के ही लाखों रुपये का भुगतान कंपनियों को कर दिया गया। इस वित्तीय अनियमितता को लेकर अब पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, बाल संरक्षण इकाई कैमूर के द्वारा पौदार इंजीनियरिंग वर्क्स, लुधियाना (पंजाब) को जिम के सामानों की आपूर्ति के लिए 4 लाख 14 हजार रुपये का भुगतान अप्रैल महीने में कर दिया गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि वेंडर द्वारा 7 मई 2025 तक विभाग को कोई भी सामान उपलब्ध नहीं कराया गया।

इसी तरह का एक और मामला सामने आया है, जिसमें आरुषि कंस्ट्रक्शन, सासाराम (रोहतास) को जनरेटर आपूर्ति के एवज में 97 हजार 20 रुपये का भुगतान कर दिया गया, जबकि 7 मई तक कंपनी की ओर से जनरेटर की आपूर्ति विभाग को नहीं की गई थी।

मिली जानकारी के अनुसार

सूत्रों के अनुसार, विभाग द्वारा भेजी गई राशि में गंभीर अनियमितता हुई है। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी सामान की खरीद या सेवा आपूर्ति के बाद ही संबंधित भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन यहां विपरीत स्थिति सामने आई है — बिना आपूर्ति के ही पूरा भुगतान कर दिया गया।

इस पूरे मामले ने विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि इन भुगतानों में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका है।

नियमों की अनदेखी!

सरकारी प्रक्रिया के तहत किसी भी विभाग को सामान अथवा सेवा की प्राप्ति के बाद सत्यापन रिपोर्ट तैयार करनी होती है। सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ही भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसके बावजूद भी बिना किसी डिलीवरी के लाखों रुपये का भुगतान कर देना बेहद गंभीर मामला है।

इस पर एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया —
“आमतौर पर सप्लाई के बाद ही भुगतान का प्रावधान है। बिना आपूर्ति के भुगतान करना स्पष्ट तौर पर नियमों का उल्लंघन है। यह मामला निश्चित रूप से जांच के लायक है।”

जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे

इस पूरे प्रकरण पर जब मीडिया ने जिला बाल संरक्षण इकाई कैमूर के सहायक निदेशक श्री राजन कुमार से संपर्क किया, तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने इतना ही कहा —
“इस खरीदारी से जुड़ी जानकारी विभाग साझा नहीं कर सकता।”

यह चुप्पी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। जब सच्चाई छुपाने की कोशिश होती है तो मामला और गंभीर दिखाई देता है।

जांच की मांग तेज

स्थानीय सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि बाल संरक्षण इकाई जैसे संवेदनशील विभाग में इस तरह की अनियमितता होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

जिला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश पांडेय का कहना है —
“बाल संरक्षण इकाई बच्चों के हित में कार्य करने वाला एक महत्वपूर्ण विभाग है। यहां पर अगर ऐसी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं तो इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”

बच्चों के हितों के साथ खिलवाड़?

विभाग का काम बच्चों के हित में नीतियां बनाना, बाल गृहों की देखरेख करना और जरूरतमंद बच्चों तक सुविधाएं पहुंचाना है। यदि ऐसे विभाग में इस तरह की गड़बड़ी सामने आती है तो यह कहीं न कहीं बच्चों के हितों के साथ खिलवाड़ जैसा प्रतीत होता है।

आगे क्या?

फिलहाल यह मामला प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में सुर्खियों में आ गया है। उम्मीद की जा रही है कि उच्चस्तरीय जांच के आदेश जल्द दिए जाएंगे। यदि यह साबित हो जाता है कि बिना आपूर्ति के भुगतान किया गया है, तो संबंधित अधिकारियों और कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव है।

सरकारी विभागों में इस तरह के वित्तीय अनियमितता के मामलों से न केवल सरकारी धन की हानि होती है, बल्कि आम जनता का विश्वास भी टूटता है। जिला प्रशासन को चाहिए कि इस मामले में शीघ्रता से जांच कर दोषियों को चिह्नित किया जाए और उचित दंड दिया जाए।

साथ ही, भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों से बचने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।

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