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कैमूर में पुलिस की दबंगई: सोनहान थाना की 112 डायल पुलिस ने दलित बच्ची को बेरहमी से पीटा

कैमूर न्यूज़

कैमूर में पुलिस की दबंगई: सोनहान थाना की 112 डायल पुलिस ने दलित बच्ची को बेरहमी से पीटा, अस्पताल में भर्ती

संक्षिप्त :

कैमूर जिले के कझार गांव में सोनहान थाना की डायल 112 पुलिस ने एक दलित नाबालिग लड़की अन्नू कुमारी को घर में घुसकर बेरहमी से पीटा। लड़की बेहोश हो गई और उसे भभुआ सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना को लेकर जिला परिषद सदस्य ने SP से दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।

हाईलाइट न्यूज़:

  1. कैमूर जिले के कझार गांव में डायल 112 पुलिस ने दलित नाबालिग बच्ची को घर में घुसकर पीटा।

  2. पीड़िता अन्नू कुमारी बेहोश हो गई, जिसे भभुआ सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

  3. घटना के वक्त महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी, जो कानून का उल्लंघन है।

  4. जिला परिषद सदस्य विकास सिंह ने घटना की निंदा करते हुए SP से कार्रवाई की मांग की।

  5. स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश, दोषी पुलिसकर्मियों पर FIR व निलंबन की मांग तेज।

Report By : Rupesh Kumar Dubey (News Era) || Date : 15 June 2025 ||

बिहार के कैमूर जिले से एक शर्मनाक और मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां डायल 112 की पुलिस पर एक दलित समाज की नाबालिग बच्ची को घर में घुसकर बेरहमी से पीटने का आरोप लगा है। घटना सोनहान थाना क्षेत्र के कझार गांव की है, जहां पुलिस की इस दबंगई से पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कझार गांव निवासी संतोष पासवान की 18 वर्षीय पुत्री अन्नू कुमारी को शनिवार देर रात पुलिस द्वारा घर में घुसकर बुरी तरह से पीटा गया। मारपीट इतनी क्रूर थी कि अन्नू कुमारी बेहोश हो गई और लगभग दो घंटे बाद होश में आई। इसके बाद परिजनों ने आनन-फानन में उसे सदर अस्पताल, भभुआ में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

घटना की सूचना मिलते ही रात करीब 11:00 बजे जिला परिषद सदस्य भभुआ, विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल, सदर अस्पताल पहुंचे और पीड़िता व उसके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा,

“यह कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला है। पुलिस का काम सुरक्षा देना होता है, न कि दलित बेटियों पर लाठियां चलाना।”

जमीनी विवाद में पुलिस की एकतरफा कार्रवाई?

जिला परिषद सदस्य ने बताया कि गांव में दो पक्षों के बीच पुराने समय से जमीनी विवाद चल रहा है। उसी विवाद के संदर्भ में जब डायल 112 की पुलिस कझार गांव पहुंची, तो उन्होंने अन्नू कुमारी को निर्दोष होने के बावजूद निशाना बनाया। आरोप है कि पुलिस ने बिना महिला पुलिस की मौजूदगी के ही लड़की को मारा-पीटा, जो कानूनन भी गलत है।

“अगर किसी महिला को पूछताछ या हिरासत में लेना भी होता है, तो महिला पुलिस की उपस्थिति अनिवार्य होती है। लेकिन यहां तो पुलिस ने कानून को ही अपने हाथ में ले लिया है।” — विकास सिंह, जिला परिषद सदस्य

अस्पताल में भर्ती अन्नू कुमारी की हालत नाजुक

सदर अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, अन्नू कुमारी को सिर, पीठ और हाथ में गंभीर चोटें आई हैं। शुरुआती उपचार के बाद भी उसे बार-बार बेहोशी आ रही है। फिलहाल, चिकित्सकों की एक टीम उसकी देखरेख में जुटी है।

जिला परिषद सदस्य ने SP से की कार्रवाई की मांग

विकास सिंह ने कैमूर के पुलिस अधीक्षक से इस घटना पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए और उन्हें निलंबित किया जाए, ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को वे मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष भी उठाएंगे।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

घटना की खबर जैसे ही गांव और आस-पास के क्षेत्रों में फैली, लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस ही इस तरह बर्बरता करेगी तो आम जनता कैसे सुरक्षित महसूस करेगी। ग्रामीणों ने दोषी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर थाना का घेराव करने की चेतावनी दी है।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

इस घटना के बाद कैमूर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस पर दलित समाज के लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला एक नाबालिग लड़की की पिटाई से जुड़ा है, जिससे यह और गंभीर हो गया है।

मानवाधिकार उल्लंघन का मामला

विधि विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन का मामला माना जा सकता है। बालिका को इस तरह पीटना, वह भी बिना किसी विधिक प्रक्रिया और महिला पुलिस की मौजूदगी के, न केवल गलत है बल्कि भारतीय संविधान और मानवाधिकार कानूनों का सीधा उल्लंघन है।

कैमूर जिले के कझार गांव में घटी यह घटना न केवल पुलिस की मनमानी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार समाज के कमजोर वर्गों को बार-बार सिस्टम का शिकार होना पड़ता है। अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन इस पर कितनी तेजी और गंभीरता से कार्रवाई करता है, और क्या पीड़िता को न्याय दिला पाता है या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दब जाएगा।

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