सिर पर मंडराता पर्यावरणीय संकट: सारंगपुर में कचरे के ढेर से जहरीला धुआं बन रहा मौत की दस्तक

सिर पर मंडराता पर्यावरणीय संकट: सारंगपुर में कचरे के ढेर से जहरीला धुआं बन रहा मौत की दस्तक
|| News Era || Rupesh Kumar Dubey ||
भभुआ: स्वच्छ भारत मिशन की असल तस्वीर देखनी हो, तो भभुआ-चैनपुर मार्ग पर स्थित सुवरन नदी पार सारंगपुर गांव आइए। यहां पर शहर से प्रतिदिन निकलने वाले हजारों टन कचरे को खुले में फेंका जा रहा है। इस इलाके में दर्जनों रिहायशी मकान, दुकानें और एक छात्रावास भी है, लेकिन नगर प्रशासन ने इस मानवीय संकट पर आंखें मूंद ली हैं।
सालों से जमा हो रहे कचरे के ढेरों में अक्सर आग लग जाती है, जिससे उठने वाला जहरीला धुआं और बदबू न केवल स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाल रही है, बल्कि पास के खेतों की उर्वरता भी समाप्त हो रही है। लोगों का जीना दूभर हो गया है।
प्रवेश द्वार पर ही गंदगी: प्रशासन की पोल खोलता दृश्य
भभुआ-चैनपुर मार्ग से शहर में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए यह इलाका प्रथम द्वार की तरह है। लेकिन इस ‘स्वागत द्वार’ पर फैली गंदगी जिले के स्वच्छता के दावों की कलई खोल रही है। यहां आसपास के क्षेत्रों में तेजी से हो रहा आवासीय विकास इस बात का गवाह है कि इलाके का सामाजिक-आर्थिक महत्त्व बढ़ा है। फिर भी नगर परिषद ने इसे कचरा डंपिंग ज़ोन बना डाला है।
आग, धुआं और दम घोंटती बदबू
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कचरे के ढेर में आग लगना आम बात हो गई है। यह आग कभी बीड़ी-सिगरेट के कारण लगती है तो कभी नगरपालिका के कर्मियों द्वारा जान-बूझकर लगाई जाती है, जिससे कचरा जल्द नष्ट हो सके।
लेकिन इसके पीछे की कीमत चुकानी पड़ रही है सारंगपुर, गोड़हन, और दुमदुम गांवों के लोगों को। हवा में फैला जहरीला धुआं सांस लेना मुश्किल बना देता है। स्थानीय दुकानदार, किसान, छात्र और शिक्षक सभी इस समस्या से त्रस्त हैं।
बच्चों की आंखों में जलन, श्वास की समस्या आम
इस कचरा डंपिंग ज़ोन के समीप स्थित छात्रावास में रह रहे छात्रों ने बताया कि जब कचरे में आग लगती है, तो चारों तरफ धुंआ ही धुंआ नजर आता है। यह धुआं हवा के साथ छात्रावास तक पहुंच जाता है, जिससे छात्रों को सांस लेने में परेशानी होती है और आंखों में जलन शुरू हो जाती है।
एक छात्र ने बताया, “कभी-कभी इतनी जलन होती है कि पढ़ाई पर ध्यान देना नामुमकिन हो जाता है। शिक्षक भी परेशान रहते हैं, लेकिन मजबूरी में हमें यहां रहना पड़ता है।”
स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा
स्थानीय निवासियों में इस मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश है। दुकानदार नथुनी यादव ने कहा, “इलाके में बड़े पैमाने पर कचरा डंप किया जा रहा है। इसकी वजह से ना सिर्फ हवा प्रदूषित हो रही है बल्कि मच्छर और जानवर भी इधर-उधर फैलने लगे हैं।”
वहीं बैटरी वाहन चालक नागेश सिंह ने बताया, “धुएं और बदबू के कारण घरों में ठीक से खाना तक नहीं खा पाते हैं। यह अब सहन शक्ति के बाहर हो गया है।”
खेत भी हो रहे बंजर, बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट
पॉलीथिन और अन्य रासायनिक तत्वों के कारण आसपास की कृषि योग्य भूमि बंजर होती जा रही है। प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोग गंभीर बीमारियों के खतरे से चिंतित हैं।
गोड़हन निवासी कपिल मुनि शर्मा ने कहा, “हम रोज इसी रास्ते से गुजरते हैं। धुएं से आंखों में जलन और सांस की तकलीफ होती है। साथ ही दुर्घटना की संभावना भी बनी रहती है।”
प्रशासनिक उपेक्षा से उपजा आक्रोश
लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर प्रशासन से इस समस्या की शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनके अनुसार, वार्ड पार्षद और नगर अध्यक्ष सब कुछ जानकर भी मूकदर्शक बने हुए हैं।
समाजसेवी राजेश पासवान ने बताया, “हमने हर स्तर पर शिकायत की, लेकिन नतीजा शून्य रहा। अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी और जल्द ही आंदोलन शुरू होगा।”
जिप सदस्य विकास सिंह ने लिया संज्ञान
रविवार को जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल जब इस रास्ते से गुजर रहे थे, तो कचरे से उठते धुएं के गुबार को देखकर वह चौंक गए। उन्होंने तुरंत गाड़ी रोककर स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनकी परेशानियों को गंभीरता से सुना।
विकास सिंह ने कहा, “यह क्षेत्र नगर परिषद के अधीन नहीं है, फिर भी यहां कचरा फेंका जा रहा है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं जल्द ही जिले के वरीय अधिकारियों से मिलकर इस विषय पर कड़ी कार्रवाई की मांग करूंगा।”
दमकल पहुंचा, पर स्थायी समाधान नहीं
विकास सिंह की पहल पर तत्काल दमकल वाहन पहुंचा और आग बुझाने का कार्य किया गया। लेकिन स्थानीय लोग इस अस्थायी समाधान से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि यह समस्या हमेशा के लिए खत्म होनी चाहिए, नहीं तो आंदोलन होगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि कचरा प्रबंधन के इस तरीके से न केवल पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
एक स्थानीय डॉक्टर के अनुसार, “धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, डायॉक्सिन और फ्यूरान जैसे जहरीले रसायन होते हैं, जो कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।”
स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत शहरों को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाने की बात कही गई थी। लेकिन भभुआ जैसे छोटे शहरों में यह योजना सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गई है।
प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट है।
स्थानीय लोगों की मांग
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कचरा डंपिंग को तत्काल रोका जाए।
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सारंगपुर और आसपास के इलाकों को कचरा मुक्त घोषित किया जाए।
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कचरा प्रबंधन के लिए वैकल्पिक और वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाए।
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जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
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दोषी नगर कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई हो।
कब जागेगा प्रशासन?
सारंगपुर में फैलती यह पर्यावरणीय त्रासदी प्रशासन की नाकामी का प्रतीक है। यह सिर्फ स्वच्छता का मुद्दा नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन चुका है।