भाकपा-माले का राज्यव्यापी लोकतंत्र बचाओ अभियान शुरू”
Patna News

“गरीबों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश नहीं चलेगी: भाकपा-माले का राज्यव्यापी लोकतंत्र बचाओ अभियान शुरू”
Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 05 july 2025 ||
बिहार में एक बार फिर लोकतंत्र को बचाने की पुकार बुलंद की गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने राज्यभर में ‘मताधिकार बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ नाम से जन अभियान की शुरुआत की है, जो 1 जुलाई से 31 जुलाई 2025 तक चलेगा। इसी अभियान के तहत शनिवार को पटना के सम्पतचक प्रखंड के गोपालपुर मोड़ से उप स्वास्थ्य केंद्र तक एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया।
भाकपा-माले के नेताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण कार्यक्रम के जरिए गरीब, दलित, महादलित और अल्पसंख्यक तबके को मतदाता सूची से जानबूझकर बाहर करने की साजिश की जा रही है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विरोध मार्च में गूंजे नारे
सम्पतचक के गोपालपुर मोड़ से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र तक जैसे ही यह मार्च बढ़ा, “मताधिकार बचाओ – लोकतंत्र बचाओ”, “संविधान बचाओ – जनाधिकार बचाओ”, जैसे नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। स्थानीय लोगों, युवाओं और महिलाओं की भागीदारी ने इस मार्च को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया।
मार्च की अगुवाई कर रहे भाकपा-माले सम्पतचक प्रखंड के सचिव सत्यानंद कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“यह महज कोई रूटीन राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने का संघर्ष है। जो लोग गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटाना चाहते हैं, वे संविधान की आत्मा पर हमला कर रहे हैं। हम इसे किसी भी कीमत पर नहीं चलने देंगे।”
मुख्य मांगें:
भाकपा-माले ने इस विरोध मार्च के दौरान चुनाव आयोग से तीन प्रमुख मांगें रखीं:
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विशेष सघन पुनरीक्षण प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
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अब तक हटाए गए नामों की जांच कर पुनः शामिल किया जाए।
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प्रत्येक नागरिक को मत देने के अधिकार की गारंटी की जाए, विशेषकर हाशिए पर खड़े तबकों को।
लोकतंत्र पर हमला, संविधान को खतरा
प्रखंड सचिव सत्यानंद कुमार ने कहा कि
“आज का अभियान केवल मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के विरोध में नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी साजिश के खिलाफ है, जिसमें संविधान को कमजोर कर जनता के मौलिक अधिकारों को छीनने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा,
“अगर गरीब, मजदूर, किसान, दलित, अल्पसंख्यक, महिलाएं—यानी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा ही वोट नहीं डाल पाएगा, तो यह चुनाव नहीं बल्कि सत्ता की लूट बन जाएगी।”
गरीबों को मताधिकार से वंचित करने की चाल
भाकपा-माले नेताओं ने यह आरोप भी लगाया कि इस बार कई क्षेत्रों में लोगों के मतदाता पहचान पत्र बिना सूचना के निरस्त कर दिए गए हैं।
बिना ठोस कारण और बिना जानकारी के नाम हटाने की इस प्रक्रिया से आम नागरिक परेशान है और गुस्से में भी है।
पार्टी का मानना है कि यह एक सुनियोजित योजना है, जिससे आमजन को लोकतंत्र से बाहर किया जा सके।
मीडिया और नागरिक समाज से अपील
भाकपा-माले ने इस विरोध मार्च के जरिए सभी मीडिया संस्थानों, रिपोर्टरों और जन संगठनों से अपील की कि वे इस लोकतंत्र रक्षक अभियान में सहभागी बनें।
सत्यानंद कुमार ने कहा,
“मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। जब जनता का अधिकार छीना जा रहा हो, तब पत्रकारों की भूमिका और भी अहम हो जाती है। हम अपील करते हैं कि लोकतंत्र की इस लड़ाई में आप सब भी हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।”
आगे की योजना
यह अभियान सम्पतचक तक सीमित नहीं रहेगा।
भाकपा-माले ने ऐलान किया है कि आने वाले दिनों में
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विभिन्न पंचायतों,
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नगर परिषदों,
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ब्लॉक मुख्यालयों
पर भी धरना, प्रदर्शन और जन संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अभियान के अंतर्गत
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जन जागरूकता रैलियां,
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घर-घर संपर्क अभियान
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बूथ स्तर पर निगरानी समितियों का गठन भी किया जाएगा।
मार्च की झलक
मार्च में सैकड़ों ग्रामीण, महिला संगठन की कार्यकर्ता, छात्र-नौजवान शामिल हुए।
हर हाथ में तख्ती थी, हर चेहरे पर आक्रोश था — और हर नारा यही कह रहा था:
“वोट छीनना बंद करो, लोकतंत्र का सम्मान करो!”
भाकपा-माले का यह जन अभियान बिहार की राजनीति में एक नई चेतना का संकेत देता है।
जब सत्ता पक्ष और विपक्ष चुनावी रणनीतियों में व्यस्त हैं, तब गरीबों के अधिकारों की बात उठाना लोकतंत्र के असली चरित्र की पहचान है।
सम्पतचक से उठी यह आवाज़ अब पूरे बिहार में गूंजने को तैयार है।
क्या प्रशासन इस पर ध्यान देगा, या विरोध की यह आग और भड़केगी— ये आने वाले दिनों में साफ होगा।
✒️ रिपोर्ट: न्यूज़ इरा, सम्पतचक
📆 तारीख: 5 जुलाई 2025