दमोह: जबेरा सड़क हादसे के पीड़ित मजदूरों को नहीं मिली मदद, मंत्री की घोषणा साबित हुई दिखावा
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दमोह: जबेरा सड़क हादसे के पीड़ित मजदूरों को नहीं मिली मदद, मंत्री की घोषणा साबित हुई दिखावा
संक्षिप्त समाचार :
दमोह जिले के जबेरा में 5 मई को हुए सड़क हादसे में तीन मजदूरों की मौत पर मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने आर्थिक सहायता की घोषणा की थी, लेकिन आज तक किसी परिजन को राहत राशि नहीं मिली। संबल कार्डधारी रोशन को ही चार लाख देने की बात कही गई, जबकि अन्य मृतकों के परिवार अब भी न्याय की आस लगाए हैं।
हाइलाइट न्यूज़ :
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जबेरा, दमोह में 5 मई को सड़क हादसे में तीन मजदूरों की मौत हुई थी।
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मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने मृतकों के परिवार को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी।
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आज तक किसी भी पीड़ित परिवार को राहत राशि नहीं मिली है।
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सिर्फ संबल कार्डधारी को मदद देने की बात कही जा रही है।
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गरीब परिवार न्याय और सहायता के लिए भटक रहे हैं।
Report By : Mahendra Singh Lodhi (News Era, Damoh) || 04 July 2025 ||
दिनांक 5 मई 2025 को दमोह जिले के जबेरा विधानसभा क्षेत्र स्थित हरदुआ सड़क बस स्टैंड पर एक भीषण सड़क हादसे ने तीन मजदूरों की जिंदगी छीन ली थी। हादसा उस वक्त हुआ जब एक ट्रैक्टर और ट्रक की आमने-सामने टक्कर हो गई। इस दुर्घटना में दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीसरे ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।
इस हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई थी। स्थानीय लोगों और मजदूर संगठनों में रोष था। घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मंत्री धर्मेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए प्रत्येक मृतक के परिवार को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि तथा घायलों को 50,000 रुपये तक की राहत राशि देने की सार्वजनिक घोषणा की।
मंत्री की घोषणा साबित हुई सिर्फ जुमला
हादसे को हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन आज तक मृतकों के परिजनों को एक भी रुपया नहीं मिला है। न ही घायल मजदूरों को कोई सरकारी राहत दी गई है। पीड़ित परिवार लगातार प्रशासन और मंत्री कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा।
मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि मृतक रोशन के परिवार को चार लाख रुपये की सहायता दिलवाई जाएगी। परंतु यह राशि किसी विशेष प्रयास या मानवीय आधार पर नहीं, बल्कि संबल योजना के अंतर्गत दी जानी थी, जिसका रोशन पहले से पात्र था। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने किसी नए अथवा विशेष प्रयास के तहत सहायता नहीं दी।
अन्य मृतकों को क्यों नहीं मिली राहत?
हादसे में जान गंवाने वाले दो अन्य मजदूर – धीरेंद्र प्रजापति (निवासी अभाना) और राजेश रैकवार – संबल कार्डधारी नहीं थे, इसलिए उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता से वंचित रखा गया।
धीरेंद्र प्रजापति का पारिवारिक हाल अत्यंत दयनीय है। उनके पिता पहले ही स्वर्गवासी हो चुके हैं। घर में दो अविवाहित बहनें और एक विधवा मां हैं। इस दुर्घटना के बाद परिवार पूरी तरह टूट चुका है। उनके पास कोई आय का साधन नहीं बचा है। यही स्थिति राजेश रैकवार के परिवार की भी है, जो गांव में मजदूरी कर किसी तरह जीवन बिता रहे थे।
सरकारी वादाखिलाफी से नाराज हैं परिजन
पीड़ित परिवारों का कहना है कि यदि मंत्री ने मंच से सार्वजनिक रूप से सहायता की बात कही थी, तो उसे निभाया क्यों नहीं गया? क्या यह सिर्फ मीडिया और भीड़ को शांत करने के लिए की गई एक राजनीतिक घोषणा थी?
परिजनों का आरोप है कि सरकार सिर्फ कागजों में योजनाएं चलाती है, लेकिन जब ज़मीनी स्तर पर जरूरत होती है, तब पीड़ितों को टाल दिया जाता है।
सामाजिक संगठनों ने उठाई आवाज़
इस पूरे मामले को लेकर कई स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। संगठनों का कहना है कि गरीब मजदूर जिनके पास संबल कार्ड नहीं है, उन्हें भी मानवीय आधार पर राहत मिलनी चाहिए। दुर्घटनाएं किसी की पहचान देखकर नहीं होती, तो फिर मदद भी भेदभाव रहित होनी चाहिए।
मांगें जो उठ रही हैं
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सभी मृतकों के परिवारों को बराबर मुआवजा राशि दी जाए।
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जिनके पास संबल कार्ड नहीं है, उन्हें विशेष अनुमति से राहत प्रदान की जाए।
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मंत्री द्वारा की गई सार्वजनिक घोषणा पर तत्काल अमल हो।
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प्रशासन इस प्रकरण में स्पष्टीकरण जारी करे कि अब तक मदद क्यों नहीं दी गई।
जब जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हादसों के बाद संवेदना जताने आते हैं और सार्वजनिक रूप से सहायता की घोषणा करते हैं, तो उससे गरीब, बेसहारा लोगों में एक उम्मीद जगती है। लेकिन जब वह घोषणा सिर्फ दिखावा बनकर रह जाए, तो यह न केवल राजनीतिक धोखा होता है, बल्कि समाज के उन सबसे कमजोर वर्गों के साथ अन्याय भी होता है जिन्हें सबसे अधिक मदद की जरूरत होती है।
रिपोर्ट: महेन्द्र सिंह
स्टेट ब्यूरो चीफ, न्यूज़ इरा चैनल
लोकेशन: जबेरा, जिला दमोह (मध्य प्रदेश)