क्राइमटॉप न्यूज़बिहारबिहार न्यूज़राज्य

फर्जी डॉक्टर ने वीडियो कॉल से कराई डिलीवरी, महिला की मौत

फर्जी डॉक्टर ने वीडियो कॉल से कराई डिलीवरी, महिला की मौत – रोहतास के गोरारी स्थित जनता हॉस्पिटल सील, डॉक्टर फरार

|| न्यूज़ एरा संवाददाता: रुपेश दुबे || रोहतास, बिहार ||

बिहार के रोहतास जिले से एक बेहद चौंकाने वाली और दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। काराकाट प्रखंड के जयश्री गांव की रहने वाली 26 वर्षीय संगीता देवी की एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। आरोप है कि अस्पताल में ऑपरेशन वीडियो कॉल के जरिए कराया गया, और वह भी तब जब डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं था।

प्रसव पीड़ा में महिला को पहुंचाया गया निजी अस्पताल

घटना बीते मंगलवार की है। जयश्री गांव निवासी विनोद प्रसाद की पत्नी संगीता देवी को अचानक तेज प्रसव पीड़ा हुई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काराकाट ले जाया गया, लेकिन वहां से आशा कार्यकर्ता ने उसे रेफर कर पास ही स्थित एक निजी अस्पताल – “जनता हॉस्पिटल गोरारी” में भर्ती कराया।

परिजनों का कहना है कि उन्होंने आशा कार्यकर्ता की सलाह पर ही इस निजी अस्पताल का रुख किया था। उन्हें भरोसा था कि बेहतर देखभाल और सुविधा के कारण यहां सुरक्षित डिलीवरी हो जाएगी।

ऑपरेशन वीडियो कॉल से, डॉक्टर मौके पर नहीं था

सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि डिलीवरी के समय अस्पताल का कथित डॉक्टर, राजदेव कुमार सिंह, मौके पर मौजूद नहीं था। परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने किसी अन्य व्यक्ति को वीडियो कॉल पर निर्देश देकर ऑपरेशन कराया।

जब संगीता देवी को लेबर रूम में ले जाया गया, तो परिवार को कहा गया कि ऑपरेशन सामान्य है और डॉक्टर दूर से सब कुछ मॉनिटर कर रहे हैं। लेकिन कुछ देर बाद ही महिला की हालत बिगड़ गई और अस्पताल प्रशासन ने यह कहते हुए उन्हें सूचना दी कि संगीता की मौत हो चुकी है।

बच्चा सुरक्षित, लेकिन परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

एक ओर जहां नवजात पूरी तरह सुरक्षित बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मां की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। संगीता देवी की मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। पति विनोद प्रसाद समेत अन्य परिजन बेसुध हो गए।

गांव और आसपास के इलाके में भी यह खबर आग की तरह फैल गई और लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला।

अस्पताल स्टाफ और डॉक्टर फरार

महिला की मौत की खबर सुनकर परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। भीड़ बढ़ने लगी और स्थिति तनावपूर्ण होती गई। इसी बीच अस्पताल स्टाफ और आरोपी डॉक्टर राजदेव कुमार सिंह मौके से फरार हो गए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में लंबे समय से नियमों की अनदेखी हो रही थी। डॉक्टर के डिग्री और रजिस्ट्रेशन को लेकर भी संदेह था। अब जब एक महिला की जान चली गई, तब जाकर यह पूरा मामला उजागर हुआ।

सिविल सर्जन ने तत्काल की कार्रवाई, अस्पताल सील

घटना की सूचना मिलते ही रोहतास जिले के सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जनता हॉस्पिटल, गोरारी को तत्काल प्रभाव से सील करवा दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम को जांच के लिए भेजा गया, जिसमें अस्पताल की कार्यशैली और संचालन में भारी अनियमितता पाई गई।

डॉ. रंजन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि –

“यह एक बेहद गंभीर मामला है। ऑपरेशन वीडियो कॉल पर कराना मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है। महिला की मौत लापरवाही का परिणाम है। हमने अस्पताल को सील कर दिया है और आरोपी डॉक्टर तथा आशा कार्यकर्ता के खिलाफ जांच और प्राथमिकी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।”

फर्जीवाड़ा और स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल

यह घटना एक बार फिर बिहार की ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोलती है। डॉक्टर के मौके पर न रहते हुए वीडियो कॉल से ऑपरेशन कराना न सिर्फ गैर-कानूनी है बल्कि अमानवीय भी है। यह सवाल उठता है कि जब अस्पताल में योग्य स्टाफ नहीं था, तो प्रसव जैसी गंभीर प्रक्रिया को वहां अंजाम क्यों दिया गया?

स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक केंद्रों की असफलता और निजी अस्पतालों की मनमानी ग्रामीणों के लिए जानलेवा साबित हो रही है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस की जांच जारी

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस भी हरकत में आ गई है। थानाध्यक्ष ने बताया कि परिवार की ओर से दिए गए बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। आरोपी डॉक्टर राजदेव कुमार सिंह की तलाश की जा रही है।

वहीं आशा कार्यकर्ता की भूमिका की भी जांच की जा रही है, क्योंकि उसी की सिफारिश पर संगीता को जनता हॉस्पिटल भेजा गया था। इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या आशा कार्यकर्ता को अस्पताल से कोई कमीशन या अनुचित लाभ मिलता था।

परिजनों की मांग – आरोपी को मिले कड़ी सजा

संगीता देवी के पति विनोद प्रसाद का कहना है कि –

“हमने अपने परिवार का सहारा खो दिया। हमारी गलती सिर्फ इतनी थी कि हमने डॉक्टर और अस्पताल पर भरोसा किया। अब हमें न्याय चाहिए। डॉक्टर को कड़ी से कड़ी सजा मिले।”

परिजन स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन से भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं।


 एक और लापरवाही बनी मौत की वजह

रोहतास की यह घटना एक बड़ा सबक है कि किस तरह ग्रामीण इलाकों में फर्जी या गैर-जिम्मेदार डॉक्टर लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। वीडियो कॉल पर डिलीवरी कराना और महिला की मौत हो जाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि सीधे तौर पर हत्या के दायरे में आता है।

स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि ऐसे अस्पतालों पर सख्त नजर रखे और समय-समय पर जांच कराएं। वहीं आम जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है कि किसी भी अस्पताल या डॉक्टर पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!