पंचायत में उजाले के नाम पर अंधेरगर्दी, जबेरा नगर की लाइटिंग में लाखों का खेल!
दमोह न्यूज़

पंचायत में उजाले के नाम पर अंधेरगर्दी, जबेरा नगर की लाइटिंग में लाखों का खेल!
रिपोर्ट : स्टेट ब्यूरो चीफ – महेन्द्र सिंह || Date : 20 July 2025 ||
दमोह जिले की जबेरा ग्राम पंचायत में बीते दो वर्षों में पंचायत के नाम पर बड़े पैमाने पर की गई लाइटिंग व्यवस्था में घोटाले की बू आने लगी है। एलईडी और फ्लड लाइट्स की खरीददारी को लेकर सरपंच और पंचायत सचिव पर गंभीर आरोप लगे हैं। जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने सार्वजनिक रूप से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है और कहा है कि यह “नकली उजाले के नाम पर असली भ्रष्टाचार” है।
25 लाख की एलईडी लाइटों में लाखों का घोटाला?
जानकारी के अनुसार, 1 जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच जबेरा नगर में 25 लाख रुपये से अधिक की लागत से एलईडी और फ्लड लाइट्स लगवाई गईं। इसमें खास तौर पर 32 फ्लड लाइट्स (150 वॉट) लगाई गईं, जिनकी प्रति लाइट कीमत 19,414 रुपये दिखाई गई। कुल मिलाकर केवल इन 32 फ्लड लाइट्स का मूल्य 6,21,848 रुपये और GST सहित कुल भुगतान राशि 7,29,248 रुपये बताई गई।
लेकिन जब इस कीमत की बाजार दरों से तुलना की गई, तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। उसी स्पेसिफिकेशन की फ्लड लाइट्स की बाजार में औसत कीमत प्रति लाइट 3050 रुपये है। ऐसे में 32 लाइट्स की बाजार कीमत महज 97,600 रुपये बनती है।
इस तरह केवल फ्लड लाइट्स में ही करीब 6.3 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
अन्य लाइटों में भी भारी गड़बड़ी का आरोप
सिर्फ फ्लड लाइट ही नहीं, बल्कि 24 वॉट, 45 वॉट और 50 वॉट की अन्य स्ट्रीट लाइट्स की खरीद में भी इसी प्रकार का घोटाला सामने आया है। बाजार मूल्य और भुगतान राशि में 2 से 4 गुना तक का अंतर पाया गया है।
यह साफ दर्शाता है कि पंचायत द्वारा जारी बिलों में लाइटों की कीमतें मनमाने ढंग से निर्धारित की गईं और इस बहाने भारी भरकम सरकारी राशि का गबन किया गया।
जनप्रतिनिधि की मांग – हो निष्पक्ष जांच, दर्ज हो FIR
जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने इस गंभीर मामले को लेकर सार्वजनिक बयान दिया है। उनका कहना है:
“जबेरा पंचायत में उजाले के नाम पर अंधेरे की साजिश रची जा रही है। सरपंच और सचिव की मिलीभगत से लाखों रुपये का घोटाला किया गया है। यह जनता के टैक्स का पैसा है, इसे इस तरह लूटा नहीं जा सकता।”
उन्होंने माननीय कलेक्टर महोदय से इस पूरे प्रकरण की सघन जांच कराए जाने की मांग की है और दोषियों पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की अपील की है।
कई अन्य पंचायतों में भी इसी तरह की शिकायतें
यह मामला सिर्फ जबेरा तक सीमित नहीं है। दमोह जिले के अन्य पंचायत क्षेत्रों से भी इसी तरह की शिकायतें मिल रही हैं कि पंचायत प्रतिनिधि मनमानी कीमतों पर सामान की खरीददारी कर रहे हैं और बिलों में मनचाहे मूल्य दर्शाकर सरकारी धन की बंदरबांट कर रहे हैं।
अगर इन मामलों की गहराई से जांच की जाए तो सामने आ सकता है कि किस तरह से स्थानीय स्तर पर योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है।
कलेक्टर और प्रशासन की भूमिका अहम
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दमोह के माननीय कलेक्टर महोदय इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल सरकार की योजनाओं को धक्का पहुंचाएगा, बल्कि आम जनता का भरोसा भी पंचायती राज व्यवस्था से उठ जाएगा।
जब पंचायतें ही भ्रष्टाचार का केंद्र बन जाएं, तो गांवों की मूलभूत सुविधाओं और विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है? जबेरा पंचायत में उजाले के नाम पर अंधकार फैलाने की जो साजिश रची गई है, उस पर तत्काल सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को कानून के कटघरे में खड़ा करे — ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके और आगे कोई सरपंच अथवा सचिव इस प्रकार जनता के पैसे से खेल न सके।
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