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पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या

Patna Crime News

पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या: कौन थे खेमका, क्यों बनी उनकी हत्या बड़ी चुनौती?

सारांश :

पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र स्थित रामगुलाम चौक पर शुक्रवार रात अज्ञात अपराधियों ने प्रसिद्ध उद्योगपति और भाजपा नेता डॉ. गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी। हमलावर फरार हैं। पुलिस ने घटनास्थल से दो कारतूस बरामद किए हैं और SIT गठित कर जांच शुरू कर दी है।

हाइलाइट्स:

  • पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की सरेआम हत्या।

  • अपार्टमेंट के बाहर सिर में मारी गई गोली।

  • दो कारतूस बरामद, हमलावर फरार।

  • हेल्थकेयर और भाजपा से थे जुड़े।

  • पुलिस ने बनाई SIT, जांच तेज।

Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 05 July 2025 ||


राजधानी पटना में शुक्रवार की रात एक बड़ी आपराधिक वारदात ने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। शहर के जाने-माने उद्योगपति और भाजपा से जुड़े नेता डॉ. गोपाल खेमका की रामगुलाम चौक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस सनसनीखेज वारदात ने न केवल पटना बल्कि पूरे बिहार के औद्योगिक और राजनीतिक हलकों को झकझोर कर रख दिया है।

घटना की भयावहता, खुलेआम फायरिंग और एक सम्मानित व्यक्ति की हत्या – यह सब दर्शाता है कि राजधानी की सड़कों पर अपराधी कितने बेखौफ हो चुके हैं। आइए जानते हैं कि कौन थे गोपाल खेमका, कैसे हुई हत्या और इस हत्याकांड के पीछे कौन-से संभावित कारण हो सकते हैं।


हत्या कैसे हुई? पूरी वारदात की मिनट-दर-मिनट कहानी

शुक्रवार देर रात करीब 11:30 बजे का समय था। गोपाल खेमका एक जरूरी काम निपटाकर अपने अपार्टमेंट लौट रहे थे। उन्होंने गाड़ी को अपार्टमेंट के गेट के पास पार्क किया और जैसे ही उतरने लगे, घात लगाकर बैठे अपराधियों ने उन पर धावा बोल दिया।

बताया जा रहा है कि हमलावर पहले से ही मौके पर मौजूद थे और उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे। अपराधियों ने पास आकर बेहद नजदीक से दो राउंड फायरिंग की, जिसमें से एक गोली गोपाल खेमका के सिर में लगी। वे वहीं लहूलुहान होकर गिर पड़े। गोली की आवाज सुनते ही आसपास के लोग बाहर निकले लेकिन तब तक हमलावर फरार हो चुके थे।

पुलिस को घटना की सूचना मिलते ही मौके पर बुलाया गया। गांधी मैदान थाना की टीम, एफएसएल (Forensic Science Laboratory) और डॉग स्क्वाड घटनास्थल पर पहुंचे। मौके से दो खाली कारतूस बरामद हुए हैं। घायल अवस्था में खेमका को नजदीकी मेडिका अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


पुलिस की कार्रवाई: SIT गठित, CCTV फुटेज खंगाले जा रहे

घटना के कुछ ही घंटों बाद बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने विशेष टीम यानी SIT (Special Investigation Team) के गठन की घोषणा की। इसकी कमान सिटी एसपी-सेंट्रल को सौंपी गई है। साथ ही, पुलिस आसपास के CCTV कैमरों की फुटेज खंगाल रही है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके।

पटना के टाउन डीएसपी-2 प्रकाश कुमार ने कहा,

“घटना की गंभीरता को देखते हुए सभी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। फोरेंसिक टीम द्वारा जांच की जा रही है और जो भी सुराग हाथ लगेंगे, उनके आधार पर जल्द ही कार्रवाई होगी।”


कौन थे डॉ. गोपाल खेमका? जानिए उनके बारे में विस्तार से

डॉ. गोपाल खेमका सिर्फ एक नाम नहीं थे, वे बिहार के हेल्थ सेक्टर, सामाजिक जीवन और उद्योग जगत में एक मजबूत पहचान रखते थे। उन्होंने MBBS की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन उनका झुकाव व्यवसाय और समाजसेवा की ओर भी था। उन्होंने पटना के राजेन्द्र नगर इलाके में एक प्रतिष्ठित अस्पताल, मगध हॉस्पिटल, की स्थापना की थी, जो आज भी शहर के प्रमुख हेल्थ केयर सेंटर्स में शुमार है।

व्यवसायिक गतिविधियां:

  • मगध हॉस्पिटल, राजेन्द्र नगर के संस्थापक

  • पटना में पेट्रोल पंप का संचालन

  • अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित व्यवसायों में सक्रिय भागीदारी

सामाजिक और राजनीतिक पहचान:

  • भाजपा से जुड़े हुए नेता

  • बांकीपुर क्लब के पूर्व सचिव

  • वर्तमान में क्लब के सक्रिय सदस्य

  • समाज सेवा और युवाओं के लिए हेल्थ कैंप्स का आयोजन

वे एक कुशल प्रशासक, सक्रिय कारोबारी, और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद सजग नागरिक थे। यही कारण है कि उनकी हत्या ने समाज के हर वर्ग को हिला कर रख दिया है।


सात साल पहले बेटे की भी हो चुकी है हत्या

सबसे दर्दनाक और चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ. गोपाल खेमका पहले भी एक पारिवारिक सदमे का शिकार हो चुके थे। साल 2017 में उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या कर दी गई थी, जो खुद भी व्यवसाय में उनके सहयोगी थे। उस हत्या की गुत्थी भी काफी समय तक उलझी रही थी और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी थी।

आज सात साल बाद जब गोपाल खेमका की भी उसी तरह गोली मारकर हत्या की गई, तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह कोई व्यक्तिगत रंजिश, व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता या फिर संगठित अपराध का हिस्सा है?


क्या हत्या के पीछे कोई पुराना विवाद है? जांच के संभावित कोण

फिलहाल पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है, लेकिन शुरुआती सूत्रों के अनुसार निम्नलिखित बिंदुओं पर गहराई से जांच हो रही है:

  1. व्यवसायिक रंजिश:
    स्वास्थ्य सेवा और पेट्रोलियम व्यवसाय में खेमका का बड़ा नाम था। हो सकता है किसी प्रतिद्वंदी ने पेशेवर हानि के चलते रंजिश पाल रखी हो।

  2. राजनीतिक कारण:
    भाजपा से उनकी निकटता और सामाजिक सक्रियता से कई राजनीतिक धड़े असहज हो सकते थे।

  3. पुरानी पारिवारिक दुश्मनी:
    बेटे की हत्या के पीछे जो कारण सामने आए थे, क्या उन्हीं से कोई कड़ी जुड़ी हो सकती है?

  4. जमीन-जायदाद से जुड़ा मामला:
    पटना जैसे तेजी से बढ़ते शहर में भूमि विवाद किसी भी बड़ी हत्या का कारण बन सकता है।


क्या कह रही है जनता और व्यापारी वर्ग?

पटना में खेमका की हत्या के बाद व्यापार मंडल, बिजनेस एसोसिएशन, और आम नागरिकों में भारी रोष है। कई व्यापारियों ने शनिवार को दुकानों को बंद रखा और सरकार से मांग की कि:

  • अपराधियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए

  • पटना में उद्योगपतियों की सुरक्षा को लेकर ठोस योजना बनाई जाए

  • शहर में बढ़ते अपराध पर कड़ा नियंत्रण लगे

पटना व्यापार संघ के अध्यक्ष ने कहा,

“अब अगर गोपाल खेमका जैसे व्यक्ति भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम व्यापारी का क्या होगा? पुलिस को यह केस 48 घंटे में सुलझाना चाहिए।”


राजनीतिक प्रतिक्रिया:

भाजपा नेताओं, राजद, और अन्य दलों के नेताओं ने भी इस हत्या पर शोक और नाराज़गी जाहिर की है।
बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा,

“गोपाल खेमका की हत्या राज्य की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। सरकार को अपराधियों को जल्द पकड़ना होगा।”

वहीं राजद प्रवक्ता ने कहा,

“बिहार की राजधानी में खुलेआम हत्या यह दर्शाता है कि नीतीश कुमार सरकार अपराधियों के आगे बेबस हो चुकी है।”


क्या बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं?

डॉ. गोपाल खेमका जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति की हत्या ने न केवल एक परिवार को उजाड़ा है, बल्कि राज्य के कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। पिछले कुछ वर्षों में राजधानी पटना में अपराधियों का दुस्साहस जिस प्रकार से बढ़ा है, वह भयावह है।

अब यह देखना होगा कि एसआईटी किस दिशा में जांच को आगे बढ़ाती है और क्या हत्यारे जल्द कानून के शिकंजे में होंगे या फिर यह मामला भी अंधेरे में खो जाएगा, जैसे बिहार के कई अन्य हाई-प्रोफाइल हत्याकांड।

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