दमोह जिले के लल्लूपुरा गांव में बाढ़ से मची तबाही, 30 एकड़ फसल बर्बाद – जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि ने किया खेतों का निरीक्षण
व्यारमा नदी में आई बाढ़ से जबेरा तहसील के किसानों की मेहनत पर पानी फिरा, भाटा, मिर्च और धान की फसल हुई तबाह, प्रशासन से मुआवजे की मांग तेज

दमोह जिले के लल्लूपुरा गांव में बाढ़ से मची तबाही, 30 एकड़ फसल बर्बाद – जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि ने किया खेतों का निरीक्षण
दमोह (मध्य प्रदेश) | न्यूज़ इरा चैनल | स्टेट ब्यूरो चीफ – महेन्द्र सिंह || Date : 02 Aug 2025||
दमोह जिले की जबेरा तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम लल्लूपुरा में प्राकृतिक आपदा ने किसानों की वर्षों की मेहनत और उम्मीदों को तबाह कर दिया है। व्यारमा नदी में आई भीषण बाढ़ के चलते पटेल मोहल्ला क्षेत्र के लगभग 30 एकड़ क्षेत्र में लगी सब्जी, भाटा, मिर्च और धान की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
तेज बहाव और जलभराव ने खेतों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया है, जिससे किसान परिवारों की आजीविका पर गहरा संकट खड़ा हो गया है। इस गंभीर स्थिति की जानकारी मिलते ही जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह, पटवारी तिलक सिंह, जनपद सदस्य भुजबल सिंह, पूर्व सरपंच और कई किसान प्रतिनिधियों ने मौके पर पहुंचकर खेतों का निरीक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया।
खेतों में सिर्फ पानी और तबाही का मंजर
निरीक्षण के दौरान साफ देखा गया कि खेतों में जहां कभी हरी-भरी फसलें लहलहाती थीं, अब वहां सिर्फ कीचड़, पानी और सड़ी-गली फसलों के अवशेष बचे हैं। भाटा और मिर्च की फसलें पूरी तरह जमीन में समा चुकी हैं। धान की फसल, जो किसान की मुख्य उम्मीद होती है, जलभराव के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है।
किसानों में मायूसी और आक्रोश
स्थानीय किसान रमेश पटेल, बृजेश साहू और रामनाथ चौधरी ने बताया कि उन्होंने ब्याज पर पैसे लेकर बीज, खाद और कीटनाशक खरीदे थे। अब न केवल उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं, बल्कि वे कर्ज के बोझ तले भी दबते जा रहे हैं। खेतों में अब दोबारा बुआई की संभावना भी नहीं बची क्योंकि मिट्टी की उर्वरता और समय – दोनों ही समाप्त हो चुके हैं।
जनप्रतिनिधियों ने दिखाई संवेदनशीलता
जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने किसानों की पीड़ा को गंभीरता से लेते हुए जबेरा तहसीलदार से फोन पर बातचीत कर तत्काल सर्वे और उचित मुआवजा दिलाने की मांग की। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि फसल नुकसान का पंचायत स्तर पर विशेष सर्वे कराकर, किसानों को राहत राशि शीघ्र प्रदान की जाए।
पटवारी तिलक सिंह ने मौके पर ही प्रारंभिक निरीक्षण कर क्षति का आकलन किया, और दस्तावेजी कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। जनपद सदस्य भुजबल सिंह और पूर्व सरपंच ने भी किसानों के हित में तत्काल सरकारी मदद की आवश्यकता जताई।
भविष्य की चुनौतियां और मांगें
किसानों का कहना है कि यह अकेला मौका नहीं है, जब व्यारमा नदी में बाढ़ से तबाही हुई है। हर वर्ष बारिश के मौसम में यह क्षेत्र प्रभावित होता है, लेकिन स्थायी समाधान के अभाव में किसान बार-बार तबाही झेलते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि नदी के किनारे बंधान निर्माण, नालों की सफाई, और जल निकासी की उचित व्यवस्था करवाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
सरकार से उम्मीद
प्रभावित किसानों और जनप्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार से यह अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र को आपदा क्षेत्र घोषित करें और किसानों को कृषि ऋण माफ करने के साथ-साथ बीमा योजना के तहत नुकसान की भरपाई करें।
जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने कहा, “यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि किसानों के सपनों और उनके परिवारों के जीवन यापन का संकट है। प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।”
लल्लूपुरा गांव की यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि प्राकृतिक आपदाएं सबसे अधिक असर ग्रामीण और किसान समुदाय पर डालती हैं। उनकी सुरक्षा, सम्मान और सहायता केवल सरकारी घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर की गई तत्काल और प्रभावी कार्यवाही से ही सुनिश्चित की जा सकती है।