दमोह के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों और स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी, आंगनबाड़ी सहायिका चला रही स्कूल
जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने किया निरीक्षण, ग्राम पौड़ी मानगढ़ और हरदुआ सिंघौरगढ़ के स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाल स्थिति उजागर

दमोह के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों और स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी, आंगनबाड़ी सहायिका चला रही स्कूल
मुख्य बिंदु :
-
पौड़ी मानगढ़ के स्वास्थ्य केंद्र में ANM की पोस्ट खाली, टीकाकरण प्रभावित।
-
आंगनबाड़ी केंद्र में पानी भरा, कार्यकर्ता जान जोखिम में डालकर कर रही कार्य।
-
हरदुआ सिंघौरगढ़ में आंगनबाड़ी सहायिका चला रही पूरी स्कूल।
-
नाग पंचमी स्थल पर शेड निर्माण की मांग।
-
सुजान सिंह ने की शिक्षकों और ANM की भर्ती की मांग, भ्रष्टाचार पर भी उठाए सवाल।
Report By : Mahendra Singh (MP) || Date 01 Aug 2025 ||
दमोह जिले के जबेरा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत पौड़ी मानगढ़ और हरदुआ सिंघौरगढ़ की जमीनी हकीकत ने सरकार के “शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार” के दावों की पोल खोल दी है। जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ इन गांवों के उप स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन, हाई स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सामने आया कि कई जगहों पर मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम गायब, पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं
ग्राम पंचायत पौड़ी मानगढ़ के उप स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करते हुए यह पाया गया कि वहां एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) की पोस्ट लंबे समय से खाली पड़ी है। इस कारण गर्भवती महिलाओं की देखभाल और बच्चों के टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, स्वास्थ्य केंद्र में पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। सुजान सिंह ने तत्कालीन सरपंच मनोज राय को निर्देशित किया कि जल्द से जल्द पानी की व्यवस्था कराई जाए।
सगोड़ी कला में शेड निर्माण की मांग
इसके अलावा ग्राम सगोड़ी कला में स्थित प्रसिद्ध मंदिर के सामने, जहां नाग पंचमी के अवसर पर हर वर्ष हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, वहां छांव की व्यवस्था के लिए शेड बनवाने की मांग की गई। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि त्योहारों के समय भारी भीड़ के बीच छांव की कोई व्यवस्था नहीं होती, जिससे महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग परेशान होते हैं।
हरदुआ सिंघौरगढ़ में आंगनबाड़ी सहायिका पढ़ा रही बच्चों को
निरीक्षण के दौरान हरदुआ सिंघौरगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्र एवं प्राइमरी स्कूल की हालत और भी चिंताजनक रही। यहां एक ही कमरे में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चे और आंगनबाड़ी केंद्र एक साथ चल रहे थे। विद्यालय के शिक्षक योगेंद्र शुक्ला किसी कार्यवश जबेरा गए हुए थे, और उनकी अनुपस्थिति में आंगनबाड़ी सहायिका ही स्कूल चला रही थी।
आंगनबाड़ी केंद्र का भवन पूरी तरह जर्जर अवस्था में है, और बारिश के कारण अंदर पानी भरा हुआ था। इसके बावजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उसी भवन में बैठकर काम कर रही थीं। बच्चों की सुरक्षा और स्वच्छता के दृष्टिकोण से यह स्थिति अत्यंत गंभीर है।
“पड़ेगा जबरा, बढ़ेगा जबेरा” के नारे पर सवाल
निरीक्षण के उपरांत जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सुजान सिंह ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “हमारे मंत्री महोदय कहते हैं, पड़ेगा जबरा, बढ़ेगा जबेरा… लेकिन इन हालातों में जबेरा कैसे बढ़ेगा?” उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार सच में ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर गंभीर है तो प्राथमिकता के आधार पर बेहतर स्कूल भवन, शिक्षक नियुक्तियां, आंगनबाड़ी भवनों का पुनर्निर्माण और स्वास्थ्य विभाग में एएनएम की भर्ती होनी चाहिए।
भ्रष्टाचार की भी खुली पोल
सुजान सिंह ने इस बात पर भी चिंता जताई कि क्षेत्र में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की वजह से योजनाएं केवल कागजों पर ही पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाना चाहती है, तो सबसे पहले भ्रष्टाचार पर रोक लगाए और नियमित मॉनिटरिंग की व्यवस्था करे।
ग्रामीणों की अपेक्षा और प्रशासन की उदासीनता
गांव के लोगों ने बताया कि वे कई बार पंचायत और अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। ग्रामीणों की अपेक्षा है कि बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और सुचारु शैक्षणिक वातावरण मिले, लेकिन आज भी स्कूल में एक कमरे और एक सहायिका के भरोसे शिक्षा दी जा रही है।
दमोह जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की ये तस्वीरें बताती हैं कि विकास की योजनाएं और सरकारी दावे धरातल से बहुत दूर हैं। यदि समय रहते शासन-प्रशासन ने इन समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया, तो “सशक्त ग्रामीण भारत” का सपना अधूरा ही रह जाएगा।