सागर की सड़कों पर गोवंश का आतंक, वाहन चालक रोज़ हादसों के शिकार
गोशालाएं खाली, सड़कें भरी — प्रशासनिक लापरवाही से बढ़ी दुर्घटनाएं, किसान और राहगीर दोनों परेशान

सागर जिले की सड़कों पर गोवंश का कब्ज़ा: वाहन चालकों को रोजाना हादसों का खतरा, गोशालाओं में पसरा है सन्नाटा
रिपोर्ट: स्टेट ब्यूरो चीफ महेन्द्र सिंह | न्यूज़ इरा | तहसील केसली, जिला सागर (MP) || तिथि : 1 Aug 2025 ||
जिले की प्रमुख तहसीलों में शुमार केसली में इन दिनों नगर की मुख्य सड़कों पर आवारा गोवंश का जमावड़ा गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। शासन-प्रशासन द्वारा गोवंश सुरक्षा को लेकर चलाई जा रही योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमटती नजर आ रही हैं, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि सड़कों पर घूम रहे गोवंश आमजन की जान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।
नगर की प्रमुख सड़कों पर हर चौराहे, हर मोड़ और हर गली में गोवंश का जमावड़ा देखा जा सकता है। भूख-प्यास से व्याकुल ये जानवर राहगीरों के लिए जोखिम बने हुए हैं, वहीं वाहन चालकों के लिए ये अनियंत्रित हादसों का कारण बनते जा रहे हैं।
गोशालाएं खाली, सड़कें भरी
गौर करने वाली बात यह है कि जिले में शासन द्वारा आधा दर्जन से अधिक गोशालाएं संचालित की जा रही हैं, जिनका उद्देश्य सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंश को सुरक्षित आश्रय देना था। लेकिन जमीनी स्तर पर यह व्यवस्था पूरी तरह असफल नजर आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक आदेशों के बावजूद इन गोशालाओं में न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही गोवंश को वहां भेजने की ईमानदार कोशिश की जा रही है।
फलस्वरूप, सैकड़ों की संख्या में गाय, बैल और बछड़े खुलेआम नगर की सड़कों पर विचरण कर रहे हैं। न केवल यह आम लोगों के लिए दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं, बल्कि रात के अंधेरे में अचानक वाहन के सामने आ जाने से कई वाहन चालक गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
रोजाना हो रहे हैं हादसे
स्थानीय निवासियों ने बताया कि हर दिन किसी न किसी को गोवंश से जुड़ी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। कभी दोपहिया वाहन चालक गिर जाते हैं, तो कभी ट्रैक्टर या चारपहिया वाहन को बचाने के प्रयास में जान जोखिम में पड़ जाती है।
पिछले कुछ महीनों में कई घटनाएं ऐसी भी हुईं हैं, जहां घायल व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन इन घटनाओं के बाद भी न तो नगर परिषद ने कोई ठोस कार्रवाई की और न ही प्रशासनिक स्तर पर कोई मुहिम चलाई गई।
खेतों पर हमला, किसानों को नुकसान
सड़कों पर घूमने वाले यह गोवंश केवल यातायात में ही बाधा नहीं बन रहे, बल्कि खेतों में घुसकर किसानों की फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। खुराक की तलाश में ये जानवर खेतों में धावा बोलते हैं और कई बार पूरी की पूरी फसल चर जाते हैं।
कई किसानों ने प्रशासन से शिकायत की है कि उन्होंने फसल की रखवाली के लिए रात-रात भर जागना शुरू कर दिया है, क्योंकि ये गोवंश रात के अंधेरे में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। लेकिन अभी तक न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही कोई स्थायी समाधान।
प्रशासनिक दावों पर सवाल
हालांकि प्रशासन का दावा है कि वह गोशालाओं को सुचारु रूप से संचालित कर रहा है और निराश्रित गोवंश को सड़कों से हटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है। तहसील केसली की सड़कों पर प्रत्यक्ष रूप से गोवंश की मौजूदगी प्रशासनिक दावों की पोल खोल रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासनिक आदेशों को पूरी निष्ठा से लागू किया जाए और नगर परिषद जिम्मेदारी से कार्य करे, तो इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है।
जनता कर रही है ठोस कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों और यात्रियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सड़कों पर आवारा गोवंश की बढ़ती संख्या को देखते हुए तत्काल प्रभाव से विशेष अभियान चलाया जाए। इसके अलावा, जो गोशालाएं खाली पड़ी हैं, उन्हें उपयोग में लाया जाए और पर्याप्त चारा-पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
नागरिकों ने यह भी सुझाव दिया कि गोशालाओं की नियमित मॉनिटरिंग की जाए और यदि कोई पंचायत या समिति इसे गंभीरता से नहीं ले रही, तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
गोवंश भारत की आस्था का प्रतीक हैं, लेकिन जब प्रशासनिक लापरवाही और नगर परिषद की निष्क्रियता उन्हें सड़क पर भूखे-प्यासे छोड़ देती है, तो वे दुर्घटनाओं का कारण बन जाते हैं। तहसील केसली में जो स्थिति बन चुकी है, वह न केवल जनसुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि हमारी योजनाओं और उनकी जमीनी क्रियान्वयन की विफलता का भी आईना है।
अब वक्त आ गया है कि शासन और प्रशासन मिलकर इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करें, ताकि गोवंश को सुरक्षित आश्रय मिले और आमजन का जीवन भी सुरक्षित रह सके।