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बेटे के साथ BJP में शामिल हुए बाहुबली सुनील पांडे:, 2006 में जदयू से निकाले गए थे, ASP को गोली मारने कही थी बात

पूर्व विधायक और बाहुबली सुनील पांडे रविवार को बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत ने भी पार्टी की सदस्यता ली है। इससे पहले सुनील पांडे राष्ट्रीय लोजपा में पशुपति पारस के साथ थे।

सुनील पांडे ने 2006 में पटना के ASP को गोली मारने की बात कही थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। सुनील पांडे का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है, लेकिन दिलीप जायसवाल का कहना है कि वे अब पार्टी के सम्मानित सदस्य हैं।

लूट-अपहरण समेत कई मामलों में नामजद

नरेंद्र पांडे उर्फ सुनील पांडे का आपराधिक इतिहास रहा है। लालू-राबड़ी राज के दौरान हत्या, डकैती, अपहरण, लूट के कई मामलों में नामदज रहे हैं। इनके खिलाफ जेल में रहकर मोबाइल चलाना, अस्पताल के कैदी वार्ड में मरीज बनकर रहकर कारोबार को बढ़ाने का भी आरोप रहा है। भाजपा भी काफी विरोध करती थी। नब्बे के दशक में आरा, भोजपुर, बक्सर से बनारस तक वर्चस्व था।

 

फरार रहने के दौरान चुनाव जीते

सुनील पांडे समता पार्टी से 2000 में पहली बार विधायक बने। उन्होंने पीरो विधानसभा सीट से आरजेडी कैंडिडेट काशीनाथ को मात दी थी। इस दौरान वे फरार चल रहे थे। शपथ ग्रहण के लिए पहुंचे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। 2000 में नीतीश की 7 दिन की सरकार में बाहुबलियों का समर्थन दिलाने में सुनील पांडे ने काफी मेहनत की थी । इसके बाद 2005 दो बार वे विधायक चुने गए। क्योंकि 2005 में दो बार विधानसभा चुनाव हुआ था।

2006 में जदयू से निकाले गए थे

बयानबाजी की वजह से सुनील पांडे को 2006 में जदयू से निकाल दिया गया था। दरअसल, बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन के मामले में सुनील पांडे ने नीतीश सरकार की काफी आलोचना की थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वे एएसपी को गोली मार देते।

आनंद मोहन को होटल से पकड़ कर धक्के मारते हुए गाड़ी में बिठाया गया था। इस पर सुनील पांडे ने कहा था कि नीतीश सरकार में अफसरशाही बढ़ गई है। अगर मेरे साथ एएसपी ने ऐसा व्यवहार किया होता तो

2010 में फिर जदयू से टिकट मिला

साल 2010 में नीतीश कुमार ने फिर से सुनील पांडे को जेडीयू का टिकट दिया था । वे जीत भी गए थे। लेकिन, 2012 में ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में भाई हुलास पांडे की गिरफ्तारी के बाद उनकी सियासी पकड़ कमजोर होने लगी। 2014 में जदयू छोड़ एलजेपी में शामिल हो गए थे । हालांकि, एलजेपी ने भी 2015 में टिकट नहीं दिया। इसके बावजूद सुनील पांडे ने पत्नी को तरारी विधानसभा सीट से उतारा। महज 272 वोट से चुनाव हार गईं थी । इसके बाद 2020 में भी टिकट नहीं मिला था।

 

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